इंस्टीट्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स भारत के अभियंताओं की प्रतिनिधि संस्था है जिसके लगभग १०४ केंद्र भारत में तथा ६ केंद्र भारत के बाहर विदेशों में कार्यरत हैं। हिंदी में तकनीकी लेखन को प्रोत्साहित करने के लिए इंस्टीट्यूशन प्रतिवर्ष एक पत्रिका 'अभियंता बन्धु' का वार्षिकांक प्रकाशित करता है। अभियांत्रिकी शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी होने के कारण तकनीकी विषयों में कुशलता से अभियंता कम ही लिख पाते हैं. निर्माण के क्षेत्र में कार्यरत ठेकेदार, सुपरवाइजर, निरीक्षक, मिस्त्री, तकनीशियन, मैकेनिक आदि अंग्रेजी कम और हिंदी अधिक समझते हैं। तकनीकी जानकारियाँ और मानक संहिता आदि हिंदी में सुलभ हों तो यह वर्ग निर्माण कार्यों को अधिक कुशलता से कर सकता है। प्रस्तावित पत्रिका को अभियंताओं की सर्वोच्च संस्था द्वारा अभियंताओं के मार्गदर्शन हेतु प्रकाशित की जाना है, अतः लेखों का तकनीकी जानकारी (मानकों, प्रविधियों, रूपांकन आदि) से समृद्ध होना आवश्यक है।
आपसे 'अभियंता बन्धु' हेतु किसी तकनीकी विषय पर हिंदी में आलेख (ए 4 आकार में, कृति देव या यूनीकोड फॉण्ट में ) अपने चित्र व संक्षिप्त परिचय (नाम, शिक्षा, कार्य, प्रकाशित पुस्तकें, उपलब्धियाँ, डाक का पता, ई मेल, ब्लॉग/वेब साईट,दूरभाष / चलभाष ) सहित १५ सितंबर के पूर्व उक्त पते पर भेजने का अनुरोध है। आशा ही नहीं विश्वास है कि आप अपनी व्यस्तता के बाद भी इस सारस्वत अनुष्ठान में समिधा-सहयोग कर सहायक होंगे। एक विषय सूची संलग्न है। आप अपनी विधा तथा पसंद का विषय चुनना चाहें तो तुरंत ३ विषय सूचित करें ताकि एक को विषय को जोड़ लिया जाए। महत्वपूर्ण अभियांत्रिकी परियोजनाओं से जुड़े अभियंता उन पर भी लेख दे सकते हैं। स्काई स्क्रैपर्स, मेट्रो रेल, स्पेस क्राफ्ट, कृषि-यांत्रिकी, बायो इन्जीनियरिन्ग, जेनेटिक इंजीनियरिंग, बायो मेडिकल इंजीनियरिंग आदि विविध क्षेत्रों से लेख आमंत्रित हैं। अन्य देशों के अभियांत्रिकी मानकों / संहिताओं (कोड्स), योजनाओं, शिक्षा ढाँचे आदि पर भी लेख उपयोगी होंगे। भाषा साहित्यिक हिंदी होना आवश्यक नहीं है। बोलचाल की सामान्य हिंदी उपयोगी होगी। तकनीकी शब्दों को यथावत देवनागरी में लिखा जा सकता है।
विषय निम्न या अपनी सुविधानुसार अन्य ले सकते हैं:
१. परमाणु बिजली उत्पादन की प्रविधि, परियोजनाएं और भावी आवश्यकताएं
२. ऊर्जा के वैकल्पिक स्तोत्र, भावी आवश्यकता और परियोजनाएं
३. स्वर्ण चतुर्भुज परियोजना और राष्ट्रीय यातायात
४. नदी श्रंखला योजना : एक विवेचन
४. गगनचुम्बी भवन, नगर विकास और पर्यावरण
५. भू स्थायीकरण: समस्या और समाधान
६. बाढ़ नियंत्रण नीति : एक समीक्षा
७. बायो मेडिकल इंजीनियरिंग
८. सैन्य अभियांत्रिकी: भावी चुनौतियाँ और तैयारी
९. अन्तरिक्ष अभियांत्रिकी : संभावनाएं
१०. हिंदी की तकनीकी शब्द सामर्थ्य
