चित्र में- जमीन पर बैठे बाएँ से प्रवीण सक्सेना, आनंद कुमार गौरव, पूर्णिमा वर्मन, डॉ. अमिता दुबे, संध्या सिंह और अवनीश कुमार चौहान। कुर्सी पर बाएँ से- वीरेन्द्र आस्तिक, कमलेश भट्ट कमल, मधुकर अष्ठाना, ओम प्रकाश चतुर्वेदी पराग, माहेश्वर तिवारी, ओम प्रकाश सिंह, निर्मल वर्मा, शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान, पीछे खड़े हुए बाएँ से- डॉ जगदीश व्योम, अनिल श्रीवास्तव, जय प्रकाश त्रिवेदी, श्याम श्रीवास्तव, विनय भदौरिया, सत्येन्द्र तिवारी, जय चक्रवर्ती, आदित्यकुमार वर्मन (पीछे), रमा कान्त, डॉ. विजयकर्ण (पीछे), शैलेन्द्र श्रीवास्तव, योगेन्द्र वर्मा व्योम, गीता सिंह, सुनील कुमार परिहार एवं सत्येन्द्र रघुवंशी।
लखनऊ २६ एवं २७ नवंबर २०११ को अभिव्यक्ति विश्वम् के सभाकक्ष में जाल पत्रिकाओं अभिव्यक्ति एवं अनुभूति (http://www.abhivyakti-hindi.org तथा http://www.anubhuti-hindi.org ) द्वारा नवगीत परिसंवाद एवं विमर्श का सफल आयोजन किया गया। इस अवसर पर १८ वरिष्ठ नवगीतकारों सहित नगर के जाने माने अतिथि, वेब तथा मीडिया से जुड़े लोग, संगीतकार व कलाकार उपस्थित थे। निरंतर दो दिवस चले छह सत्रों में नवगीत के विभिन्न पहलुओं, यथा- नवगीत की वर्तमान स्थिति, नवगीत का उद्गम इतिहास, वर्तमान चुनौतियों एवं नवगीत हेतु आवश्यक मानकों एवं प्रतिबद्धताओं पर विस्तृत सार्थक चर्चा हुई।
पहले दिन की सुबह कार्यक्रम का शुभारंभ लखनऊ की बीएसएनल के जनरल मैनेजर श्री सुनील कुमार परिहार ने दीप प्रज्वलित कर किया। सरस्वती वंदना रश्मि चौधरी ने पंकज चौधरी की तबला संगत के साथ प्रस्तुत की। दो दिनों के इस कार्यक्रम में प्रतिदिन तीन तीन सत्र हुए जिसमें अंतिम सत्र मनोरंजन संगीत और कविता पाठ के रहे।
नवगीतों पर आधारित पूर्णिमा वर्मन के फोटो कोलाज की प्रदर्शनी इस कार्यक्रम में आकर्षण का केन्द्र रही। प्रदर्शनी के लिये उन्हीं नवगीतकारों के नवगीतों को चुना गया था जो वहाँ उपस्थित नहीं थे, यह आयोजकों की दूरदर्शिता का परिचायक तो था ही साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से उन नवगीतकारों को फोटो-कोलाज के माध्यम से इस समारोह में सम्मिलित तथा सम्मानित करना भी था।
२६ नवंबर का पहला सत्र समय से संवाद शीर्षक से था। इसमें विनय भदौरिया ने अपना शोधपत्र नवगीतों में राजनीति और व्यवस्था, शैलेन्द्र शर्मा ने नवगीतों में महानगर, रमा कान्त ने नवगीतों में जनवाद, तथा निर्मल वर्मा ने अपना शोधपत्र क्या नवगीत आज के समय से संवाद करने में सक्षम है पढ़ा। अंतिम वक्तव्य वरिष्ठ रचनाकार माहेश्वर तिवारी जी ने दिया।
दूसरे सत्र का विषय था- नवगीत की पृष्ठभूमि कथ्य-तथ्य, आयाम और शक्ति। इसमें अवनीश चौहान ने अपना शोध पत्र नवगीत कथ्य और तथ्य, वीरेन्द्र आस्तिक ने नवगीत कितना सशक्त कितना अशक्त, योगेन्द्र वर्मा ने नवगीत और नई पीढ़ी तथा माहेश्वर तिवारी ने नवगीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पढ़ा। अंतिम वक्तव्य डॉ ओमप्रकाश सिंह का रहा।
सायं चाय के बात तीसरे सत्र में आनंद सम्राट के निर्देशन में शोमू, आनंद दीपक और रुचिका ने सुमग संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत किया। संगीत सम्राट आनंद का था तथा गायक थे रुचिका श्रीवास्तव और दीपक। गिटार और माउथ आर्गन पर संगत शोमू सर ने की। कार्यक्रम में वरिष्ठ गीतकार माहेश्वर तिवारी एवं कुमार रवीन्द्र के नवगीतों को प्रस्तुत किया गया। इसके बाद पूर्णिमा वर्मन ने अपनी पावर पाइंट प्रस्तुति दी जिसका विषय था- हिंदी की इंटरनेट यात्रा अभिव्यक्ति और अनुभूति के साथ नवगीत की पाठशाला तक।
दूसरे दिन का पहला सत्र नवगीत वास्तु शिल्प और प्रतिमान विषय पर आधारित था। इसमें जय चक्रवर्ती ने नवगीत का शिल्प विधान, शीलेन्द्र सिंह चौहान ने नवगीत के प्रतिमान, आनंद कुमार गौरव ने गीत का प्रांजल रूप है नवगीत, डॉ ओम प्रकाश ने समकालीन नवगीत के विविध आयाम तथा मधुकर अष्ठाना ने नवगीत और उसकी चुनौतियाँ विषय पर अपना वक्तव्य पढ़ा। अंतिम वक्तव्य वीरेन्द्र आस्तिक ने दिया।
दूसरे सत्र में जिसका शीर्षक था- नवगीत और लोक संस्कृति में डॉ. जगदीश व्योम ने लोकगीत में लोक के छीजने की पीड़ा, श्याम नारायण श्रीवास्तव ने नवगीतों में लोक की भाषा के प्रयोग तथा सत्येन्द्र तिवारी ने नवगीत में भारतीय संस्कृति विषय पर अपना शोधपत्र पढ़ा। अंतिम वक्तव्य रमाकांत का रहा। दोनो दिनों के इन चारों सत्रों में प्रश्नोत्तर एवं परिसंवाद के सत्र वैचारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहे।
दूसरे दिन के अंतिम सत्र में कविता पाठ का कार्यक्रम था जिसमें उपस्थित रचनाकारों ने भाग लिया। कविता पाठ करने वाले रचनाकारों में थे- अनिल श्रीवास्तव, संध्या सिंह, विनय भदौरिया, अवनीश सिंह चौहान, डॉ. जगदीश व्योम, वीरेन्द्र आस्तिक, शैलेन्द्र शर्मा, सत्येन्द्र तिवारी, रमा कान्त, जय चक्रवर्ती, डॉ. ओम प्रकाश सिंह, योगेन्द्र वर्मा व्योम, माहेश्वर तिवारी, आनंद गौरव, कमलेश भट्ट कमल, श्याम श्रीवास्तव, शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान, मधुकर अष्ठाना, निर्मल शुक्ल, पूर्णिमा वर्मन, सत्येन्द्र रघुवंशी विजय कर्ण, डॉ. अमिता दुबे, और राजेश शुक्ल। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ओम प्रकाश चतुर्वेदी पराग रहे। धन्यवाद ज्ञापन के बाद सबको स्मृतिचिह्न प्रदान किये गए।
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