सोमवार, 30 मई 2011

"कौन सी ज़मीन अपनी" का विमोचन

चित्र में --दाएँ से बाएँ-- डॉ. अफ़रोज़ ताज, श्रीमती सरोज शर्मा,
श्रीमती ऊषा देव, श्रीमती बिंदु सिंह, रमेश शौनक
हिन्दी जगत की जानी- मानी कवयित्री, कहानी लेखिका, पत्रकार, रेडियो, टी.वी. तथा रंगमंच की कलाकार सुधा ओम ढींगरा के कहानी संग्रह "कौन सी ज़मीन अपनी" का विमोचन, यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलाईना के तत्त्वाधान में प्रो. अफ़रोज़ ताज द्वारा आयोजित समारोह में संपन्न हुआ। सभा का आरम्भ श्री जान काल्डवेल की स्वागत पंक्तियों और हिंदी विकास मंडल की अध्यक्षा श्रीमती सरोज शर्मा के आशीर्वाद से हुआ।

डॉ. अफ़रोज़ ताज ने सुधा ओम ढींगरा की कृतियों पर चर्चा करते हुए उनकी सीधी सरल भाषा में कहानियाँ लिखने के अंदाज़ की बहुत प्रशंसा की। उन्होंने यह भी कहा कि कहीं भी ऐसा नहीं लगता कि वे भारत से इतनी दूर बैठी लिख रही हैं। उनकी कहानियों में आधुनिकता के साथ- साथ परम्परावाद भी है। जहाँ एक ओर पंजाब के किसानों की बात करतीं हैं तो दूसरी ओर अमरीका के अत्याधुनिक परिवेश का चित्रण भी करतीं हैं। इस समारोह में हिंदी- उर्दू जगत के कई विशिष्ट व्यक्तित्व शामिल हुए जिन्होंने न केवल अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की बल्कि "कौन सी ज़मीन अपनी" की बहुत सराहना की। प्रो.अफ़रोज़ ने कहा कि सुधा जी की रचनाएँ अमेरिका के कई विश्विद्यालयों के हिंदी पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाती हैं। रमेश शौनक ने सुधा जी की कहानियाँ को 'समाज की जमी हुई सिल' को तोड़ती कहानियाँ बताया और बिंदु सिंह ने " कौन सी ज़मीन अपनी" के नारी पात्रों पर चर्चा की। उनके अनुसार सुधा जी की कहानियों के नारी पात्र चुप रह कर प्रतिवाद करते हैं, शोर-शराबा नहीं करते। इनकी कहानियों की नारियाँ कभी भी अपनी परम्पराओं को नहीं भूलतीं, जो ग़लत है उसका प्रतिरोध करते हुए अपने आप को सक्षम और सशक्त बनातीं हैं। श्रीमती सीमा फ़ारूखी ने सुधा जी की "एग्ज़िट" कहानी को अपनी ही कहानी बताते हुए कहा कि इन की कहानियाँ हमारी आम ज़िन्दगी से बहुत जुड़ी हुई हैं।

श्रीमती उषा देव ने पंकज सुबीर और अदिति मजूमदार ने अखिलेश शुक्ल की "कौन सी ज़मीन अपनी" पर लिखी समीक्षाएं पढ़ीं। अंत में सुधा जी की 'एग्ज़िट' कहानी का उन्हीं के द्वारा पाठ हुआ।  रंगमंच और रेडियो से जुड़े होने के कारण उनके कहानी पढ़ने के अंदाज़ से लोग मन्त्र -मुग्ध हो गए। रात्रि -भोज के साथ सभा का समापन हुआ।

1 टिप्पणी:

Archana ने कहा…

Sudhaji,

Badhai! 'Kaun Se Jameen Apni,' the title itself is catching and touching. I am sure the stories is this sanklan must be interesting. I hope, I'll get a chance to read it.
Archana Painuly