कविता की प्रासंगिकता: संदर्भ अज्ञेय, नागार्जुन, शमेशर बहादुर सिंह, एवं केदारनाथ अग्रवाल
प्रस्तुति: शशिभूषण
‘जो बीत जाता है उसके पुर्नावलोकन की बाते उठती है और जब हम इनपर चर्चा करते हैं तो नई बातें सामने आती हैं। आवश्यक्ता है इस निरंतर पुर्नावलोकन की।’ ये उद्गार कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज ,दिल्ली विश्वविद्यालय, द्वारा ‘कविता की प्रासंगिकता: संदर्भ अज्ञेय, नागार्जुन, शमेशर बहादुर सिंह, एवं केदारनाथ अग्रवाल’ विषय पर कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सहयोग से आयोजित, दो दिवयीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते समय प्रसिद्ध आलोचिका निर्मला जैन ने कहे। अपने अध्यक्षीय भाषण में अशोक वाजपेयी ने कहा-इन चारों कवियों ने यथार्थ और वैकल्पिक यथार्थ की कल्पना की। विशिष्ट अतिथि विश्वनाथ त्रिपाठी ने कहा - इन कवियों की राजनतिक समझ को स्वातंत्र्य प्रेम की नज़र से भी देखा जाए क्योंकि ये चारो कवि स्वाधीनता काल के कवि हैं। प्राचार्य डॉ. इंद्रजीत ने अतिथियों का स्वागत एवं धन्यवाद किया उद्घाटन सत्र के आरंभ में संगोष्ठी के संयोजक डॉ. प्रेम जनमेजय ने प्रस्तावित विषय के संबंध में विस्तार से बताया इस अवसर पर प्रेम जनमेजय द्वारा संपादित पुस्तक ‘श्रीलाल शुक्लः विचार विश्लेषण एवं जीवन’ का लोकार्पण भी किया गया।
संगोष्ठी का पहला सत्र केदारनाथ अग्रवाल पर केंद्रित था जिसकी अध्यक्षता डॉ. नित्यानंद तिवारी ने की, मुख्य अतिथि थे डॉ. खगेंद्र ठाकुर। डॉ. बली सिंह, डॉ. द्वारिकाप्रसाद चारुमित्र एवं डॉ. विनय विश्वास ने अपने आलेख पढ़ें। डॉ. नित्यानंद तिवारी ने अध्यक्षीय भाषण दिया। सत्र का संचालन डॉ. रत्नावली कौशिक ने किया।
संगोष्ठी का दूसरा सत्र नागार्जुन पर केंद्रित था जिसकी अध्यक्षता प्रो. गोपेश्वर सिंह ने की तथा मुख्य अतिथि थे डॉ. विजय बहादुर सिंह। इस सत्र में डॉ. अनामिका, राधेश्याम तिवारी, डॉ. बागेश्री चक्रधर और डॉ. हरीश नवल ने अपने विचार रखे। इस सत्र का संचालन डॉ. वीनू भल्ला ने किया ।
संगोष्ठी का तीसरा सत्र अज्ञेय पर केंद्रित था जिसकी अध्यक्षता श्री ओम थानवी ने की तथा मुख्य अतिथि थे डॉ. कृष्णदत्त पालीवाल। इस सत्र में डॉ. प्रेम जनमेजय, रमेश मेहता, डॉ. अवनिजेश अवस्थी, डॉ. अर्चना वर्मा और डॉ. वीनू भल्ला ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन विनय विश्वास ने किया।
संगोष्ठी का चौथ सत्र शमशेर बहादुर सिंह पर केंद्रित था जिसकी अध्यक्षता डॉ. हरिमोहन शर्मा ने की । इस सत्र में डॉ. दिविक रमेश, डॉ. अजय नावरिया, भारत, डॉ. हेमंत कुकरेती ने अपने विचार रखे। अंत में प्रेम जनमेजय ने चारों सत्रों में चर्चित मुद्दों की संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा प्रचार्य डॉ. इंदजीत ने सभी का आभार व्यक्त किया।
प्रस्तुति: शशिभूषण
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