११. निर्माण सामग्री उपलब्धता, आवश्यकता और अनुसन्धान
१२. विश्व परिदृश्य में भारतीय अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकी
१३. अगले दशक में जल समस्या और निदान
१४. प्रबंधन यांत्रिकी शिक्षा और हिंदी
१५. वैश्विक अभियांत्रिकी शिक्षा और हिंदी
१६ . तकनीकी शब्द सामर्थ्य की कसौटी पर हिंदी
१७. अंतरजालीय भाषा के रूप में हिंदी
१८ . संगणक और हिन्दी कुंजीपटल
१९ . विश्व भाषा के रूप में हिंदी का भविष्य
२० . तकनीकी शिक्षा माध्यम के रूप में हिंदी
२१ . हिंदी की तकनीकी शब्दावली
२२ . प्रबंधन कला और हिंदी
२३ . हिंदी की अभिव्यक्ति क्षमता
२४ . वैश्वीकरण के दौर में हिंदी की प्रासंगिकता
२५ . संगणक-भाषा के रूप में हिंदी
२६ . शहरी मल निकासी प्रबंधन
२७ . जल प्रदूषण और शुद्धिकरण
२८ . वर्षा जल प्रबंधन
२९ . हरित भवन तकनीक
३० . बांधों का पर्यावरण पर प्रभाव
३१ . अपारंपरिक निर्माण तकनीक
३२ . बायोमास ऊर्जा
३३ . जीव-चिकित्सकीय कचरे (बायोमेडिकल वेस्ट )का निस्तारण
३४ . हायड्रोपॉवर तकनीक
३५ . भू जल में फ्लोराइड : दुष्प्रभाव और निवारण
३६ . औद्योगिक वेस्ट वाटर का पुनरुपयोग
३७ . रेडी मिक्स कोंक्रीट में वेस्ट वाटर प्रबंधन
३८ . भवन निर्माण संहिता: प्रासंगिकता, प्रभाव और पुनरीक्षण
३९ . अभियांत्रिकी शब्दकोष क्यों और कैसे
४० . विद्युत् संयत्रों में सुरक्षा प्रावधान
४१ . विद्युत् ग्रहों में दुर्घटनाएं और सुरक्षा प्रावधान
४२ . रेल पथ : प्रबंधन और सुरक्षा
४३ . ऊष्मीय विद्युत् संयंत्रों (थर्मल पावर प्लांट्स) में सुरक्षा प्रावधान
४४ . भू स्खलन (लैंड स्लाइड ) : कारण और निवारण
४५ . भू वस्त्रीकरण (जिओटैक्सटाइल्स) से मृदा क्षरण (साइल इरोजन) निषेध
४६ . गुणवत्ता नियंत्रण : पदार्थ परीक्षण यंत्रोपकरण
४७ . स्वर्ण चतुर्भुज योजना
४८ . नदी-श्रंखला योजना
४९ . परमाण्विक बिजली घर : क्यों?, कहाँ?, कैसे?
५० . निर्माण कार्य और फ्लाई ऐश : आवश्यकता, दुष्प्रभाव और निवारण
५१ . स्व उपचारित (सेल्फ हीलिंग) कोंक्रीट
५२ . पूरक जुड़ाई सामग्री तथा अधिमिश्रक(सप्लीमेंट्री सीमेंटिंग मटीरियल एंड एड्मिक्स्चर्स)
५३ . कोंक्रीट संरचनाओं का स्थायित्व
५४ . फाइबर रिएन्फोर्स्ड कोंक्रीट
५५ . कोंक्रीट कार्यों में गुणवत्ता नियंत्रण
५६ . जिओपोलीमर कोंक्रीट
५७ . कोंक्रीट का पुनर्चक्रीकरण (रिसाइकलिंग)
५८ . जिओपोलीमर कोंक्रीट : क्षारीय जल का प्रभाव
५९ . सेल्फ कोम्पैक्टिंग कोंक्रीट: क्यों?, कब और कैसे
६० . मानक कोंक्रीट और सुपर प्लास्टीसाइजर
६१ . चांवल भूसा-भस्म (राइस हस्क ऐश ) मिश्रित कोंक्रीट : स्थायित्व और सुदृढ़ता
६२ . कोंक्रीट : खनिज तथा रासायनिक अधिमिश्रकों (एड्मिक्स्चर्स)का प्रभाव
६३ . कोंक्रीट पर कॉपर स्लैग का प्रभाव
६४ . कोंक्रीट में जलरोधी पदार्थ
६५ . ईंट-रोड़ों से कम वजनी कोंक्रीट
६६ . कोंक्रीट में दरारें: कारण और निवारण
६७ . भूकंपरोधी संरचना : क्यों और कैसे?
