(चित्र में बाएँ से- महेन्द्र नेह, शकूर अनवर, भगवती प्रसाद गौतम, मुख्य अतिथि अनमोल शुक्ल’अनमोल’, शिवराम, आर.सी.शर्मा’आरसी’ डॊ. अजय जन्मेजय एव. डॊं.गजेन्द्र बटोही)
कोटा १४ अगस्त : सुपरिचित गीतकार एव ग़ज़लकार आर.सी.शर्मा ’आरसी’ के सद्य प्रकाशित ग़ज़ल संग्रह ’पानी को तो पानी लिख’ का लोकार्पण ’विकल्प’ जन सांस्कृतिक मंच कोटा द्वारा १४ अगस्त १० को स्वतंन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर कोटा में उमरावमल पुरोहित सभागार में सम्पन्न हुआ । समारोह की अध्यक्षता साहित्यकार, रंगकर्मी एवं नाट्य लेखक शिवराम ने की । मुख्य अतिथि बिजनौर से पधारे ग़ज़लकार अनमोल शुक्ल ’अनमोल’ तथा विशिष्ट अतिथि बाल साहित्य के ख्यातनाम लेखक डॊ. अजय जन्मेजय तथा अविचल प्रकाशन के संस्थापक डॊ. गजेन्द्र बटोही थे ।
कार्यक्रम का प्रारम्भ अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं द्वीप प्रज्वलित करने के साथ हुआ । सर्व प्रथम ग़ज़लकार एवं गायक शरद तैलंग ने आर.सी.शर्मा’ आरसी’ के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला । उन्होंनें कहा आरसी की एक गज़ल के कुछ शे’रों द्वारा ही उनके व्यक्तित्व तथा कृतित्व की सम्पूर्ण जानकारी मिल जाती है । वो कुछ शे’र इस प्रकार थे ’बुज़ुर्गों का हमारे साथ यह एह्सान है प्यारे, शहर भर में हमारी अब अलग पहचान है प्यारे" - "मेरे गीतों में इक नन्हा सा बालक मुस्कराता है, मगर ग़ज़लों मे शामिल दर्द-ए-हिन्दुस्तान है प्यारे" । शायर शकूर अनवर ने कहा कि आरसी की ग़ज़लें मौज़ूदा हालात की तल्खी और खुशबू दोनों को सादगी और शिद्दत से बयान करतीं हैं, भाईचारे का पैगाम देतीं हैं तथा मेलमिलाप और यकजहेती बढ़ातीं हैं । साहित्यकार भगवती प्रसाद गौतम ने आरसी के गज़ल संग्रह पर पत्रवाचन करते हुए कहा कि ये ग़ज़लें सच को सच कहने का आह्वान हैं और यही एक समर्थ रचनाकार का सबसे बडा गुण है ।
इसके पश्चात ग़ज़ल संग्रह ’पानी को तो पानी लिख’ का अतिथियों द्वारा लोकार्पण हुआ । गायक शरद तैलंग ने जब इस संकलन की दो ग़ज़लों ’खुशी के पल तो जीवन में महज़ दो चार होते हैं, दुखी इन हादसों से हम हज़ारों बार होते हैं’ तथा " हम खुद ही उड़ सके न परों की थकान से, शिकवा नहीं है कोई हमें आसमान से" की संगीतमय प्रस्तुति दी तब पूरे हॊल में लोग गज़लों का आनन्द उठाते रहे । डॊ. अजय जन्मेजय ने अपने उदबोधन में आरसी की गज़लों के चुनिन्दा शे’रों का हवाला दे कर उन्हें ज़िन्दगी का शायर बताया और कहा कि गज़लों में सौन्दर्य के विविध रंग-रूपों की उपस्थिति और सच्चाई का पक्ष उनकी विशिष्ठ्ता है । उन्होंने आरसी के इस क्षैत्र में निरन्तर प्रगति करते रहने की कामना की । संग्रह के प्रकाशक डॊ. गजेन्द्र बटोही ने भी इस पुस्तक की रचना यात्रा की जानकारी श्रोताओं को देते हुए ’आरसी’ को मानवीय मूल्यों का साधक शायर बताया । समारोह में ग़ज़लकार आरसी ने अपनी कुछ गज़लों का सस्वर पाठ भी किया ।
समारोह के मुख्य अतिथि ग़ज़लकार अनमोल शुक्ल ’अनमोल’ ने अपने वक्तव्य में आरसी जी के कथ्य और शिल्प की चर्चा की तथा उनके पहले संकलन ’अहल्याकरण’ की प्रशस्ति में प्राप्त अनेक पाठकों की प्रतिक्रिया का हवाला देकर आरसी जी की क़लम की जादूगरी पर अपनी टिप्पणी प्रस्तुत करते हुए कहा कि आरसी ने ग़ज़ल लेखन परम्परा में अपनी प्रभावी दस्तक दी है सधी छंदबध्द्ता,मनोहरी लय और सामाजिक विद्रूपताओं को दर्पण दिखातीं ये गज़लें सामाजिक सत्य और प्रेम के विविध रूपों की छटाएं हैं । इनकी ग़ज़लों के कथ्य का कैनवास बहुत व्यापक है तथा कुछ खास अनुभूतियों तक ही सीमित नहीं है ।
अन्त में समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकर शिवराम ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में आरसी जी की ग़ज़लों के अनेक शेरों पर अपने बहुत ही सारगर्भित उदबोधन द्वारा इस संग्रह की विवेचनात्मक समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि राहबोध, संकल्प सजगता और संवाद उत्सुकता आरसी की विशिष्टता है जो इस संकलन की ग़ज़लों में मुखर हुई है । सच को सच कह, ज़िन्दगी की कहानी बयान करना उनकी शायरी का आधार है ।
समारोह में ’विकल्प’ संस्था की ओर से सभी अतिथियों का नगर के प्रतिनिधि साहित्यकरों - अखिलेश ’अंजुम’, एन.के.शर्मा, हितेश व्यास, अरुण सेदवाल, रामकरण स्नेही, डॊ, इन्द्र बिहारी सक्सेना, जी.के.भट्ट, नरेन्द्र चक्रवर्ती, नितेश शर्मा ने माल्यार्पण तथा ’विकल्प सृजन सम्मान’ के स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत एवं समानित किया । इस अवसर पर प्रसिद्ध शायर के.के.सिंह ’मयंक’ की उपस्थिति भी विशिष्ठ रही। कार्यक्रम का सफ़ल संचालन साहित्यकार महेन्द्र नेह ने किया तथा आभार ’आरसी’ ने व्यक्त किया । समारोह में बडी तादाद में नगर के साहित्यकार तथा गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे ।
प्रस्तुति : शरद तैलंग
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