मंगलवार, 18 सितंबर 2012

अलका सिन्हा के कहानी-संग्रह ‘मुझसे कैसा नेह’ का लोकार्पण

राजधानी के हिन्दी भवन में अलका सिन्हा के कहानी-संग्रह ‘मुझसे कैसा नेह’ का लोकार्पण किताबघर प्रकाशन एवं अक्षरम् के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मूर्धन्य आलोचक प्रभाकर श्रोत्रिय ने भाषा की अर्थपूर्ण सघनता को कीमती बताते हुए अलका की ‘चौराहा’ और ‘मोल्डिंग सिस्टम’ कहानियों को उद्धृत किया। उन्होंने कहा कि ये रचनाएँ जीवन के नए-नए अर्थ तलाशती हैं और यह रचनाकार की महत्वपूर्ण विशेषता है।

मुख्य अतिथि के रूप में प्रख्यात कथाकार चित्रा मुद्गल ने कहा कि इन कहानियों को पढ़ते हुए लगता है कि हम महादेवी वर्मा के कहानी-जगत में पहुंच गए हैं जहां वे अपने समाज की चिंता करती हैं। भारत की गरीबी को विदेशों में बेचकर बड़े-बड़े अवार्ड्स लाने के बारे में राज्य-सभा सदस्य नरगिस दत्त द्वारा सत्यजीत रे पर लगाए गए आक्षेप का संदर्भ लेते हुए चित्रा मुद्गल ने कहा कि अलका सिन्हा की कहानी ‘चांदनी चौक की जबानी’ इस तथ्य को झुठलाती हुई एक ग्लोबल कहानी है। सुप्रसिद्ध कथाकार राजी सेठ ने कहा कि अलका के पास भौतिक परिदृश्य के पार जाने की क्षमता है जो स्थूल और सूक्ष्म, जड़ और चेतन, दृश्य और अदृश्य के बीच सहज संवाद बना पाने में दक्ष है। उन्होंने कहा कि मुझे ‘अपूर्णा’ कहानी विचलित करने वाली और ‘हरदम साथ डॉट कॉम’ अपने प्रभाव के प्रसार में थरथरा देने वाली लगी। वरिष्ठ कथाकार और आलोचक महेश दर्पण ने कहा कि ये कहानियां किसी फैशन के तहत नहीं लिखी गई हैं, इसलिए पठनीय हैं। कोई कहानी हमेशा के लिए याद रह जाती है जैसे ‘तुम्हारे लिए चॉकलेट, बेबी’ कहानी पढ़कर बाबा भारती की याद आती है। ‘फिर आओगी न’ कहानी बगैर शोर मचाए स्त्री-विमर्श की कहानी है। ऑनर किलिंग की विषय-वस्तु पर आधारित कहानी ‘एका’ के संदर्भ में उन्होंने कहा कि आज के समय में ऐसी कहानी लिखना बड़े साहस का काम है। ‘चौराहा’ कहानी को उन्होंने उन कहानियों के विरोध की कहानी बताई जो बताती हैं कि पिता की हत्या करके ही नौकरी पाई जा सकती है।

हिन्दी अकादमी, दिल्ली के उपाध्यक्ष एवं प्रख्यात भाषा विज्ञानी डॉ विमलेश कांति वर्मा ने चुटीले अंदाज में कहा कि हिंदी के लेखक ऐसा लिखते हैं कि उनको खुद नहीं पता कि वे क्या लिख रहे हैं। अलका जी की यह विशेषता है कि जो वह कहती हैं, उसे समझती हैं और जो पढ़ता है, वह भी उसे समझता है। ऐसी कहानी मुझे अच्छी लगती है। युवा आलोचक दिनेश कुमार ने इन कहानियों को खोए हुए मनुष्य की तलाश की कहानियां बताते हुए कहा कि इनमें एंटी-क्लाइमेक्स के शिल्प को मजबूती से साधा गया है। आरंभिक चरण में संग्रह की कहानी ‘चौराहा’ पर संकल्प जोशी द्वारा एकल अभिनय की विशेष प्रस्तुति को भरपूर सराहना मिली। कार्यक्रम का संचालन चर्चित लेखक अनिल जोशी और धन्यवाद ज्ञापन जाने-माने कवि नरेश शांडिल्य ने किया। खचाखच भरे सभागार में गणमान्य लेखकों, कलाकारों और बुद्धिजीवियों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

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