रविवार, 29 जनवरी 2012


नार्वे में रुआल्द अमुन्द सेन की याद में लेखक गोष्ठी


ओस्लो, ३० जनवरी को वाइतवेत सेंटर, ओस्लो में लेखक गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह गोष्ठी लेखक रुआल्द अमुन्दसेन के दक्षिण ध्रुव में पहला कदम रखने की शताब्दी पर आयोजित की गयी जिसकी अध्यक्षता करते हुए सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने अमुन्दसेन के जीवन पर प्रकाश डाला। गोष्ठी के लिए भारतीय राजदूत आर के त्यागी और स्थानीय मेयर थूर्स्ताइन विंगेर की शुभकामनाएं पढ़ी गयीं। बाद में कविता पाठ हुआ जिसमें इंगेर मारिये लिल्लेएन्गेन और राजकुमार भट्टी, नीलम लखनपाल और अलका भरत थे। कार्यक्रम का समापन माया भर्ती ने नव वर्ष पर शुभकामनाये देते हुए किया और सूचना दी कि भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम का आगामी कार्यक्रम २६ जनवरी २०१२ को संपन्न होगा

संगीता एस सीमोनसेन और शरद आलोक लखनऊ विश्वविद्यालय में सम्मानित


विदेशों में हिंदी के शिक्षण से जुड़ी हिंदी स्कूल नार्वे की प्रधानाचार्या संगीता एस सीमोनसेन को लखनऊ विश्वविद्यालय में डॉ. विद्याविन्दु सिंह द्वारा सम्मानित किया गया। उन्हें विदेशों में हिंदी सेवा के लिए प्रतीक चिन्ह और शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।  इसी के साथ विदेशों में हिन्दी पत्रकारिता से ३२ वर्षों (तीन दशकों) से हिन्दी पत्रिकाओं 'परिचय', 'स्पाइल-दर्पण' और 'वैश्विका' के सम्पादक और प्रतिष्ठित साहित्यकार सुरेशचन्द्र शुक्ल को भी उनके हिन्दी पत्रकारिता में अमूल्य योगदान और साहित्य सृजन के लिए लखनऊ विश्विद्यालय ने शाल ओढ़ाकर और प्रो. प्रेमशंकर तिवारी ने प्रतीक चिन्ह दिया।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो के दी सिंह ने की तथा कार्यक्रम का काव्यात्मक एव. सुरचिपूर्ण सञ्चालन किया डॉ. कृष्णा जी श्रीवास्तव ने कार्यक्रम में शरद आलोक को विदेशों में हिन्दी पत्रकारिता को एक नया आयाम देने वाला और साहित्य में आँधियों में जलने वाले दीपक की संज्ञा दी। डॉ. विद्या विन्दु सिंह ने कार्यक्रम सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' की हिन्दी सेवा पर प्रकाश डालने वालों में लखनऊ विश्विद्यालय से प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ. पवन अग्रवाल, अमेरिका से आये वी पी सिंह और गायत्री सिंह तथा अन्य विद्वतजन थे।

साहित्यकार सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक को सेतु सम्मान

विभिन्न देशों के मध्य नार्वे, स्वीडेन, फिनलैंड और डेनमार्क में हिंदी साहित्य, फिल्म और नाटक में योगदान के सेतु कार्य के लिए सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' को सेतु सम्मान दिया गया। फिल्माचार्य आनन्द शर्मा ने कहा कि उन्हें अन्तरराष्ट्री लघु फिल्म समारोह एक्प्रेशन २०११ आयोजन सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' के बिना अधूरा रह जाता। उन्होंने शुक्ल के नाटको और उनके द्वारा किये गए विदेशी नाटकों के स्तरपूर्ण अनुवाद के लिए कहा कि हिन्दी जगत उन्हें सदा याद रखेगा। आनन्द शर्मा ने कहा कि शरद आलोक द्वारा अनुवादित नाटक जो हमने लखनऊ-महोत्सव में मंचन किया था वह यूट्यूब पर उपलब्ध है। लखनऊ के अनेक साहित्यकार और जिसमें योगेन्द्र विक्रम सिंह, चित्रा और चन्द्र मोहन सहित अनेक गणमान्य रंगकर्मी उपस्थित थे। साहित्यकार प्रो योगेन्द्र प्रताप सिंह, सतेन्द्र सिंह 'शलभ', डॉ. कृष्णा जी श्रीवास्तव. इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। लखनऊ महोत्सव में नाटकों के प्रदर्शन की शुरुआत उत्तर प्रदेश कलाकार संघ के तत्वावधान में सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने द्वीप जलाकर की तथा उद्घाटन सत्र में प्रसिद्ध साहित्यकार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के नाटक बकरी के निदेशक को भी शरद आलोक द्वारा सम्मानित कराया गया। ये कार्यक्रम गोमती नगर में संगीत नाटक अकादमी और जयशंकर प्रेक्षागृह, राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह , कैसरबाग़, लखनऊ में संपन्न हुए।  

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