विश्व पुस्तक मेले के अवसरपर अविनाश वाचस्पति विरचित व्यंग्य पुस्तक ‘व्यंग्यका शून्यकाल’ का लोकार्पण वरिष्ठ व्यंग्यकार-साहित्यकारडॉ. शेरजंग गर्ग के कर कमलों से सोमवार २८ फरवरी २०१२ को नई दिल्ली के प्रगतिमैदान में संपन्न हुआ। इस अवसर पर अनेक चर्चित साहित्यकार-रचनाकार उपस्थित रहे। जिनमें डॉ. प्रेम जनमेजय, अनूप श्रीवास्तव, कवि मदन कश्यप, कथाकार संजीव और कवि-व्यंग्यकारउपेन्द्र कुमार उल्लेखनीय हैं। इनके अतिरिक्त जयपुर से हरि शर्मा, मैनपुरी सेशिवम् मिश्र तथा नई दिल्ली से हिन्दी चिट्ठाकार साथियों पवन चंदन, राजीव तनेजा,पद्मसिंह, सुमित प्रताप सिंह इत्यादि सैकड़ों चिट्ठाकारों ने भारी तादाद मेंशिरकत करके कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। हिन्दी साहित्य निकेतन के डॉ.गिरिराजशरण अग्रवाल, मीना अग्रवाल एवं अयन प्रकाशन के श्री भूपी सूद भी कार्यक्रममें अंत तक मौजूद रहे।
इस अवसर पर बोलते हुए सुविख्यात व्यंग्यकार डॉ. शेरजंग गर्ग ने कहा, 'मैंने पढ़ा है कि अविनाश शब्दों के साथ किस तरह खेलते हैं, सिर्फ खेलते ही नहीं, स्थितियों और परिस्थितियों को भी व्यंग्य का निशाना बनाते हैं। बहुत से व्यंग्यकारों को हम पढ़ते हैं तो समझ नहीं पाते कि यह क्या कह रहे हैं। लेकिन अविनाश के मामले में मैंने महसूस किया है कि उनमें भाषा के साथ व्यंग्यकी समझ है, विसंगतियों की समझ है। अगर हम उदयप्रकाश की मोहनदास को पढ़ें तो पता लगेगा कि व्यंग्य होता क्या है ? हरिशंकर परसाई, श्री लाल शुक्ल ने मात्र व्यंग्य के लिए व्यंग्य नहीं लिखा, इन्होंने जीवन के दृष्टिकोण को सामने रख कर लिखा। जीवन की तकलीफों और विसंगतियों को समझते हुए लिखा जो कि एक बहुत बड़ी बात है।
अविनाश वाचस्पति ने जिस प्रकार छोटे छोटे टुकड़ों मे, छोटे छोटे विषयों को उठाकर व्यंग्य की सृष्टि की है, उसके लिए बधाई देते हुए डॉ.गर्ग ने कहा कि यह तुम्हारी पहली किताब है। अगर पहली किताब इतनी सुंदर रचनाओं के साथ इतने अच्छे रूप में छप सकती है, तो अपनी अन्य रचनाओं को तैयार रखो। बहुत सारे प्रकाशक इसमें व्यंग्य की नई दृष्टि को देखकर इन्हें प्रकाशित करना चाहेंगे।
उल्लेखनीय है कि हिन्दी चिट्ठाकारी में सर्वाधिकचर्चित व्यक्तित्व अविनाश वाचस्पति के लगभग ३५ हिंदी चिट्ठे हैं, जिन पर वे सदैव सक्रिय रहकर हिंदी का विकास कर रहे हैं और सबको प्रोत्साहित कर रहे हैं। अंतर्जाल पर किए गए इनके कार्यों की एक विशिष्ट पहचान है। भारत सरकार के ‘सूचना और प्रसारण मंत्रालय’ के ‘हिंदी साहित्य सम्मान’ से वर्ष २००८-२००९ के लिये इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। हिन्दी ब्लॉगिंग पर रवीन्द्र प्रभात के साथ मिलकर संपादित की गई इनकी पहली प्रामाणिक पुस्तक ‘हिन्दीब्लॉगिंग : अभिव्यक्ति की नई क्रांति’ को प्रगतिशील ब्लॉगर लेखकसंघ, लखनऊ द्वारा ‘हिंदी चिट्ठाकारी का शिखर सम्मान’ प्रदान करने की घोषणा की गई है। हिन्दी चिट्ठाकारी पर डॉ. हरीश अरोड़ा के साथ संपादित ‘ब्लॉग विमर्श’ नामक पुस्तक शीघ्रप्रकाशित हो रही है।
प्रेषक : पवन ‘चंदन’, 1/12, रेलवे कालोनी, सेवा नगर, नई दिल्ली 110003
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