सोमवार, 7 जनवरी 2013

दुष्यंत कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय का स्थापना पर्व सम्पन्न

२६ दिसंबर २०१२ भोपाल में दुष्यंत कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय का स्थापना पर्व पाँच कलाकारों की कविता पोस्टर प्रदर्शनी ‘शब्दरंग’ के उद्घाटन और पाँच सृजनधर्मियों के अभिनन्दन के साथ आरम्भ हुआ। उत्सव का उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश के गृहमंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता ने किया। समारोह की अध्यक्षता पूर्व मुख्य सचिव एवं संग्रहालय के सरंक्षक डॉ. पुखराज मारू ने की। समारोह के पूर्व गृहमंत्री श्री गुप्ता एवं अन्य अतिथियों ने संग्रहालय का भ्रमण किया। श्री गुप्ता ने संग्रहालय परिषद के प्रयासों की सराहना की।

श्री गुप्ता ने कहा कि संग्रहालय की धरोहर और गतिविधियों की दृष्टि से यह स्थान अब छोटा पड़ने लगा है, अतः इसके विस्तार के लिए ध्यान देना होगा। समारोह के आरम्भ में संग्रहालय निदेशक राजुरकर राज ने संग्रहालय एवं स्थापना पर्व के बारे में जानकारी दी। संग्रहालय संरक्षक श्री सुशील कुमार अग्रवाल ने स्वागत भाषण में संग्रहालय के प्रयासों का उल्लेख किया और अपेक्षा की कि यथोचित सहयोग मिला तो यह दुनिया में अपनी तरह का संग्रहालय हो सकता है। अपने उद्बोधन में श्री गुप्ता ने कहा कि साहित्यकार समाज को प्रेरणा और ऊर्जा प्रदान करता है। उसकी धरोहर को सहेजना पूरी संस्कृति को सहेजना है। यह अनुकरणीय कार्य दुष्यन्त कुमार संग्रहालय कर रहा है, यह प्रशंसा के योग्य है। हमारा पूरा सहयोग संग्रहालय और उसके पदाधिकारियों को मिलेगा।

अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. पुखराज मारू ने कहा कि गैरसरकारी होने के बावजूद यह संग्रहालय साहित्य और संस्कृति के संरक्षण का महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। यहाँ हम अपने समृद्ध साहित्यिक अतीत का अवलोकन कर सकते हैं। पाँच दिवसीय समारोह के उद्घाटन अवसर पर राजधानी के वरिष्ठ साहित्यकार और संस्कृतिकर्मी डॉ. रमाकान्त दुबे, डॉ. महावीर सिंह, श्री राजेन्द्र जोशी, श्री बटुक चतुर्वेदी और श्रीमती कमला सक्सेना का अभिनन्दन किया गया।

कला प्रदर्शनी शब्दरंग

आरम्भ में अतिथियों ने पाँच कलाकारों की पोस्टर प्रदर्शनी ‘शब्दरंग’ का उद्घाटन किया। ‘शब्दरंग’ में दुष्यन्त कुमार, निदा फाज़ली, अशोक निर्मल, दिवाकर वर्मा, डॉ. जगदीश व्योम, प्रो. नईम, डॉ. अजय पाठक आदि की कविताओं पर शारजाह की डॉ. पूर्णिमा वर्मन, रायपुर के श्री के. रवीन्द्र, दिल्ली के श्री विजेन्द्र विज, भोपाल के श्री श्रीकान्त आप्टे एवं छिन्दवाड़ा के श्री रोहित रूसिया के बनाये चित्र प्रदर्शित किये गए। कार्यक्रम के अंत में संग्रहालय की प्रबन्ध परिषद के अध्यक्ष श्री रामराव वामनकर ने कृतज्ञता व्यक्त की।

