सोमवार, 28 नवंबर 2011

भारतीय हिन्दी परिषद का 39वाँ अधिवेशन और अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

लखनऊ, १५-१६ अक्तूबर २०११ आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय के द्वारा आयोजित द्विदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी सफलता पूर्वक संपन्न हुई।

पहले सत्र ’’नई सदी में हिन्दी का वैश्विक परिदृश्य’’ विषय पर संगोष्ठी को पूर्व राज्यपाल श्री माता प्रसाद जी ने उद्बोधित किया। अध्यक्षीय वक्तव्य देते लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज कुमार मिश्र ने दिया। इसके पूर्व भारतीय हिन्दी परिषद के अध्यक्ष प्रो. त्रिभुवन नाथ शुक्ल का वक्तव्य हुआ। परिषद के प्रधानमंत्री प्रो० लक्ष्मीनारायण भारद्वज ने परिषद का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

हिन्दी विभाग एवं भारतीय हिन्दी परिषद के पूर्व अध्यक्ष व प्रतिष्ठित साहित्यकार प्रो० सूर्य प्रसाद दीक्षित ने परिषद के गौरवपूर्ण इतिहास एवं उसके क्रिया कलापों पर संक्षिप्त रूप से प्रकाश डाला। इस अवसर पर हिन्दी की सेवा के लिए समर्पित २४ साहित्य प्रेमियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। उद्धाटन सत्र के केन्द्र बिन्दु रहे कोह जोहं किम् ने दक्षिण कोरिया में हिन्दी की दशा एवं दिशा का उल्लेख करते हुए हिन्दी की सर्जन्नात्मक गतिविधियों एवं अनुवाद के माध्यम से हिन्दी की सामर्थ्य और शक्ति का उल्लेख किया। इस अवसर पर डॉ० रमेश चन्द्र त्रिपाठी द्वारा संपादित स्मृति-उपायन, डॉ० बलजीत श्रीवास्तव द्वारा संपादित-शोध सृजन पत्रिका और डॉ० उषा गुप्त द्वारा लिखित- अमेरिका में हिन्दी’ पुस्तक का लोकर्पण किया गया। उद्घाटन समारोह का संचालन-भारतीय हिन्दी परिषद के साहित्य मंत्री- डॉ० वीरेन्द्र नारायण यादव और आभार प्रदर्शन संगोष्ठी के आयोजन सचिव एवं हिन्दी विभाग के प्रोफेसर पवन अग्रवाल ने किया।

संगोष्ठी के दूसरे दिन समानान्तर नौ संगोष्ठियाँ सम्पन्न हुई। प्रथम संगोष्ठी ’समकालीन हिन्दी गद्य’ विषय पर शोद्य-पत्रों का वाचन किया गया जिसकी अध्यक्षता डॉ. लक्ष्मी नारायण भारद्वाज ने की। विषय प्रवर्तन डॉ. खुशीराम शर्मा ने किया और वक्ता के रूप में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित मेहरून्निसा परवेज, डॉ. लक्ष्मण सहाय (ग्वालियर), प्रो. म.मा. कडू (नागपुर) तथा डॉ. यतीन्द्र तिवारी (कानपुर) ने अपने विचार व्यक्त किये। संचालन डॉ. अलका पाण्डेय ने किया।

दूसरी संगोष्ठी ’समकालीन विमर्श (दलित, स्त्री, आदिवासी) विषय पर शोध-पत्रों का वाचन किया गया, जिसकी अध्यक्षता, पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष, प्रो. सरला शुक्ल ने की। वक्ता के रूप में राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर के प्रो. नंद किशोर पाण्डेय, प्रो. कालीचरण स्नेही, डॉ. क्षमाशंकर पाण्डेय, डॉ. निर्मला, डॉ. राजेश कुमार, डॉ. केदार सिंह, प्रो. कात्यायनी सिंह, डॉ. अर्चना शर्मा, डॉ. मुनीत शर्मा, डॉ. पंकज सिंह, डॉ. कमलेश कुमारी रानी, डॉ. आदित्य प्रियदर्शी, डॉ. किरन शर्मा और अमेरिका से पधारे डॉ. राम बाबू गौतम ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रविकान्त ने किया।

’हिन्दी लोक वाङमय’ विषय पर तीसरी संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. आद्याप्रसाद द्विवेदी, (गोरखपुर) ने की। विषय प्रवर्तन डॉ. भरत सिंह ने किया तथा प्रो. राम दरश राय, डॉ. चन्द्रमणि शर्मा, डॉ. कुसुम सिंह डॉ. समीर कुमार झा, डॉ. नलिन रंजन तथा अस्मि पाण्डेय ने अपने पत्रों का वाचन किया। संचालन डॉ. परशुराम पाल ने किया।

