शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

‘बतकही’ मंडल में याद किये गये अरुणप्रकाश

२४ जून २०१२, नई दिल्ली, हाल ही मे दिवंगत हुए कथाकार और समकालीन भारतीय साहित्य के पूर्व संपादक अरुणप्रकाश को ‘बतकही’ मंडल डीयरपार्क दिलशाद गार्डन, दिल्ली के साहित्यकारों-पत्रकारों ने याद किया। अरुण जी अनेक वर्षो तक दिलशाद गार्डन मे रहे और डीयरपार्क की अनौपचारिक गप्प-गोष्ठियो के लम्बे अरसे तक सहभागी भी रहे। वरिष्ठ आलोचक डॉ॰ विश्वनाथ त्रिपाठी की अध्यक्षता मे डीयरपार्क के मित्रो ने उन्हे भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर अरुणप्रकाश को याद करते हुए मदन कश्यप ने पुराने संस्मरण सुनाए और कमलेश्वर के साथ उनके संबन्धों की चर्चा की। साथ ही भारतेन्दु मिश्र, बलराम अग्रवाल, हरिनारायण, रंजीत वर्मा आदि ने अरुण जी को श्रेष्ठ कथाकार और बेलौस बातें करने वाला व्यक्ति बताया।

अरुण जी में बातें करने और गढ़ने की गजब की क्षमता थी। वो अक्सर अपने घर के आसपास के रिक्शेवालों और रेहड़ी वालो, पनवाडियों से उनके सरोकारों और उनके जीवन के उन नाज़ुक पहलुओं पर भी बातें किया करते थे, जिन्हें सुनने वाला इन लोगों को अपने आसपास आसानी से कोई नज़र नहीं आता था। डीयरपार्क मे चाय पीने की आदत/रस्म अरुण प्रकाश जी के समय मे ही शुरू हुई थी। काजल पाडेय ने अरुणप्रकाश जी के कथा-संग्रह भैया एक्सप्रेस से उनकी प्रारम्भिक चर्चित कथा बेला इक्का लौट रही है का पाठ भी किया। त्रिपाठी जी ने भैया एक्सप्रेस, जलप्रांतर, जूता, नहान और गजपुराण आदि कहानियो का उल्लेख करते हुए अरुण प्रकाश को बहुत सहयोगी, बहुपठित और आत्मीय व्यक्ति बताया। इस श्रद्धांजलि सभा मे कथादेश के संपादक हरिनारयण, मदन कश्यप, रंजीत वर्मा, बलराम अग्रवाल, भारतेन्दु मिश्र, रमेश आजाद, अशोक गुजराती, सुश्री काजल पाण्डेय, जयकृष्ण सिंह, कमलेश ओझा और मीनू मिश्र ने भाग लिया।

प्रेषक जयकृष्ण सिंह,
९८६८९४२४३३

कोई टिप्पणी नहीं: