पूर्वाचल भोजपुरी महासभा द्वारा संस्था के मुख्य संरक्षक अशोक श्रीवास्तव के संयोजन में गाज़ियाबाद में पहली बार भोजपुरी कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि राजकुमार सचान ''होरी'' तथा संचालन भोजपुरी के लोकप्रिय कवि मनोज भावुक ने किया। इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि हिन्दी - भोजपुरी के सुप्रसिद्ध अभिनेता महाभारत के द्रोणाचार्य सुरेन्द्र पाल सिंह एवं विशिष्ठ अतिथि नवल कान्त तिवारी, निदेशक उत्तर प्रदेश राज्य सूचना केंद्र थे।
कवि सम्मेलन का शुभारम्भ सिवान से पधारे गीतकार सुभाष चन्द्र यादव ने सरस्वती वन्दना से की, फिर चिरई - चुरुमन सब जल बिनु तरसे ..काहे नाहीं पनिया बदरा से बरसे .. गीत गाकर तो शुरू में हीं उन्होंने मंच को ऊंचाई दे दी। गीतकार- व्यंग्यकार मोहन दिवेदी ने अपनी रचना ''जेब'' सुनाकर आज की सामाजिक - राजनीतिक विसंगतियों पर करारा प्रहार किया ... देश क पैसा हव देश क जेब में, चाहे आप क जेब में चाहे हमरे जेब में... वयोवृद्ध कवि गिरधारी करून ने चैता सुनाया तो तारकेश्वर मिश्र राही ने भ्रूण ह्त्या पर गीत सुनाकर सबको सोचने समझने पर मजबूर कर दिया। हास्य कवि बादशाह तिवारी प्रेमी ने भोजपुरी को कुछ यों परिभाषित किया -- जे बोली समझी एकरा के सट जाई उ लासा नीयर / एतना मीठ कहाँ कवनो हमरी भोजपुरी भाषा नीयर। युवा कवि अनूप पाण्डेय एकांत ने किसानो के दर्द को उकेरा -- किसान के कफनो भर के ताकत नइखे...रूई में , कपास में। भोजपुरी हास्य के महाकवि कुबेर नाथ मिश्र विचित्र ने सत्ता की स्थिति पर व्यंग्य किया - ऊपर महिला, नीचे महिला, बीचे मरद चंपाइल बा, हे भगवान बुझाते नइखे कवन ज़माना आइल बा। मुकेश श्रीवास्तव मुकेश ने आदमी की विवशता को कुछ यूं चित्रित किया - कुकुरा के डाँट सहे, सियरा के रोब/ हई शेरवा त साचहूँ लाचार हो गइल। युवा ग़ज़लकार मनोज भावुक ने शेर पढ़े - मन के धृतराष्ट्र के आँखिन से सभे देखत बा/ भीम असली ह कि लोहा के, चिन्हाते नइखे... बर्फ हs, भाप हs, पानी हs कि कुछुओ ना ह s / जिन्दगी का हवे, ई राज बुझाते नइखे। गोरखपुर से आई कवयित्री शैलजा सिंह को गाँव की याद आई - अकेलापन भइल जब भी हमें उ गाँव याद आइल। डा० रचना, पी के सिंह एवं तरल जी समेत कई कवियों ने समसामयिक रचनाएँ व गीत - ग़ज़ल सुनाकर श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध कर दिया।
वरिष्ठ कवि राजकुमार सचान ''होरी'' के अध्यक्षीय भाषण व काव्य पाठ के बाद पूर्वाचल भोजपुरी महासभा के मुख्य संरक्षक व संयोजक अशोक श्रीवास्तव ने सबका धन्यवाद ज्ञापित करते हुए घोषणा कि की इस भोजपुरी कवि सम्मेलन की परम्परा हमारे जीते जी जारी रहेगी और हर वर्ष दीपावली के आस- पास गाज़ियाबाद में इसका बड़े स्तर पर आयोजन होता रहेगा।
प्रस्तुति - मोहन द्विवेदी
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