हिमालय साहित्य, संस्कृति एवं पर्यावरण मंच के तत्वावधान में २० अक्तूबर, २०११ दोपहर २.३० बजे शिमला माल रोड़ पर स्थित रोटरी टाउन हाल में ‘पहाड़ की रचनाशलता पर‘ एक ’राष्ट्रीय लेखक सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रतिष्ठित कथाकार और आलोचक डॉ. विजय मोहन सिंह ने की।
डॉ. सिंह ने कहा कि ’कथा में पहाड़’ पहाड़ की रचनाशीलता को सामने लाने वाला एक ऐतिहासिक दस्तावेज है जिसमें इसके संयोजक और कथाकार एस आर हरनोट एवं सम्पादक वरिष्ठ कवि-आलोचक श्रीनिवास श्रीकान्त ने सभी प्रकार के रागद्वेष से ऊपर उठकर वस्तुनिष्ठ रूप से पर्वतीय जन-जीवन को गहनता से रेखांकित करने वाली कहानियों को प्रस्तुत किया है। डॉ0 विजय मोहन सिंह ने १९७५ से १९८२ के दौरान शिमला में व्यतीत किए अपने समय को याद करते हुए हुए अत्यन्त भावुन अंदाज में कहा कि शिमला की मेरी यह यात्रा अतीत और स्मृतियों के बीच एक अन्तर यात्रा है और आज मेरी उम्र काफी हो चुकी है और अब लगने लगा है कि कहीं यह आखरी आखरी यात्रा न हो। उन्होंने अज्ञेय की एक कविता से अपना वक्तव्य समाप्त किया।
प्रमुख वक्ता प्रो0 कुमार कृष्ण ने कहा कि ‘कथा में पहाड़‘ वास्तव में पहाड़ के मनुष्यों की एक ऐसी महागाथा है जहां उनके दुःख, अवसाद, पीड़ा, वेदना, आक्रोश, चुनौतियों, दुर्भिसन्धियों, संघर्ष एवं जीविविषा को एक स्थान पर महसूस किया जा सकता है। पांच सौ पचपन पृष्ठों के इस वुहद कथा ग्रन्थ की सबसे बड़ी खसुसियत यह है कि इसमें जहां एक ओर रमा प्रसाद पहाड़ी जैसे कहानीकार की कहानी को शामिल किया गया है वहां दूसरी ओर ४१ वर्षीय आत्मा रंजन की कहानी को भी स्थान दिया गया है। पहाड़ की रचनाशीलता को प्रस्तुत करने वाला यह ऐतिहासिक दस्तावेज आने वाली पीढ़ी के लिए एक लाइटहाउस का काम करता रहेगा। पुस्तक का मूल्यांकन प्रस्तुत करते हुए आलोचक डॉ. हेमराज कौशिक ने इस कथा संकलन को अत्यन्त श्रमसाध्य बताया जिसे श्रीजिसे श्रीनिवास श्रीकातं जैसे रचनाकार ने अपनी बेबाक समीक्षात्मक टिप्पणियों के साथ लम्बी भूमिका के द्वारा हिन्दी कहानी के पाठकों को अमूल्य धरोहर के रूप में प्रस्तुत किया है।
आयोजन के प्रारम्भ होने से पूर्व हिमाचल के तीन रचनाकार साथियों सर्वश्री रत्न सिंह हिमेश, डॉ0 शम्मी शर्मा और डॉ0 ठाकुर दत शर्मा आलोक को दो मिनट का मौन रखकर भावभीनी श्रद्धांजति अर्पित की गई। मंच के अध्यक्ष और लेखक तथा इस कथा-ग्रन्थ के संयोजक श्री एस आर हरनोट ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए इस योजना के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला और सभागार में उपस्थित सभी का स्वागत किया। मंच का संचालन कला, भाषा एवं संस्कृति अकादेमी के सचिव एवं साहित्यकार डॉ0 तुलसी रमण ने किया। इस आयोजन में नेपाली लेखक जगदीश राणा, राम दयाल नीरज, सत्यन शर्मा, सरोज वशिष्ठ, रेखा, तेज राम शर्मा, बद्रीसिंह भाटिया, डॉ0 जगन सिंह, डॉ0 कृपा शंकर सिंह, आर सी शर्मा, आत्मा रंजन, जगत प्रसाद शास्त्री, इस्मिता सिंह सहित कई गणमान्य लेखक, पत्रकार और बुद्धिजीवी उपस्थित थे।
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