भारतीय दूतावास, बुदापैश्त के सांस्कृतिक केन्द्र में एक मार्च की शाम को विश्व हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भारतीय राजदूत मान्य श्री गौरी शांकर गुप्त जी एवां प्रथम सचिव श्री जे एन माझी सहित समस्त दूतावासकर्मी सपरिवार मौजूद थे। ओत्वोश लोरांद विश्वविद्यालय के भारोपीय अध्ययन विभाग के छात्र-छात्राओं के साथ मिलकर बुदापैश्त के हिन्दी प्रेमी जन समुदाय ने रोचक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन विभाग में स्नातकोत्तर हिन्दी के छात्र शागि पीटर ने किया तथा अनुवाद दानियल बालोघ ने प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के आरम्भ में भरतनाट्यम शैली में गणेश वन्दना की गई। इसके बाद महामहिम राजदूत महोदय ने विश्व में हिन्दी की व्याप्ति और महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह का सन्देश पढ़कर सुनाया। उन्होंने इस अवसर पर बुदापैश्त वासी हिन्दी-प्रेमियों की बड़ी सांख्या में उपस्थिति को हर्ष का विषय बताया। भरतनाट्यम की एक और भावपूर्ण प्रस्तुति के बाद भारोपीय अध्ययन विभाग में तीसरे वर्ष की छात्राओं ने मधुर स्वर में सुप्रसिद्ध गीत “होंगे कामयाब” गाया।
विभाग तथा दूतावास की ओरिएंटेशन कक्षाओं में भाग लेने वाले उत्साही हिन्दी प्रेमियों ने मिलकर लोकप्रिय हिन्दी कविताओं का पाठ किया, जिसमें अज्ञेय जी की कविता ‘चुपचाप’ और ‘मधुशाला’ की अनेक रुबाइयाँ शामिल थीं। कार्यक्रम के बीच ही हिन्दी सुलेखन प्रतियोगिता संपन्न हुई और तीन सवर्श्रेष्ठ पुरस्कार प्रदान किये गए। ऐल्ते विश्वविद्यालय में अतिथि प्रोफ़ेसर डॉ विजया सती ने हिन्दी दिवस और विश्व हिन्दी दिवस मनाए जाने की साथर्कता को रेखांकित करते हुए हिन्दी के बढ़ते प्रभाव पर टिप्पणी की।
दूतावास की ओर से विभाग के सवर्श्रेष्ठ दो छात्रों - द्ववतीय वर्ष से किराय पीटर और सालेर पीटर को पुरस्कृत किया गया। अनौपचारिक कक्षा में हिन्दी सीखने वाले श्री तमाश को भी दूतावास की ओर से पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी सदस्यों को भी दूतावास की ओर से प्रोत्साहन-स्वरूप प्रतीक चिह्न प्रदान किये गए। कार्यक्रम की समाप्ति पर सबको विस्मित करते हुए माननीय राजदूत महोदय ने महाभारत प्रसंग पर केंद्रित अपनी कविता सुनाई। दूतावास के सौजन्य से स्वादिष्ट भारतीय समोसे, इडली, चटनी तथा अन्द्य मिश्रित जलपान के साथ समारोह उल्लासपूर्वक संपन्न हुआ।
अतिथि प्रोफेसर, भारोपीय अध्ययन विभाग, बुदापैश्त, हंगरी
1 टिप्पणी:
Bahut he sarahney kary ho raha hai Budapest mein!Bahut khushi hai ki Hindi bhasha aur Bhartiya sabhyata aur sanskriti ke prati Budapest nivasiyon mein itna roojan hai!! Bhaut sunder tipadi likhi hai Vijya ji. Sabhi Hindi vidyarthiyon aur shichakon ko badhai. Bhartiya Dootavas ka protsahan sarahneey hai!
-Garima Mohan(Kuala Lumpur)
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