गत दिवस हिन्दी विकास मंडल एवं शिडोरी प्रोडक्शंज़ ने बालीवुड के कपूर परिवार को हिन्दू भवन (मोर्रिस्विल्ल, नॉर्थ कैरोलाईना) के सभागार में संगीत, दृश्य, नाटक , रौशनी एवं ध्वनी के सम्मिश्रण से सजा शो प्रस्तुत कर श्रद्धांजलि भेंट की। २५ कलाकारों ने इस शो में हिस्सा लिया। स्टेज पर आर. के. स्टूडियो का सेट बनाया गया था और शो का आरंभ आर. के. स्टूडियो का दरवाज़ा खुलने पर हुआ और साथ ही आरंभ हुई इसकी कहानी।
देवयानी नाम की फ़िल्म अभिनेत्री जो अपने समय में राज साहब को चाहती थी पर राज कपूर ने उसे स्वीकार नहीं किया था...उसकी रूह आर. के. स्टूडियो में भटकती रहती है और जब भी स्टूडियो के दरवाज़े खुलते हैं तो वह स्वयं को जिंदा महसूस करने लगती है। स्टेज पर वह यूवी लाईट में उभरती है यानि एक सफेद साड़ी दर्शकों के सामने आती है और बोलना शुरू करती है तभी आर. के. स्टूडियो में टंगे चाँद में से समय की आवाज़ उभरती है। इस तरह से दोनों के संवादों से चार पीढ़ियों की कहानी कही गई।
इसकी परिकल्पना की थी रवि देवराजन ने और निर्देशक भी वही थे। कपूर परिवार के बारे में शोध किया था बिंदु सिंह ने। सुधा ओम ढींगरा और बिंदु सिंह ने पटकथा और संवाद लिखे। आवाज़ दी रवि देवराजन और सुधा ओम ढींगरा ने। नाटकीय सहयोग था अफ़रोज़ ताज, जॉन काल्डवेल और रमेश कलाग्नानम का। रूह का रोल निभाया सुधा ओम ढींगरा ने। स्वरों का जादू बिखेरा -भारती जावलकर, रवि कल्मथ, श्रीराम कृष्णास्वामी, प्रशांति श्रीनिवासन, एवं जयशंकर स्वामीनाथन। आर. के. स्टूडियो का सेट और कॉस्टयूम डिज़ाईन किए हिमगौरी देशमुख, वनश्री सेलुकर, अनु वीरकर, विद्या अर्वपल्ली, भावना सिंह, बिंदु सिंह एवं अंनत सिंह ने। गीत- संगीत के परामर्श दाता थे -कृष्ण जोशी एवं सम्पदा जोशी। रौशनी, विडिओ एवं ध्वनी अभियंता क्रमशः थे -संजय भस्मे, वेणु रावी, शिवा रघुनानन, राजीव रामराजन, राज पटेल एवं मोहन वेंकटाचलम।
सुवास शाह, अतीश कटारिया, अदिति मजूमदार, समिता तोशनिवाल की सहायता और भावना सिंह, अर्जुन देवराजन और नफीसा शेख़ के नेतृत्व में युवा वर्ग का सहयोग सराहनीय था। करीना जावेलकर, अनामिका, अपर्णा एवं चिराग़ सत्संगी का साथ अतुलनीय था। कार्यक्रम का संयोजन किया था बिंदु सिंह ने। इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि हॉल खचाखच भर गया था और बहुत से लोगों को कार्यक्रम देखे बिना निराश लौटना पड़ा। यह कार्यक्रम स्थानीय कलाकारों ने मिल कर तैयार किया था और यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम नॉर्थ करोलाईना के ट्राईएंगल एरिया में हुआ। इससे प्राप्त धन हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में लगाया जायेगा।
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