सोमवार, 4 जून 2012

साहित्य का कौमी एकता अवार्ड-२०१२ डॉ.जगदीश्वर चतुर्वेदी को

कोलकाताः ऑल इंडिया कौमी एकता मंच की ओर से प्रतिवर्ष दिया जाने वाला कौमी एकता अवार्ड स्थानीय कला मंदिर सभाकार में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया। विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान करने वालों को यह सम्मान प्रदान किया जाता है। सन २०१२ का साहित्य का चौथा कौमी एकता सम्मान हिन्दी के साहित्यकार डॉ.जगदीश्वर चतुर्वेदी को प्रदान किया गया। इसके पूर्व यह सम्मान डॉ.अभिज्ञात, मुनव्वर राना, डॉ.विजय बहादुर सिंह को प्रदान किया जा चुका है। इसके अलावा फिल्म निर्देशक गौतम घोष, सामाजिक कार्यकर्ता तिस्ता शीतलवाड़, टीवी समाचार चैनल आज तक के पत्रकार आलोक श्रीवास्तव, शिक्षाविद् लौरिन मिर्जा को प्रदान किया गया। चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड डॉ. सुकांति हाजरा को प्रदान किया गया। ये सम्मान डीआईजी डॉ.अकबर अली खान, चित्रकार वसीम कपूर एवं पंजाबी बिरादरी के अध्यक्ष अनिल कपूर को हाथों प्रदान किया गया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में गजल गायक जगजीत सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए शाम-ए-गजल का आयोजन किया गया था जिसमें विनोद सहगल ने अपनी गजलों से लोगों का मन मोह लिया। संस्था की गतिविधियों की जानकारी उसके अध्यक्ष जमील मंजर, उपाध्यक्ष सतीश कपूर एवं महासचिव आफताब अहमद खान ने दी।

डॉ.जगदीश्वर चतुर्वेदी का जन्म १२ अप्रैल १९५७ मथुरा में हुआ। संपूर्णानंद विश्वविद्यालय,वाराणसी से सर्वोच्च अंकों से सिद्धांत ज्यौतिषाचार्य की परीक्षा पास करने के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमए, एमफिल, पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। जेएनयू की छात्र राजनीति में सक्रिय नेतृत्व प्रदान किया और सन् १९८४-८५ में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। छात्रजीवन में ही जेएनयू की एकेडमिक कौंसिल और बोर्ड ऑफ स्टैडीज के सदस्य के रूप में मनोनीत किए गए। सन् १९८९ में कलकत्ता विश्वविद्यालय में हिन्दी में लेक्चरर के रूप में अध्यापन आरंभ किया और १९९३ में रीडर और सन् २०११ में प्रोफेसर बने। देश के विश्वविद्यालय अकादमिक जगत में यह कम होता है कि कोई शिक्षक मात्र ११साल के अध्यापन अनुभव के आधार में प्रोफेसर बने। कलकत्ता विश्वविद्यालय के इतिहास की यह विरल घटना है। ४५ किताबें अब तक प्रकाशित हुई हैं। ये किताबें साहित्य समीक्षा,स्त्री साहित्य आलोचना और मीडिया पर केन्द्रित हैं।

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