शनिवार, 26 दिसंबर 2009

'कौन कुटिल खल कामी' 'लीलारानी स्मृति पुरस्कार' से पुरस्कृत


'मोगा, पंजाब की संस्था ने दिल्ली की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था 'शब्दसेतु' के तत्वावधान में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में प्रसिद्ध व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय की कृति 'कौन कुटिल खल कामी' को दसवें 'लीलारानी स्मृति पुरस्कार' से सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. हरीश नवल ने की तथा कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि नेशनल बुक ट्रस्ट में संपादक, डॉ. बलदेव सिंह बद्दन थे। कार्यक्रम में दिविक रमेश, प्रताप सहगल, गिरीश पंकज, एवं लालित्य ललित ने प्रेम जनमेजय के रचना कर्म तथा व्यक्तित्व पर अपने विचार व्यक्त किए। आरंभ में पुरस्कार-समिति के अध्यक्ष के. एल. गर्ग ने 'कौन कुटिल खल कामी' की समाकलीन हिंदी व्यंग्य साहित्य में विशिष्टता को रेखांकित किया तथा बताया कि इससे पूर्व यह पुरस्कार रवींद्रनाथ त्यागी, ज्ञान चतुर्वेदी, गिरीश पंकज, आदि को दिया जा चुका है। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में हरीश नवल ने समाकलीन व्यंग्य परिदृश्य का विस्तृत विश्लेषण करते हुए उसमें प्रेम जनमेजय के व्यंग्य- रचना- कर्म एवं 'व्यंग्य यात्रा' के संपादक के रूप में उनके विशिष्ट योगदान की चर्चा की। इस अवसर पर प्रेम जनमेजय के सद्यः प्रकाशित संकलन 'इक्यावन श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ' , डॉ. बलदेव सिंह बद्दन एवं धर्मपाल सिंघल की पुस्तक 'गुरु रविदास जी की सटीक वाणी' तथा के.एल. गर्ग द्वारा कन्हैयालाल कपूर के चालीस व्यंग्य लेखों के संपादित संकलन 'हास्य-चालीस' का लोकार्पण भी किया गया। डॉ. गर्ग ने 'हास्य चालीसा' पर प्रकाश डाला तथा इसके महत्व को रेखांकित करने के लिए पुस्तक से अंश पढ़ा। डॉ. बद्दन ने संत-साहित्य की परंपरा में रविदास जी की वाणी के महत्व को रेखांकित किया तथा साथ ही प्रेम जनमेजय के व्यंग्य साहित्य में योगदान की चर्चा की। इस कार्यक्रम में सुरेश धींगडा, सुभाष चंदर, श्रवणकुमार उर्मालिया, शशि सहगल, गौरव त्रिपाठी, हर्षवर्धन आर्य, आस्था, स्नेह सुधा, आशा कुंद्रा, समेत अनेक साहित्य प्रेमियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. रवि शर्मा एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. हरीश अरोड़ा ने किया।

रवि शर्मा, सचिव 'शब्दसेतु' डॉ. प्रेम जनमेजय

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