कवयित्री गोष्ठी

दूसरे दिन कवयित्री गोष्ठी में छाई रही मानवीय संवेदना ‘‘हर गली हर द्वार पर है आज दुःशासन/कहाँ से आयेंगे इतने कृष्ण/आजकल जैसे हर जगह पर है/धृतराष्ट्र का शासन’’-इस भावधारा की अनेक कविताएँ दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के स्थापना पर्व के दूसरे दिन कवयित्री गोष्ठी में प्रस्तुत की गईं। इस गोष्ठी में अतिथि के रूप में श्रीमती कमला सक्सेना, डॉ. राजश्री रावत राज, कुलतार कौर कक्कड़, आशा शर्मा उपस्थित थीं। कार्यक्रम का संयोजन श्रीमती उषा जायसवाल ने किया। गोष्ठी की कविताओं में मानवीय संवेदना और स्त्री पीड़ा प्रमुख विषय रहा। गोष्ठी में उषा जायसवाल ने मनुष्य की प्रवृत्ति को रेखांकित किया -‘आदमी देवता और भगवान/तीनो एक ही हैं/नहीं हैं ऐसा कोई आदमी/जो हो देवता से दूर/ऐसे ही आदमी/जब भूल जाता है अपने स्वार्थ को/जीना है परमार्थ को/बन जाता है देवता।’’ ‘पापा का चेहरा ढँके, ऐसा नहीं लिहाफ चाहिये/राह में रोड़ा नहीं, बस केवल मुझे इंसाफ चाहिये’-कहकर साधना बलवटे ने अपनी संवेदना को शब्द दिये। स्त्री की महत्वाकांक्षा पर केनिद्रत रचना का पाठ किया करुणा राजुरकर ने-‘काश, जि़न्दगी पंचम से ही षडज पर लौट आती/न जाती तार सप्तक तक/देर तक, बहुत देर तक ठहरने के लिए’। दुष्यन्त संग्रहालय के स्थापना पर्व पर आयोजित कवयित्री गोष्ठी में सुनीता कोमल, अलका रिसवुड, आशा श्रीवास्तव, उषा सक्सेना, मंजू जैन, मालती बसन्त, कुमकुम गुप्ता आदि ने रचनापाठ किया। संचालन अर्चना भारती ने किया एवं आभार श्रीमती प्रतिभा गोटीवाले ने किया।

व्यंग्य गोष्ठी
अफसरी पर आँच आये तो यह बात अफसरी के प्रोटोकाल के विरुद्ध कहलायेगी स्थापना पर्व का तीसरा दिन व्यंग्य गोष्ठी का था। मौजूदा दौर की सरकारी व्यवस्था पर करारा व्यंग्य किया देश के सुविख्यात व्यंग्यकार डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने। वे दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय द्वारा आयोजित स्थापना पर्व के तीसरे दिन व्यंग्य पाठ में अपनी रचना का पाठ कर रहे थे। समारोह के आरम्भ में निदेशक राजुरकर राज ने स्वागत वक्तव्य के साथ संग्रहालय के स्थापना पर्व पर प्रकाश डाला। संग्रहालय की अभिनव परम्परानुसार पुस्तक और पुष्प से अतिथियों का स्वागत किया गया। संचालन श्री श्रीकान्त आप्टे ने और आभार वक्तव्य श्री रामराव वामनकर ने किया। दिल्ली से आये व्यंग्यकार डॉ. प्रेम जनमेजय ने व्यंग्यपाठ किया-‘‘अपने पीने पर आक्रमण होता देख अच्छे अच्छे पतियों की खुमारी टूट जाती है। राधेलाल की भी टूटी। उसने प्रत्याक्रमण की मुद्रा में कहा, और तुम जो चाट वाले स्टाल पर भुक्खड़ की तरह लगी हुई थी, गोलगप्पे, दहीभल्ले, चीला, टिकिया और क्या क्या...’’- इस रचना के माध्यम से उन्होंने पारिवारिक परिवेश का व्यंग्य प्रस्तुत किया। श्री श्रीकान्त आप्टे ने संचालन करने के साथ ही अपनी व्यंग्य रचना ‘फिल्मों में स्नान पर्व’ का पाठ भी किया। दिल्ली के डॉ. लालित्य ललित ने ‘पल में तोला पल में माशा’ शीर्षक से व्यंग्य पढ़ा। देर तक चली इस व्यंग्य गोष्ठी में चारों व्यग्यकारों ने अनेक रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर सर्वश्री रामराव वामनकर, मुकेश वर्मा, श्रीमती ममता तिवारी, महेन्द्र गोगिया, श्रीमती करुणा राजुरकर, श्री एनलाल जैन स्वदेशी आदि सहित अनेक साहित्यकार बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

गजल संध्या

चौथे दिन संग्रहालय में गूँजे दुष्यन्त के बोल ‘कोई हंगामा करो, ऐसे गुज़र होगी नहीं’  ‘पक गई है आदतें बातों से सर होगी नहीं, कोई हंगामा करो, ऐसे गुज़र होगी नहीं’- दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय में स्थापना पर्व के चौथे दिन ये आक्रोश उभरा दुष्यन्त कुमार की ग़ज़लों में मशहूर ग़ज़लगायक जुल्फीकार अली की आवाज़ के जरिये। जुल्फीकार अली ने दुष्यन्त कुमार की अनेक ग़ज़लों की संगीतमय प्रस्तुति दी। ‘मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ, वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ’/इस रास्ते के नाम लिखो एक शाम और, या इसमें रोशनी का करो इन्तज़ाम और/मरना लगा रहेगा यहाँ जी तो लीजिये, ऐसा भी क्या परहेज़ ज़रा-सी तो लीजिये........आदि ग़ज़लों से संग्रहालय परिसर को दुष्यन्तमय कर दिया।
पुरस्कार वितरण

