२० जून २०१२ को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में निवर्तमान महामहिम प्रतिभा पाटील ने वर्ष २००८ और २००९ के लिये घोषित हिंदी सेवी पुरस्कार प्रदान किये। ये पुरस्कार केन्द्रीय हिंदी संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष १४ हिंदी साहित्यकारों अथवा हिंदी के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण काम करने वाले विद्वानों को प्रदान किये जाते हैं।
हिंदी सेवी सम्मान योजना १९८९ में प्रारंभ हुई थी। इसके अंतर्गत राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के उन्नयन, विकास एवं प्रचार-प्रसार हेतु उत्कृष्ट कार्यों के लिये प्रति वर्ष ७ श्रेणियों के १४ समर्पित विद्वानों को संस्थान द्वारा १ लाख रुपये, शाल तथा प्रशस्तिपत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाता है। २० जून को राष्ट्रपति भवन के अशोक हाल में आयोजित इस समारोह में वर्ष २००८ तथा २००९ के लिये चयनित विद्वानों को सम्मानित किया गया।
गंगाशरण सिंह पुरस्कार-
'गंगाशरण सिंह पुरस्कार' देश के स्वतंत्रता सेनानी 'गंगाशरण सिंह' की स्मृति में प्रदान किया जाता है, जो देशप्रेमी होने के साथ-साथ एक महान हिन्दी सेवक भी थे। यह पुरस्कार हिंदी प्रचार प्रसार एवं हिंदी प्रशिक्षण के क्षेत्र मे उल्लेखनीय कार्य के लिये प्रदान किया जाता है। वर्ष २००८ के लिये गंगाशरण सिंह पुरस्कार श्री गिरीश कर्नाड, श्री श्याम बेनेलगल, प्रो. माधुरी छेड़ा. बल्ली सिंह चीमा तथा वर्ष २००९ के लिये प्रो.वाई. लक्ष्मी प्रसाद, श्री मधुर भंडारकर, डॉ. दामोदर खड़से तथा प्रो. चमनलाल सप्रू को प्रदान किया गया।
यह पुरस्कार पत्रकार, राष्ट्र प्रेमी और शहीद स्वतंत्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी की स्मृति में दिया जाता है। यह पुरस्कार हिंदी पत्रकारिता और रचनात्मक साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य तथा विशिष्ट योगदान करने के लिये प्रदान किया जाता है।
वर्ष २००८ के लिये गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार श्री पंकज पचौरी, श्री विनोद अग्निहोत्री तथा वर्ष २००९ के लिये श्री ब्रजमोहन बख्शी एवं श्री बलराम को प्रदान किया गया।
यह पुरस्कार प्रसिद्ध वैज्ञानिक आत्माराम की स्मृति में दिया जाता है। आत्माराम अर्थपरक वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी के पक्षधर एक भारतीय, वैज्ञानिक थे, जिनका चश्मे के काँच के निर्माण में सराहनीय योगदान रहा था। वैज्ञानिक एवं तकनीकी साहित्य तथा उपकरण विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
वर्ष २००८ के लिये यह पुरस्कार प्रो. यशपाल, मुहम्मद खलील तथा वर्ष २००९ के लिये श्री सुभाष लखेड़ा तथा श्री नरेन्द्र सहगल को प्रदान किया गया।
यह पुरस्कार स्वतंत्रता सेनानी 'सुब्रह्मण्यम भारती' की स्मृति में प्रदान किया जाता है, जो देश की आज़ादी के सिपाही होने के साथ-साथ एक अच्छे साहित्यकार भी थे। तमिलनाडु के इस रचनाकार द्वारा रची गई कविताओं से प्रेरित होकर बहुत बड़ी संख्या में दक्षिण भारत के लोग देश को आज़ाद कराने के लिए आज़ादी की लड़ाई में कूद पड़े। 'सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार' सृजनात्मक और आलोचनात्मक लेखन के लिए दिया जाता है।
वर्ष २००८ के लिये यह पुरस्कार डॉ. नंदकिशोर आचार्य, डॉ. विजय बहादुर सिंह तथा वर्ष २००९ के लिये श्री अजित कुमार एवं श्री गोपाल चतुर्वेदी को प्रदान किया गया।
वर्ष २००८ के लिये यह पुरस्कार डॉ. नंदकिशोर आचार्य, डॉ. विजय बहादुर सिंह तथा वर्ष २००९ के लिये श्री अजित कुमार एवं श्री गोपाल चतुर्वेदी को प्रदान किया गया।
यात्रा वृत्तांत और विश्वदर्शन के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान देने वाले और ख्याति प्राप्त 'राहुल सांकृत्यायन' की स्मृति में इस पुरस्कार की स्थापना १९९३ में की गई थी। २०वीं सदी के पूर्वार्द्ध में राहुल सांकृत्यायन ने यात्रा वृतांत और विश्वदर्शन के क्षेत्र में किये। तिब्बत से श्रीलंका तक यात्राओं से उपजा बौद्ध धर्म पर उनका गहन शोध हिंदी साहित्य में एक युगांतकारी कार्य माना जाता है।
हिंदी में खोज और अनुसंधान करने तथा यात्रा-विवरण विधा के लिए लिये दिया जाने वाला यह पुरस्कार वर्ष २००८ के लिये प्रो. गोपाल राय, डॉ. विमलेश कांति वर्मा तथा २००९ के लिये प्रो. हरिमोहन एवं डॉ. विक्रम सिंह को प्रदान किया गया।
हिंदी में खोज और अनुसंधान करने तथा यात्रा-विवरण विधा के लिए लिये दिया जाने वाला यह पुरस्कार वर्ष २००८ के लिये प्रो. गोपाल राय, डॉ. विमलेश कांति वर्मा तथा २००९ के लिये प्रो. हरिमोहन एवं डॉ. विक्रम सिंह को प्रदान किया गया।
डॉ. जार्ज ग्रियर्सन पुरस्कार
भारत की भाषाओं और बोलियों का विस्तृत अध्ययन करने वाले डॉ. जार्ज ग्रियर्सन की स्मृति में दिया जाने वाला यह पुरस्कार किसी विदेशी विद्वान को उसकी उल्लेखनीय हिंदी सेवाओं के लिए प्रदान किया जाता है।
वर्ष २००८ के लिये यह पुरस्कार संयुक्त राज्य अमेरिका के हिंदी विद्वान डॉ. हरमन वान ओल्फन को तथा २००९ के लिये दक्षिण कोरिया के प्रो. ली जंग हो को प्रदान किया गया।
पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार
तमिलनाडु के हिंदी सेवी और विद्वान पद्मभूषण डॉ. 'मोटूरि सत्यनारायण' के नाम पर दिया जाने वाला यह पुरस्कार भारतीय मूल के किसी साहित्यकार अथवा विद्वान को विदेशों में हिंदी के प्रचार प्रसार में उल्लेखनीय कार्य के लिये प्रदान किया जाता है।
वर्ष २००८ के लिये यह पुरस्कार संयुक्त अरब इमारात में रहने वाली पूर्णिमा वर्मन तथा २००९ के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका में बसे डॉ. सुरेन्द्र गंभीर को प्रदान किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मानव संसाधन एवं विकास मंत्री श्री कपिल सिब्बल ने की। संचालन दूरदर्शन की वरिष्ठ समाचार वाचिका सरला माहेश्वरी का था। इस अवसर पर मीडिया, सरकार, हिंदी संस्थान तथा हिंदी से जुड़े अनेक प्रतिष्ठित विद्वान उपस्थित थे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें