
ब्रिटिश सांसद बैरी गार्डिनर ने अपने भाषण की शुरूआत हिन्दी में की। उन्होंने कहा कि जिन सवालों का जवाब राजनीति नहीं दे पाती, उनका जवाब साहित्य में खोजा जा सकता है। साउथहॉल के सांसद वीरेन्द्र शर्मा ने कहा कि कथा यूके यहां सभी भारतीय भाषाओं के बीच संवाद बनाने का जो काम कर रही है उससे हिन्दी को उसका उचित सम्मान दिलाने में बहुत मदद मिलेगी। हमें इसका राजनीतिक समर्थन करना चाहिये। उन्होंने कहा कि भारत को ठीक से समझने के लिये भारतीय भाषाएं जानना ज़रूरी है। श्री नलिन सूरी ने कहा कि कथा यूके का यह आयोजन यहां विभिन्न भाषाई समुदायों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि ब्रिटेन के दूर-दराज़ इलाकों में हिन्दी किताबों को पाठकों तक पहुंचाने के लिये भारतीय उच्चायोग हर संभव सहयोग प्रदान करेगा। यहां के हिन्दी लेखक किसी भी मामले में दूसरे देशों के लेखकों से कमतर नहीं हैं।
सोलहवें अंतर्राष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा सम्मान से अलंकृत कथाकार हृषिकेश सुलभ ने कहा कि उनके लिए लिखना जीने की शर्त है। बिहार की जिस ज़मीन से वे आते हैं वहां एक एक सांस के लिये संघर्ष करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमारी साझा संस्कृति को राजनीति की नज़र लग गई है। हम लेखक उसे बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। न्याय का सपना अभी भी अधूरा है और वंचित के पक्ष में खड़ा होना लेखक की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है. ग्यारहवें पद्मानंद सम्मान से अलंकृत महेन्द्र दीपक दवेसर और कादम्बरी मेहरा ने कहा कि इस सम्मान के बाद उनके साहित्य में पाठकों की नई दिलचस्पी पैदा होगी।
कथा यूके के महासचिव तेजेन्द्र शर्मा ने कहा कि यह समारोह ब्रिटेन में बसे एशियाई लेखकों के बीच

ब्रिटने में लेबर पार्टी की काउंसलर ज़कीया ज़ुबैरी ने कहा कि हिन्दी उर्दू की साझा संस्कृति को बचाने के लिये ब्रिटेन में बहुत कुछ करने की ज़रूरत है। इससे हम साहित्य को उस नई पीढ़ी तक ले जा सकेंगे जो अपनी जड़ों से कट रही है। महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ने हृषिकेश सुलभ की कहानियों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि सुलभ हिन्दी के उन गिने चुने कथाकारों में हैं जिनकी कहानियों में आजका मुस्लिम परिवेश जीवन्त है। उनकी कहानियों में गज़ब की पठनीयता है जो पाठकों को देर तक बांधे रखती है।
बीबीसी हिन्दी सेवा की पूर्व प्रमुख अचला शर्मा ने पद्मानंद साहित्य सम्मान से अलंकृत महेन्द्र दवेसर और कादम्बरी मेहरा की कहानियों की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि दोनों का कथा संसार एक दूसरे से अलग है पर कई मौक़ों पर एक दूसरे के समानांतर भी चलता है क्योंकि परिवेश साझा है। दीप्ति शर्मा ने सम्मानित कथाकार हृषिकेश सुलभ की कहानी वसन्त के हत्यारे के अंशों का नाटकीय पाठ किया। कथाकार सूरज प्रकाश ने हृषिकेश सुलभ, पत्रकार अजित राय ने महेन्द्र दवेसर और जय वर्मा ने कादम्बरी मेहरा के मानपत्र पढ़े। समारोह की शुरूआत में लेखक-फ़िल्मकार निखिल कौशिक ने वन्दना प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन सनराईज़ रेडियो और टीवी की सरिता सभरवाल ने किया।

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