रविवार, 4 जुलाई 2010

स्नेह ठाकुर की 'संजीवनी' और 'उपनिषद दर्शन' का लोकार्पण


अक्षरम के आठवें 'अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी उत्सव' दिल्ली में श्रीमती स्नेह ठाकुर की दो पुस्तकें, 'संजीवनी' (रोग निदान व स्वास्थ्य संबंधी परिस्थितियों की जानकारी) एवं 'उपनिषद दर्शन' का लोकार्पण डॉ. सत्येन्द्र श्रीवास्तव की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। दूसरी बार इन पुस्तकों का लोकार्पण चित्रकूट की पावन पुनीत धरती पर तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु श्री रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य, जीवन-पर्यन्त कुलाधिपति 'जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्व-विद्यालय' चित्रकूट, के कर-कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ। गुरु जी ने लोकार्पण के अवसर पर तत्काल बनाये अपने संस्कृत श्लोकों से आशीर्वाद दिया। आदरणीया माँ मातेश्वरी देवी जो कर्नाटक की अम्माँ के नाम से भी जानी जाती हैं, ने भी दोनों पुस्तकों को अपना आशीर्वाद देते हुए 'राम मंदिर' का प्रतिरूप स्मृति-चिन्ह प्रदान किया।

श्रीमती स्नेह ठाकुर 'वसुधा' हिन्दी साहित्यिक पत्रिका की संपादक-प्रकाशक एवं 'सद्भावना हिन्दी साहित्यिक संस्था' कैनेडा की अध्यक्ष हैं, तथा जिनकी १३ पुस्तकें साहित्य की विभिन्न विधाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं और जिन्होंने ४ पुस्तकों का संकलन व संपादन किया है। अपने भारत प्रवास के दौरान उन्होंने 'अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी उत्सव' दिल्ली में 'प्रवासी साहित्य में अस्मिता का प्रश्न', के सत्र में अपने विचार व्यक्त किये तथा दूसरे दिन अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कविता पाठ किया। उन्हें साहित्य अकादमी, दिल्ली, भारत द्वारा भी प्रवासी मंच के अन्तर्गत कहानी पाठ के लिए आमंत्रित किया गया जिसमें उन्होंने 'जागृति' शीर्षक कहानी का पाठ किया।

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