रविवार, 27 फ़रवरी 2011

सृजन द्वारा समकालीन कवि‍ता पर साहि‍त्य गोष्ठी आयोजित

वि‍शाखपट़नम की हि‍न्दीत साहि‍त्यि‍क संस्था सृजन के तत्वावधान में 13 फरवरी 2011 को समकालीन हि‍न्दी कवि‍ता वि‍षयक साहि‍त्य गोष्ठी‍ का आयोजन कि‍या गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सृजन के सचि‍व डॉ. टी. महादेव राव ने की जबकि संचालन सृजन के संयुक्त सचि‍व डॉ. संतोष अलेक्स‍ ने कि‍या।

कार्यक्रम के आरंभ में डॉ. टी. महादेव राव ने इस साहि‍त्य चर्चा के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि‍ समकालीन कविता के विषय पर चर्चा और समकालीन कवि‍ताओं के पठन के इस आयोजन का उद्देश्य है वर्तमान में कवि‍ताएं कैसी लि‍खी जा रही हैं इसके बारे में साहि‍त्य प्रेमि‍यों को वि‍स्तार में बताना और नये कवि‍यों को समकालीन कवि‍ताएँ लि‍खने के लि‍ए प्रोत्साहि‍त करना। इस अवसर पर डॉ. संतोष अलेक्सा ने ए. अरवि‍न्दाकक्षन का आलेख कवि‍ता की मि‍ट्टी, जो कि‍ समकालीन कवि‍ नागार्जुन की रचनाधर्मि‍ता पर थी, पढा जि‍समें ‘काव्यन प्रवृत्तियाँ नवयुग में कि‍स तरह हों’ इसका वि‍वरण था। भूख, नग्नता जो कि‍ सामयि‍क बि‍म्बक हैं, का नागार्जुन की कवि‍ता में वि‍श्ले‍षण था। श्रीमती सीमाशेखर ने अपनी तीन नई कवि‍ताएँ ‘संरक्षण’, ‘तारे’ और ‘ताल’ का पठन कि‍या जि‍समें जंगलों की कटाई, प्रकृति‍ से बि‍छोह तथा संबंधों में आता अपरि‍चय का वर्णन था। बी.एस. मूर्ति‍ ने कर्मयोगी शीर्षक कवि‍ता में सीमा पर तैनात सैनि‍क और आम आदमी के बीच के अंतर को प्रभावशाली ढ़ंग से प्रस्तुबत कि‍या। अपनी कवि‍ताओं हँसी, जाड़ा के साथ हास्य कवि‍ता आज अगर हमारी शादी होती सुनायी लक्ष्मी नारायण अग्रवाल ने, जि‍समें कवि‍ का फक्कड़पन और समाज पर व्यंग्य नि‍हि‍त था। श्रीमती कि‍रण सिंह ने महादेवी वर्मा की एक रचना सुनाई। अपने सारगर्भि‍त लेख में बीरेन्द्र राय ने समकालीन कवि‍ता के गुणों और लक्षणों की चर्चा करते हुए कहा कि‍ कथ्य‍, रूप, शैली और छंद मुक्तता के कारण नर्इ कवि‍ता अपना अलग स्थान रखती है। श्री राय ने समकालीन कवि‍ताएँ जो‍ प्रेम की कवि‍ताएँ थीं, बेताब सूरज और कहाँ हो तुम सुनायी। आरुणि‍ त्रि‍वेदी ने समकालीन कवि‍ता पर अपने वि‍चार व्यक्त कि‍ए। रामप्रसाद यादव ने तड़प शीर्षक से कवि‍ता सुनाई जि‍समें मानवीय संवेदनाओं के बिम्ब थे।

डॉ. एम. वि‍जयगोपाल ने अपनी कविता छुवन में मानव जीवन के वि‍भि‍न्न पहलुओं को छुआ। जी. अप्पापराव राज और एनसीपी नायुडू ने अपने व्यंग्य रचनाएँ प्रस्तुनत की। डॉ. टी. महादेव राव ने समकालीन कवि‍ता की चर्चा करते हुए अपनी रचना तीन आयाम समय के जो कि‍ कवि‍ता की भूत, वर्तमान और भवि‍ष्यव की स्थिति‍यों का खुलासा था, पढ़ा और अपनी कवि‍ता वि‍नि‍मय का अर्थशास्त्र प्रस्तुत कि‍या जो‍ एकाकी होते मानवीय संबंधों और खोखले समाजवाद को प्रतीक बनाकर लि‍खी गई थीं। डॉ. संतोष अलेक्स ने सीधा और शब्देकोष कवि‍ताएँ पढीं, जो कि‍ आज के परि‍वेश में बदलते जीवन संदर्भों से जुड़ी थीं। कार्यक्रम में कृष्णक कुमार गुप्ताब, वि‍जय कुमार आर. और सीएच ईश्विर राव ने भी सक्रि‍य प्रति‍भागि‍ता की।

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