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पिछले दिनों मुम्बई में हास्योत्सव २००९ का आयोजन एक सुखद ब्यार का झोका लेकर आया। रंग चकल्लस द्वारा पिछले ४० सालों से अनवरत आयोजित होते आ रहे हास्योत्सव जैसे शुद्ध और शिष्ट हास्य से लबरेज कार्यक्रमों का इंतजार न सिर्फ मुम्बई के रसिक श्रोताओं को होता है बल्कि देश भर के कवियों को भी रहता है। इस मंच से कभी काका हाथरसी शरद जोशी, शैल चतुर्वेदी जैसे ख्याति लब्ध कवियों ने श्रोताओं को गुदगुदाया तो कभी अशोक चक्रधर ने ये कहकर आयोजक को भाव विह्वल कर दिया कि जिन्दगी मे कभी उनकी तमन्ना हुआ करती थी कि वे रंगचकल्लस के इस आयोजन मे कविता पढें। शरद जोशी ने अपने जीवन का अंतिम रचना पाठ भी इसी मंच से किया था । बल्कि वे हर साल इस कारर्यक्रम के लिए एक नयी रचना जरूर लिख कर लाते थे।
मुम्बई के पाटकर सभागार मे आयोजित हास्योत्सव २००९ के मंच पर इस बार जिन हास्यकारों ने डॉ मुकेश गौतम के संचालन में हास्य और व्यंग्य के रंग बरसाये वे थे लम्बे समय से काव्य मंच पर मौजूद और विवाह फिल्म के सम्वाद लिखने से विशेष चर्चित हुए आशकरण अटल , शुजालपुर (म.प्र.) से आये गोविन्द राठी, यवतमाल से पधारे कपिल जैन, मुम्बई के देवमणि पान्डेय , बसंत आर्य तथा रजनी कांत। अंत मे संयोजक श्री असीम चेतन ने हँसते खिलखिलाते चेहरो को अगले साल फिर मिलने का वादा करते हुए विदा किया।
चित्र में - माइक पर आशकरण अटल ,बाय़ें से असीम चेतन, मुकेश गौतम , बसंत आर्य, देवमणि पांडेय, गोविन्द राठी, कपिल जैन और रजनीकांत
--बसंत आर्य
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