६८ . परमाण्विक कचरे का निस्तारण
६९ . परमाण्विक बिजली घर : औचित्य, खतरे और सुरक्षा
७० . भूकंप विज्ञान के तत्व और अपरिहार्यता
७१ . भूकंपीय आवृत्ति और तीव्रता : पूर्वानुमान और बचाव
७२ . भूकंप का कोंक्रीट संरचना पर दुष्प्रभाव
७३ . प्रबलित संरचन का भूकंपीय व्यवहार
७४ , ईंट-जुडाई निर्मित भवनों पर भूकंप का प्रभाव
७५ . विद्युत् उपकरण युक्त संरचनाओं का भूकंपीय रूपांकन
७६ . भूकंपीय हलचल: मानक और मापन
७७ . बाँध संरचना पर भूकंपीय प्रभाव और सुरक्षा
७८ . खदानों पर भूकंपीय प्रभाव और सुरक्षा
७९ . गगनचुम्बी भवनों की भूकंपीय सुरक्षा
८० . प्री कास्ट कोंक्रीट भवनों पर भूकंपीय प्रभाव और सुरक्षा
८१ . भूकम्परोधी नींव
८२ . भवनों का भूकंपीय प्रबलीकरण
८३ . विद्युत् उपकेन्द्र, उपकरणों और खम्बों पर भूकंपीय प्रभाव
८४ . नगरों में आपदा प्रबंधन
८५ . ग्रामों में आपदा प्रबंधन
८६ . मूल्यांकन यांत्रिकी
८७ . श्रमिक उत्पादकता
८८ . सामग्री प्रबंधन
८९ . निर्माण उपकरण और संयंत्र
९० . लागत तथा मूल्यानुमान
९१ . निर्माण आयोजन और प्रबंधन
९२ . अल्प मोली भवन संरचना
९३ . परियोजना प्रबंधन
९४ . विकास नियोजन हेतु सूक्ष्म तथा वृहद् क्षेत्रांकन
९५ . ठोस अपशिष्ट (सॉलिड वेस्ट) प्रबंधन
९६ . पर्यावरणीय विकास
९७ . सडक दुर्घटना कारण और निवारण
९८ . नगरीय यातायात : धूम्र तथा ध्वनि प्रदूषण
९९ . विकासशील शहरों का यातायात विश्लेषण और प्रबंधन
१०० . सार्वजनिक यातायात : पूर्वानुमान, प्रबंधन और नियंत्रण
१०१ . यातायात दुर्घटनाओं पर मादक पदार्थ सेवन का प्रभाव और नियंत्रण
१०२ . सडक यातायात और वाहन हेड लाइट्स
१०३ . सड़क सुरक्षा प्रबंधन और उपाय
१०४ . सडक यातायात और सुदूर नियंत्रण
१०५ . रेल पथ यातायात प्रबंधन
१०६ . रेल पथ और भूकंप
१०७ . भूकंप और सेतु सुरक्षा
१०८ . यातायात प्रबंधन और सूचना तकनीक
१०९ . यातायात और वायु प्रदूषण
११० . यातायात दुर्घटनाएं और चलभाष
१११ . सडक दुर्घटनाएं : मानवीय और यांत्रिक चूकें
११२ . सडक दुर्घटनाओं के मनोवैज्ञानिक कारण
११३ . यातायात प्रबंधन और अनुज्ञप्ति प्रणाली
११४ . मार्ग दुर्घटनाएं और जन व्यवहार
११५ . सडक विकास और सडक सुरक्षा
११६ . महामार्ग और पर्यावरण प्रदूषण
११७ . महामार्ग निर्माण और जूट टेक्सटाइल
११८ . रेलपथ सुरक्षा और जूट टेक्सटाइल
११९ . जिओटेक्सटाइल और भूस्खलन
१२० . भूस्खलन-भूक्षरण और वानिकीकरण
१२१ . मृदा भारवहन क्षमता: पूर्वानुमान और सीमायें
इस वर्ष प्रकाशन का दायित्व जबलपुर केंद्र को तथा इसके संपादन की जिम्मेदारी इंजी. संजीव वर्मा 'सलिल' को दी गयी है। सभी लेख भेजने तथा संपर्क करने के लिये इन संपर्कों का उपयोग करें-
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संजीव वर्मा, संपादक
बलवंत सिंह बघेल, अध्यक्ष
वीरेन्द्र कुमार साहू, मानद सचिव
इंस्टीटयूशन ऑफ़ इंजीनियर्स (इंडिया) लोकल सेंटर जबलपुर