समारोह के प्रारम्भिक चरण में कोरबा की भारत एल्यूमीनियम कम्पनी लिमिटेड के श्री पी.ए. मिश्रा, श्री विजय वाजपेयी एवं श्री दीपक विश्वकर्मा को भाषा भारती पुरस्कार से, समाजसेवा पुरस्कार सार्वजनिक भोजनालय सेवा समिति के श्री रामेश्वर बंसल एवं श्री मोहनलाल अग्रवाल को दिया गया, जबकि इन्दौर के वरिष्ठ रंगकर्मी श्री संजीव मालवीय को उनके उलेखनीय कार्य के लिए सम्मानित किया गया। समारोह में अतिथि के रूप में श्री राजेन्द्र जोशी, श्री केशव जैन एवं श्री महेन्द्र चौधरी उपस्थित थे। स्वागत वक्तव्य श्री एनलाल जैन स्वदेशी ने दिया एवं कृतज्ञता ज्ञापन श्री मधुकर द्विवेदी ने किया। समारोह में दिल्ली में हुए असामाजिक कृत्य की घोर निन्दा की गई और मृत छात्रा के लिए शोक व्यक्त किया गया। इस सत्र का समापत टॉम आल्टर की प्रस्तुति के साथ हुआ- ‘‘जि़न्दगी और जंग, एक ही सिक्के के दो पहलू हैं शायद...और जि़न्दगी रोज़ लड़ी जा रही जंग का नाम है...और जंग जि़न्दगी की आस में दर-दर भटकती उम्मीद का...कभी दोनों आमने-सामने आ खड़े होते हैं... कोई उम्मीद बर नज़र नहीं आती.....कोई सूरत नज़र नहीं आती...’’-ग़ालिब और मैथिलीशरण गुप्त की रचनाओं पर केन्द्रित थी प्रख्यात रंगकर्मी और सिने अभिनेता टॉम आल्टर की नाट्यप्रस्तुति ‘जुगलबन्दी’। प्रस्तुति में उनके साथ थे वरिष्ठ रंगकर्मी चन्दर खन्ना। भारत भवन में सम्पन्न अलंकरण समारोह में टॉम आल्टर ने अत्यन्त भावुक होकर अपने अतीत और अपने शुभचिन्तकों को याद किया। उन्होंने संग्रहालय के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि दुष्यन्त कुमार संग्रहालय अपने आप में बेमिसाल है। यहाँ साहित्यिक धरोहर का संरक्षण तो है ही, इसकी नियमित गतिविधियाँ इसे जीवन्तता प्रदान करती हैं। प्रारम्भ में संग्रहालय अध्यक्ष श्री रामराव वामनकर ने स्वागत वक्तव्य देते हुए स्थापना पर्व की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। निदेशक राजुरकर राज ने दिल्ली में छात्रा की मृत्यु पर शोक व्यक्त करते हुए संग्रहालय की ओर से संवेदना व्यक्त की और कार्यक्रम का संचालन किया। अलंकरण समारोह के मुख्य अतिथि श्री मंजूर एहतेशाम ने सम्मानित साहित्यकारों को बधाई देते हुए कि सम्मान एक ओर उत्कृष्ट सृजन की सामाजिक स्वीकृति है, वहीं दायित्व का अहसास भी। विशष्ट अतिथि के रूप में श्री महेन्द्र चैधरी एवं श्री चन्दर खन्ना उपस्थित थे।

दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय की ओर से पद्मश्री टॉम आल्टर को विशिष्ट सेवा सम्मान एवं मैथिली साहित्यकार डॉ. विभूति आनन्द, (दंरभगा) को आंचलिक रचनाकार सम्मान से अलंकृत किया गया। संग्रहालय द्वारा सक्रिय सर्जनात्मक गतिविधि और राजभाषा में उल्लेखनीय कार्य के लिए पत्र-पत्रिकाओं को भी पुरस्कृत किया गया। इस वर्ष धर्मवीर भारती पुरस्कार दिल्ली की पत्रिका ‘शुक्रवार’ (सम्पादक श्री विष्णु नागर) को, माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार रायपुर की पत्रिका ‘सद्भावना दर्पण (सम्पादक श्री गिरीश पंकज) को, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार आईडीबीआई बैंक मुम्बई की पत्रिका ‘विकासप्रभा’ (सम्पादक डॉ. सुनील कुमार लाहोटी) को, विद्यानिवास मिश्र पुरस्कार वनमाली सृजनपीठ भोपाल की पत्रिका रंग संवाद (सम्पादक विनय उपाध्याय) को एवं राजभाषा उत्कृष्टता पुरस्कार एनएचडीसी लिमिटेड, भोपाल को प्रदान किया गया। अन्त में आभार संग्रहालय के संरक्षक श्री सुशील अग्रवाल ने व्यक्त किया।

(संगीता राजुरकर)
सहायक निदेशक, प्रबन्ध

कोई टिप्पणी नहीं: