रविवार, 11 नवंबर 2012

निदा फ़ाज़ली एवं शोभित देसाई को वातायन कविता सम्मान


५ नवम्बर लन्दन के हाउस ऑफ़ लार्डस में बैरोनैस फ्लैदर के संरक्षण में वातायन: पोएट्री ऑन साउथ बैंक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में प्रसिद्ध कवि और लेखक श्री निदा फ़ाज़ली को वातायन शिखर पुरस्कार एवं मूलतः गुजराती कवि श्री शोभित देसाई को वातायन पुरस्कार से अलंकृत किया गया। वातायन संस्था २००४ से प्रति वर्ष भारत के एक कवि को उसकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए सम्मानित करती चली आ रही है। पिछले वर्ष, इसी स्थान पर श्री प्रसून जोशी को वातायन सम्मान और जावेद अख्तर साहब को शिखर सम्मान से अलंकृत किया गया था।

केम्ब्रिज के पूर्व-प्राध्यापक और जाने-माने लेखक, डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव, की अध्यक्षता में सर्वप्रथम स्वर्गीय डा गौतम सचदेव के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए एक मिनट का मौन रखा गया। साउथ एशियन सिनेमा फ़ौंडेशन के संस्थापक/सम्पादक श्री ललित मोहन जोशी ने इस कार्यक्रम के संचालन की बागडोर संभाली, यू.के. हिन्दी समिति के अध्यक्ष और पुरवाई के सम्पादक, डॉ पद्मेश गुप्त ने स्वागत वक्तव्य और पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन से समारोह का शुभारम्भ किया, स्वतंत्र पत्रकार और लेखिका शिखा वार्ष्णेय ने सम्मान-पत्र का वाचन किया, मेज़बान बैरोनेस श्रीला फ्लैदर ने श्री शोभित देसाई को शॉल ओढ़ाई और डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने श्री देसाई को सम्मान-पत्र एवं पुरस्कार प्रदान किए। इसके बाद, प्रसिद्द गायक राजन शगुन्शे और उदीयमान गायिका उत्तरा सुकन्या जोशी ने निदा फाजिली साहब का मशहूर गीत, 'ये जो दुनिया है ये जादू का खिलौना है' प्रस्तुत किया। एन.आर.आई. वेब-रेडियो एवं हेल्थ एंड हैपीनेस पत्रिका के सम्पादक और हिस्ट्री.कौम के निर्माता विजय राणा के सम्मान पत्र के वाचन के पश्चात बैरोनेस श्रीला फ्लैदर ने निदा फाज़ली को शाल ओढ़ा कर उनका स्वागत किया और डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने उन्हें सम्मान-पत्र और पुरस्कार प्रदान किए।

दूसरे सत्र के आरम्भ में पाकिस्तानी विद्यार्थी मलाला यूसफज़ाई को याद किया गया और उसके पश्चात यू.के. हिन्दी समिति के उन्नीसवें अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मलेन का शुभारम्भ हुआ, जिसकी बागडोर स्वयं शोभित देसाई ने संभाली। स्थानीय कवि मोहन राणा, तितिक्षा शाह, चमनलाल चमन और सोहन राही ने अपनी दो दो रचनाओं का पाठ और फिर निदा फाज़ली ने मंच संभाला। निदा साहब के क़िस्से, कविताएँ और गज़लें एक से बढ़ कर एक थीं। अपने स्वर्गीय पिता पर लिखी उनकी एक कविता ने श्रोतागणों को झिंझोड़ कर रख दिया, जिसकी अंतिम पंक्तियाँ हैं, 'तुम्हारी क़ब्र में मैं दफ़न हूँ, तुम मुझमें ज़िंदा हो।' अपने अध्यक्षीय-भाषण में डॉ। सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने जवाहरलाल नेहरु से सम्बंधित एक घटना सुनाई कि पिक्केडल्ली से गुज़रते वक्त नेहरु जी एक बार पोएट्री सोसाइटी के दफ्तर के सामने रुक कर बोले कि क्या ही अच्छा हो कि यहाँ भारतीय कवि भी अपना कविता-पाठ कर पाएं। उनका सपना सच हुआ; आज भारतीय कवि हाउस ऑफ लॉर्ड्स में कविता पाठ करने में सक्षम हैं। यह गर्व और हर्ष का विषय है कि वातायन संस्था भारतीय कवियों को वैश्विक मंच दे रही है।  अंत में, मेज़बान बेरोनेस फ्लैदर एवं वातायन की संस्थापक और जानी मानी लेखिका दिव्या माथुर ने सभी मेहमानों का ह्रदय से धन्यवाद किया। समारोह में लन्दन की कई सांस्कृतिक संस्थाओं के कार्यकर्ताओं के अलावा साहित्य और पत्रकारिता से जुड़े हुए बहुत से गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। यह शाम अपने आप में एक अविस्मरणीय शाम रही और श्रोताओं की तालियों और वाह वाह से हॉल लगातार गूँजता रहा।

जाने-माने पत्रकारों में शामिल थे श्री सी बी पटेल (गुजरात समाचार, एशियन वौइस), रवि शर्मा (सनराइज़ रेडियो), ध्रुव घडावी (ज़ी टी वी), कुलदीप भारद्वाज (एम् ए टी वी), स्काइलार्क के सम्पादक, डा योगेश पटेल, अनवर सेन राय (बीबीसी प्रोड्यूसर-उर्दू), लवीना टंडन (सी वी बी न्यूज़), श्री विभाकर और हिना बक्शी (नवरस रिकॉर्डस), पुष्पिंदर चौधुरी (टंग्स औन फ़ायर), डा हिलाल फ़रीद और मुस्तफा शहाब (अलिगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलुमनाई), अय्यूब औलिया (अल्ला रखा फाउंडेशन), कुसुम पन्त जोशी (साउथ एशियन सिनेमा), रीनी ककाती (असामीज कम्यूनिटी), अख्तर गोल्ड (कृति-यूके), यावर अब्बास (फिल्म निर्माता), अरुणिमा कुमार (मशहूर कुचीपुडी नृत्यांगना), जेरू रॉय (स्त्री विमर्श, कलाकार), इन्दर सियाल (गायक), बज माथुर (वास्तुकार), ग़ुलाम अहमद (वकील) और शारदा, विनीता और आश्विन तवाकली (माथुर एसोसिएशन-यूके) के अलावा हिन्दी के बहुत से लेखक और कवि भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए - प्रो श्याम मनोहर पांडे, इस्माइल चूनारा, उषा राजे सक्सेना, साथी लुधियानवी, जितेन्द्र बिल्लू, डा कविता वाचक्नवी, दीपक मशाल और स्वाति भालोटिया।

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