शनिवार, 26 दिसंबर 2009

प्रेमचंद सहजवाला की पुस्तक का लोकार्पण सम्पन्न

चित्र में- पुस्तक का अनावरण करते भारत भारद्वाज, प्रो. चमन लाल, विभूति नारायण राय, हिंमाशु जोशी, साथ में खड़े हैं लेखक प्रेमचंद सहजवाला नई दिल्ली। १२ नवम्बर हिन्द-युग्म ने गाँधी शांति प्रतिष्ठान सभागार में प्रेमचंद सहजवाला द्वारा लिखित पुस्तक 'भगत सिंहः इतिहास के कुछ और पन्ने' का विमोचन-कार्यक्रम आयोजित किया। पुस्तक का विमोचन प्रसिद्ध साहित्यकार और महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ने किया। इस कार्यक्रम में भगत सिंह विषय के घोषित विशेषज्ञ प्रो. चमन लाल, वरिष्ठ कथाकार हिमांशु जोशी और वरिष्ठ आलोचक भारत भारद्वाज ने 'बदलते दौर में युवा चेतना और भगत सिंह की परम्परा' विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी में अपने-अपने विचार रखे। उल्लेखनीय है कि यह पुस्तक हिन्दी ब्लॉगिंग की दुनिया से पहली ऐसी पुस्तक है जो किसी ख़ास विषय पर केन्द्रित है और पहले ब्लॉग पर सिलसिलेवार ढंग से प्रकाशित है। इस पुस्तक के सभी १३ अध्याय पहले हिन्द-युग्म पर प्रकाशित हैं, जिनमें भगत सिंह के जीवन, जीवन दर्शन और गांधी के साथ इनके मतांतर को रेखाकिंत किया गया है। प्रेमचंद सहजवाला ने इसे पुस्तक रूप देने से पहले सभी अध्यायों को संशोधित और परिवर्धित भी किया है। हिन्द-युग्म ने विमोचन कार्यक्रम के साथ 'बदलते दौर में युवा चेतना और भगत सिंह की परम्परा' विषय पर एक गोष्ठी भी आयोजित किया था, जिसमें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केन्द्र के अध्यक्ष और भगत सिंह से संबंधित कई पुस्तकों और दस्तावेज़ों के संपादक प्रो. चमन लाल, मशहूर कथाकर हिमांशु जोशी, पुस्तक-वार्ता के संपादक और वरिष्ठ आलोचक भारत भारद्वाज और इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विभूति नारायण राय अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए। इसके बाद आनंदम संस्था के प्रमुख जगदीश रावतानी ने सभी अतिथियों और श्रोताओं का धन्यवाद किया। मंच का संचालन युवा कवि प्रमोद कुमार तिवारी ने किया। कार्यक्रम में अल्का सिंहा, युवा कवयित्री सुनीता चोटिया, हिन्द-युग्म के संपादक शैलेश भारतवासी, वरिष्ठ कवि मुनव्वर सरहदी, वरिष्ठ शायर मनमोहन तालिब, परिचय-संस्था की प्रमुख उर्मिल सत्यभूषण, इस कार्यक्रम के संयोजक और युवा कवि रामजी यादव, कवि-लेखक रंजीत वर्मा, कामरेड पीके साही, सपर-प्रमख राकेश कुमार सिंह, कवयित्री ममता किरण इत्यादि उपस्थित थे।

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