सोमवार, 30 अगस्त 2010

रचना गौड़ 'भारती` के काव्य संग्रह ''नई सुबह`` का लोकार्पण

कोटा। भारती प्रकाशन द्वारा प्रकाशित श्रीमती रचना गौड़ 'भारती` के प्रथम काव्य संग्रह ''नई सुबह`` का लोकार्पण कोटा में आयोजित अखिल भारतीय स्तर के नारी साहित्यकार सम्मेलन में हुआ। अब तक का यह तीसरा नारी साहित्यकार सम्मेलन था जिसमें देश के विभिन्न प्रदेशों की लेखिकाओं ने भाग लिया। लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे परिषद के राष्ट्रीय

अध्यक्ष बलवंत जानी, मुख्य अतिथि मानव मूल्यों के विश्वकोशकार डा० धर्मपाल मैनी एवं विशिष्ट अतिथि देश की मानी हुई लेखिका एवं केन्द्रीय मानव समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष डा०मृदुला सिन्हा ,परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डा०दयाकृश्ण विजय, प्रदेशाध्यक्ष डा० मथुरेश नन्दन कुलश्रेश्ठ एवं स्वंय लेखिका श्रीमती रचना गौड़ 'भारती` ने किया। जिसका संक्षिप्त विवरण वीरेन्द्र विद्यार्थी द्वारा दिया गया। काव्य संग्रह को नारी संवेदनाओं की प्रभावी अभिव्यक्ति बताया गया।

लेखिका जो अखिल भारतीय साहित्य परिषद के नारी प्रकोश्ठ की प्रदेशाध्यक्ष भी है ने अपने प्रथम काव्य संग्रह को अपने पिता स्व. श्री सत्यभानु श्रीवास्तव एवं ससुर स्व. श्री रधुन्न्दन प्रसाद गौड़ को समर्पित किया। इन्होने काव्य संग्रह को सामाजिक समस्याओं एवं प्राकृत प्रभाव से वशीभूत बताया। साहित्य परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डा०दयाकृश्ण विजय, ने काव्य संग्रह की भूमिका में कहा कि श्रीमती रचना गौड़ भारती की कविताओं का यह संकलन 'नई सुबह` सच में साहित्य क्षितिज पर लालिमा बिखराती उषा का अवतरण है। उषा धरा पर चेतना का संचरण है। कर्म का आव्हान है। प्रगति का सिंहनाद है। कुछ सिखरांत छूने का संकल्प है। उन्होन कहा कि श्रीमती भारती की कविताओं में यही स्वर आरम्भ से अन्त तक सुनाई देता है। अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान के अध्यक्ष डा. मथुरेश नन्दन कुलश्रेश्ठ ने कहा कि कवियत्री की ७२ कविताओं में से १५ कविताएं तो प्रकाश से ही सम्बन्धित हैं जो आशावाद और जीवन की स्वस्थ दशा का प्रतीक है। उन्होन कहा कि कविताओं की एक बड़ी विशेषता यह है कि ये कविताएं टुकडों में नहीं वरन एक सांस में लिखी गई हैं। कभी भी लेखनी न ठहरी है न ही पुनर्विचार किया गया है। कोटा के वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार रामू भैया ने कहा कि यदि आपको भाब्द संसार में सृजन का नया कैनवास देखना हो, नए रंग दंखने हों, नई तूलिका देखनी हो और नए सूरज की नई सुबह देखनी हो तो बस इस काव्यकृति को आद्योपान्त पढ़ते जाइए।

वरिष्ठ उद्घोषक आकाशवाणी कोटा व दोहा,गजल एवं व्यंगकार रामनारायण मीणा' 'हलधर`` ने कहा कि नई सुबह काव्य संकलन कृति मानवीय संवेदनाओं का एक ऐसा इंद्रधनुष है जिसमें आधुनिक जीवन भौली के सभी रंग बड़े सलीके से समाहित है। कृति को पढ़ते हुए एक अत्यंत संवेदनशील स्त्री की कोमल भावनाएं ,पुरुष के प्रति उसका निश्कपट समर्पण ,परिवार व समाज के प्रति जिम्मेदारी आदि गुणों का अत्यंत गहनता से जानने का सुअवसर कहा जा सकता है। कवियत्री के इस काव्य कौशाल पर मर मिटने को जी करता है। कोटा की ही वरिष्ठ समीक्षक डा. गीता सक्सेना ने कहा कि हाड़ौती अंचल की रचनाकार श्रीमती रचना गौड़ भारती का सद्य प्रकाशित काव्य संग्रह नई सुबह का ताना बाना, भाव और विचार रुपी कोमल-कठोर तंतुओं से निर्मित है। यह कृति विभिन्न काव्य संवेदनाओं की बाल अरुणिमा है। इसमें निशा के अंधकार कें व्यामोह में लिपटी जन चेतना को शनैः शनै। प्रात: की लालिमा से संलिप्त कर प्रगति पथ गामिनी बनाने की चेश्ठा है। कोटा के ही गीत व गजलकार डा. नलिन ने कहा कि रचना भारती की कविताएं वैदुश्य का दर्पण एवं पाठक के मन मस्तिष्क को झंकृत करने की क्षमता रखती है। इन कविताओं में गेयात्मकता है, लयात्मकता है।

इस पुस्तक की विशेषता यह है कि इसके प्रत्येक पृश्ठ का रेखांकन, कोटा की ही युवा उभरती रेखांकनकार यामिनी गौड़ ने किया है जो कि लेखिका की ही पुत्री है। मात्र १६ वर्ष की ही उम्र में वे देश की जानी मानी साहित्यिक पत्रिकाओं मधुमती,साहित्य अमृत एवं सरस्वती सुमन का रेखांकन भी कर चुकी है। इसी कार्यक्रम में रेखांकनकार यामिनी गौड़ का राष्ट्रीय अध्यक्ष बलवंत जानी एवं साहित्यकार डा० मृदुला सिन्हा द्वारा शाल ओढ़ाकर सम्मान किया गया। इनके द्वारा कार्यक्रम की स्मारिका का रेखांकन भी किया गया है।

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