‘प्रयोजनमूलक हिन्दी’ विषय से सम्बन्धित चौथी संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. पूरनचन्द टण्डन (दिल्ली) ने की। प्रमुख वक्ता जोधपुर से पधारे डॉ. श्रवण कुमार मीणा के वक्तव्य के बाद ३२ शोध-पत्र प्रस्तुत हुए जिसमें डॉ. मुक्ता खन्ना, डॉ. रेखा गुप्ता, डॉ. विद्या रानी, डॉ. किरन शर्मा, डॉ. तारकेश्वर नाथ सिन्हा, डॉ. अनिल सिंह, डॉ. मिथिलेश कुमारी मिश्र, डॉ. अनीता, डॉ. सुरेश माहेश्वरी आदि ने की अपने शोध-पत्रों का वाचन किया। संचालन डॉ. हेमांशुसेन ने किया।

’जन संचार और हिन्दी’ विषय संबंधित पाँचवी संगोष्ठी अध्यक्षता प्रो. त्रिभुवन नाथ शुक्ल ने की। विषय प्रवर्तन श्री कैलाशचंद पंत ने किया तथा डॉ. दीपक प्रकाश त्यागी ने हिन्दी के तीन स्वरूपों की विवेचना की। इस संगोष्ठी में डॉ. संजीव कुमार दुबे (मुम्बई), डॉ. अवधेश कुमार (भोपाल), डॉ. हरीश अरोड़ा (दिल्ली), डॉ. सुबोध अग्निहोत्री (उत्तराखण्ड), डॉ. सोनू अन्नपूर्णा और हनुमान प्रसाद शुक्ल (जयपुर) ने अपने पत्रों का वाचन किया। इस संगोष्ठी का संचालन डॉ. रमेश चन्द्र त्रिपाठी ने किया।

छठी संगोष्ठी ’भाषा प्रौद्योगिकी’ विषय की अध्ययक्षता प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने की। विषय-प्रवर्तन पुणे से पधारे श्री अमित श्रीवास्तव ने किया और डॉ. पुनीत मिश्र, डॉ. प्रवण शास्त्री, डॉ. शोभा रानी श्रीवास्तव, डॉ. उषा मिश्र आदि शोध-पत्र वाचन किया।

’अवध संस्कृति और राम साहित्य’ विषय पर आधारित सातवीं संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह (इलाहाबाद) ने की। इस संगोष्ठी में डॉ. एन.जी. देवकी (केरल), डॉ. मनोरमा अवस्थी, डॉ. आभा त्रिपाठी, प्रो. मीरा दीक्षित (इलाहाबाद), डॉ. सभापति मिश्र, डॉ. सुरेशपति त्रिपाठी, डॉ. पवन कुमार आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। संचालन प्रो. प्रेमशंकर तिवारी ने किया।

’हिन्दी की भाषिक समस्याएँ’ विषय पर आठवीं संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. धर्मदेव तिवारी (गुवाहाटी) ने की। विषय प्रवर्तन प्रो. राम किशोर शर्मा (इलाहाबाद) ने किया। प्रो. नरेश मिश्र (रोहतक), प्रो. भगवान देव पाण्डेय (हरिद्वार), डॉ. एम. शेषन (चेन्नई) ने अपने शोध-पत्रों का वाचन किया। संचालन प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह ने किया।

नौवीं संगोष्ठी ’देशान्तरी हिन्दी’ विषय की अध्यक्षता डॉ. यज्ञप्रसाद तिवारी (शहडोल) ने तथा विषय प्रवर्तन डॉ. रामलखन गुप्त (जबलपुर) तथा श्रीयुत श्रीधर पराड़कर (ग्वालियर) ने किया। मुख्य अतिथि डॉ. उषा गुप्ता (प्रवासी अमेरिका) थीं। डॉ. कामता कमलेश (अमरोहा), डॉ. विमला सिंहल (मीलवाड़ा), डॉ. करूणा शंकर उपाध्यक्ष (मुम्बई), डॉ. टी.एन. सिंह ने पत्र वाचन किया। संचालन डॉ. राहुल पाण्डेय ने किया।

भारतीय हिन्दी परिषद एवं अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में मुख्य अतिथि माननीय श्री सुभाष पाण्डेय, संस्कृति मंत्री उ.प्र. सरकार थे। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. यू.एन. द्विवेदी प्रतिकुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय की। कार्यक्रम तीन पुस्तकों का लोकार्पण माननीय मंत्री जी ने किया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का प्रतिवेदन डॉ. रमेश चन्द्र त्रिपाठी ने किया तथा संचालन डॉ. वीरेन्द्रनारायण यादव ने किया। धन्यवाद ज्ञापन हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. कैलाश देवी सिंह ने किया।

कोई टिप्पणी नहीं: