सोमवार, 26 अक्टूबर 2009
'ज़िंदगी के स्वर' का लोकार्पण
दिनांक २१ अक्टूबर २००९ को नगर होशंगाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार सजीवन मयंक के ६७वें जन्मदिन के अवसर पर उनके सातवे संकलन ''ज़िंदगी के स्वर'' का लोकार्पण नगर के नेहरू पार्क में वरिष्ठ साहित्यकार श्री जगमोहन शुक्ल जी के कर कमलों द्वारा किया गया। श्री शुक्ला जी ने मयंक जी की रचनाओं को आज के दौर की वास्तविकताओं का काव्य रूप निरूपित किया तथा मयंक जी के इस शेर को संदर्भित किया 'कहते हैं हम जिसे ज़िंदगी, लगती एक मशीन है यारों'। इस अवसर पर नगर के होशंगाबाद के अनेक गणमान्य नागरिक एवं साहित्यकारों में मोहन वर्मा, गिरीमोहन गुरु, कृष्ण स्वरूप शर्मा, एम.पी.मिश्रा, एवं सुश्री जया नर्गिस विशेष रूप से उपस्थित थे। श्री मयंक के इस संकलन में १०० ग़ज़लें, २०० मुक्तक, एवं ४० क्षणिकाएँ समाहित हैं।
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