१२ दिसंबर २०१० को विशाखपटनम की हिन्दी’ साहित्या संस्थाल ‘सृजन’ ने बिल्ड्र्स एसोशयेशन सभागार में संथा के सचिव एवं प्रसिद्ध हिन्दीं सेवी साहित्य।कार डॉ टी महादेव राव रचित ‘चुभते लम्हे ’ लघुकथा संग्रह के लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ हिन्दी साहित्यकार और वरिष्ठ हिन्दी आचार्य प्रो पी आदेश्वरर राव और विशेष अतिथि वरिष्ठ हिन्दी आचार्य प्रो एस एम इकबाल थे। पुस्तक विमोचन करते हुए प्रो पी आदेश्वर राव ने कहा कि डॉ टी महादेव राव की रचनाओं में एक अलग तरह का प्रभाव है जिसे फिर एक बार हम उनके इस लघुकथा संग्रह में पाते हैं। देखने में छोटे जरूर हैं पर इनमें गहन और गंभीर अभिव्यक्ति निहित है। उन्होंने इस लघुकथा संग्रह को पठनीय और विचार मंथन करने के लिए विवश करता संग्रह कहा। उन्होंने पुस्तक परिचय करते हुए कहा कि आज का आदमी लंबी रचनायें पढने की स्थिति में नहीं है और ऐसे में ऐसी छोटी कहानियों का अपना अलग महत्व हो जाता है और महादेव राव की यह लघुकथा संग्रह पाठक को अच्छी तरह उद्वेलित करती हैं और छोटे होने के बावजूद गंभीर घाव करने का प्रभाव रखती हैं। उन्होंने डॉ टी महादेव राव को पुस्तक प्रकाशन और विमोचन पर और साथ ही ऐसे समर्पित लेखन पर बधाई दी। उन्हों ने सृजन संस्था को अच्छे साहित्त्यिक कार्यक्रमों के सफल आयोजन पर अपना साधुवाद दिया।
विशेष अतिथि प्रो एस एम इकबाल ने कहा कि चुभते लम्हेंत के द्वारा महादेव राव में निहित कवि, हिन्दी उर्दू पर समान अधिकार से लिखने वाले रचनाकार से हमारा परिचय होता है। उन्होंने लघुकथाओं को न केवल प्रभावी बताया बल्कि संवेदनशील लेखक की पैनी दृष्टि और सजीव चित्रण बताया। उन्हों ने सृजन के सदस्योंं और कार्यक्रमों को हिन्दीे साहित्यर कों प्रेरित करने वाले कार्यक्रमों की संज्ञा दी। सबसे पहले स्वागत भाषण करते हुए संस्था् के संयुक्त सचिव डॉ संतोष अलेक्स ने आहुतों का स्वादगत किया और संस्था की गतिविधियों का विवरण प्रस्तु्त किया। उन्होंने कहा कि सृजन सभी रचनाकारों के मार्गदर्शन और संबल के लिए लगातार तत्पर रहता है। उन्होंने पुस्तषक विमोचन के इस कार्यक्रम को एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम कहा क्योंकि लेखक की कृति को सजग पाठकों के सम्मुख लाया जाता है। डॉ अलेक्स ने डॉ महादेव राव को एक सजग साहित्यकार बताते हुए कहा कि उनके नये रूपों से उनकी रचनायें अवगत कराती हैं।
सृजन के अध्य।क्ष नीरव कुमार वर्मा ने कहा कि साहित्य का अर्थ है समाज का हित चाहने वाला और समाज के प्रति अपने कर्त्तव्यों और दायित्वों के बारे में जानने वाला। कवि और लेखक अधिक जागरूक होते हैं अतः समाज के हित में रचनाधर्मिता अपनाने की आज के युग में आवश्ययकता है। सभी रचनाकार ऐसी संस्था में आयेंगे और गुणवत्ता पूर्ण कार्यक्रम हम जो आयोजित कर रहे हैं, उन्हें और अधिक स्तरीय बनाने में सहयोग करेंगे ऐसा मेरा विश्वास है। डॉ टी महादेव राव की पुस्तक चुभते लम्हे में, आज के युग में मानवीयता जिन विषम परिस्थीतियों से गुजर रही है उसका लघुकथाओं के रूप में प्रभावी प्रस्तुति है। उन्होंने लघुकथाओं को समाज का वर्तमान की विसंगतियों का प्रतीक बताया। अंत में पुस्तंक के लेखक और संस्थात सृजन के सचिव डॉ टी महादेव राव ने सभी उपस्थितों को धन्यतवाद दिया और विशेषकर इस कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान देने वाले वरिष्ठ साहित्यॉकारों और सभी साथियों का आभार माना। ज्ञातव्य है कि अब तक डॉ टी महादेव राव की गजल संग्रह ‘जज्बात के अक्षर’, कविता संकलन ‘ विकल्प की तलाश में’, शोध प्रबंध ‘ नई कविता के नाट्यकाव्यों में चरित्र सृष्टि’ और लेख संक्रलन ‘कश्मीर गाथा’ प्रकाशित हो चुकी हैं और अभिव्यक्ति सहित अनेक पत्र पत्रिकाओं में उनकी रचनायें प्रकाशित होती रहती हैं।
**** डॉ टी महादेव राव
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