सोमवार, 26 सितंबर 2011

श्रीनिवास श्रीकांत की आलोचना पुस्तक गल्प के रंग का लोकार्पण

शिमला, 6 अगस्त 2011, बचत भवन में जानेमाने कवि-आलोचक श्रीनिवास श्रीकांत की आलोचना पुस्तक गल्प के रंग का लोकार्पण प्रख्यात आलोचक डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय के हाथों संपन्न हुआ। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जिस भाषा के पास अच्छे आलोचक नहीं होते उस भाषा का विकास संभव नहीं हो पाता। हिन्दी के पास आलोचना की लम्बी परम्परा रही है। हमारे पास पुरानी पीढ़ी से लेकर युवा पीढ़ी तक के आलोचक शामिल हैं। अच्छी रचना आलोचक को खुद अपने पास बुलाती है। डॉ0 श्रोत्रिय ने श्रीनिवास श्रीकांत की आलोचना पुस्तक पर विस्तार से बात करते हुए कहा कि श्री निवास मूलतः कवि हैं लेकिन इस पुस्तक के माध्यम से उनका श्रेष्ठ मर्मज्ञ आलोचक सामने आया है जिससे उनकी आलोचना दृष्टि की ऊंचाई का पता चलता है। श्रीनिवास श्रीकांत ने पुस्तक में 15 आलोचना निबन्ध लिखें हैं जिसमें हिन्दी के ग्यारह लेखक, मराठी के दो और जर्मन के हैं। उन्होंने पुस्तक में संग्रहीत निर्मल वर्मा, कमलेश्वर, मृदुला गर्ग, केशव और हरनोट की पुस्तकों पर लिखे आलोचना लेखों के साथ गुण्टर ग्रास पर लिखे आलेख को सबसे श्रेष्ठ आलोचना लेख बताया। उन्होंने कहा कि पुस्तक में संग्रहीत अन्य लेख भी आलोचना की दृष्टि से अच्छे बन पडे हैं।

कार्यक्रम की शुभारम्भ एस आर हरनोट ने श्रीनिवास श्रीकांत की कविताओं से किया और कहा कि श्रीनिवास श्रीकांत के रचनाकर्मी जीवन में दो लम्बे अन्तराल है। एक 1954 और 1970 के बीच और दूसरा सहत्तर के मध्य से नई सदी के लगभग मध्य तक, जब वे न अपना कुछ प्रकाशित करवा पाए और न इतनी चर्चा में ही रहे। 2007 में एकाएक बात करती है हवाएँ, 2008 में घर एक यात्रा है और 2010 में हर तरफ समंदर है और कथा में पहाड़ से ये पुनः अपनी शीत निद्रा से अकस्मात जागे हैं और श्रीश्री जी ने समकालीन कविता में ही नहीं, समकालीन रचनात्मक आलोचना में भी अपनी एक विशिष्ठ पहचान बना कर हिन्दी के समकालीन लेखक वर्ग को अपनी ओर आकर्षित किया है। कथा में पहाड़ लगभग 40 महत्वपूर्ण कथाकारों की कहानियों को टिप्पणियों के साथ पुस्तकाकार रूप में प्रस्तुत करना आसान काम नहीं था। वरिष्ठ आलोचक डॉ0 हेमराज कौशिक ने श्रीनिवास श्रीकांत के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला और उनकी आलोचना दृष्टि पर "गल्प के रंग" के संदर्भ में विस्तार से बात की। इस अवसर पर प्रसिद्ध कथाकार केशव नारायण, आलोचक आत्मा रंजन, चर्चित युवा कवि सुरेश सेन निशांत एवं  नेपाली लेखक जगदीश राणा ने भी अपने विचार प्रकट किये। वयोवृद्ध कवि और लेखक श्रीनिवास श्रीकांत ने इस अवसर पर एकल कविता पाठ भी किया और उन्होंने तरन्नुम में गीत और गजलें भी सुनाई। मंच का सफल संचालन आत्म रंजन ने किया। इस आयोजन में शिमला व प्रदेश के विभिन्न भागों से लगभग 130 लेखक उपस्थित थे जिनमें सत्येन शर्मा, राम दयाल नीरज, सुदर्शन वशिष्ठ, सुशील कुमार फुल्ल, बद्री सिंह भाटिया, राजकुमार राकेश, रमेश चन्द्र शर्मा, जयवंती डिमरी, श्रीनिवास जोशी, कुल राजीव पंत आर0डी0 शर्मा, मस्त राम शर्मा, एस.शशि, मीनाक्षी पाल, राजेन्द्र राजन, ओम प्रकाश भारद्वाज, रत्न चंद निर्झन, रमेश शर्मा, खेम राज शर्मा, जगम प्रसाद शास्त्री, विशम्भर सूद, प्रमुख थे। समारोह का आयोजन हिमालय साहित्य, संस्कृति और पर्यावरण मंच द्वारा किया गया।

एस आर हरनोट,
द्वारा-हि0प्र0 पर्यटन विकास निगम, रिट्ज एनैक्सी, शिमला-171001

कोई टिप्पणी नहीं: