सन २०१०, दिल्ली में होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव के लिए प्रसिद्ध साहित्यकार मुशर्रफ़ आलम ज़ौक़ी की कहानी 'बेहद नफरत के दिनों में' का चयन किया गया है। यह कहानी भारत-पाक बनते-बिगड़ते संबंधों को नई दिशा देने का काम करेगी।
इस नाटक के निर्देशक दौलत वैद्य, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से जुड़े रहे हैं। दौलत वैद्य के निर्देशन में इस कहानी का पहला मंचन २३ सितंबर, जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में सम्पन्न हुआ। एक तरफ़ दो देशों के बीच फैली नफ़रत की आग है तो दूसरी ओर दो जवाँ दिलों के बीच पनपती कोमल भावनाएँ। नफ़रत पर प्यार करने वालों की जीत होती है। लेकिन समाज को यह नागवार गुज़रता है। और सामने आती है नफ़रत। कथानक के अनुसार भारत में रहने वाला हिन्दू युवक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक पदाधिकारी का बेटा है। वहीं पाकिस्तान में रहने वाली युवती का भाई कट्टरवादी संगठन तालिबान का सदस्य है। इंटरनेट की वेबसाइट पर दोनों का परिचय होता है। और प्रेम और नफ़रत की नई कहानी २६/११ की त्रासदी के बीच जन्म लेती है। नाट्य-निर्देशक दौलत वैद्य के अनुसार बांग्लादेश, लंदन और पाकिस्तान में भी इसके मंचन की तैयारियाँ चल रही हैं, और इसे वो भारत के प्रत्येक राज्य में करने का इरादा रखते हैं क्योंकि आज के निर्मम वातावरण में इस नाटक के संदेश को दूर तक पहुँचाना ही एक मात्र विकल्प है।
निशांत रंजन
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