सोमवार, 4 जून 2012

सृजन द्वारा “हिन्दी व्यंग्य साहित्य” पर चर्चा आयोजित

विशाखापटनम॰ ४ जून। हिन्दी साहित्य, संस्कृति और रंगमंच के प्रति प्रतिबद्ध संस्था “सृजन” ने आज “हिन्दी व्यंग्य साहित्य” पर चर्चा कार्यक्रम का आयोजन विशाखापटनम के द्वारकानगर स्थित जन ग्रंथालय के सभागार में किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सृजन के सचिव डॉ॰ टी महादेव राव नीरव कुमार वर्मा ने की जबकि संचालन का दायित्व निर्वाह किया संयुक्त सचिव डॉ संतोष अलेक्स ने।

डॉ॰ टी महादेव राव ने हिन्दी व्यंग्य साहित्य पर कार्यक्रम के विषय में चर्चा करते हुये कहा – व्यंग्य  लिखने के तरीके, शैलियाँ बदली ज़रूर हैं, पर अब भी व्यंग्य  साहित्य मानव जीवन की विद्रूपताओं को अपने ढंग से उजागर करते हुये बेहतर समाज का संदेश देते हैं।  निंदक नियरे राखिए  की तर्ज़ पर हमारे आसपास रहकर यह व्यंग्य हमारी कमजोरियों से हमें निजात दिलाते हैं। एक स्वस्थ व्यंग्य में बहुत शक्ति होती है सामाजिक परिवर्तन की। जीवन की विभिन्न घटनाओं, परिस्थितियों को रचनाकार की गहन दृष्टि और यथार्थपरक चिंतन के साथ मिलकर व्यंग्य रचना की सृष्टि करती हैं और इस तरह व्यंग्य चाहे वह किसी भी विधा में क्यों न हो  मनुष्य के करीब धड़कती है, अनंत काल से चली आ रही एक प्रक्रिया है। सृजन का हिन्दी व्यंग्य साहित्य पर चर्चा इसी दिशा में किया जा रहा एक प्रयास है।

डॉ संतोष अलेक्स ने कहा कि इस तरह के चर्चा कार्यक्रमों द्वारा विशाखापटनम में हिन्दी साहित्य सृजन को पुष्पित पल्लवित करना, नए रचनाकारों को रचनाकर्म के लिए प्रेरित करते हुये पुराने रचनाकारों को प्रोत्साहित करना सृजन का उद्देश्य है। कथा साहित्य पर कार्यक्रम का उद्देश्य रचनाकारों को कहानी लेखन की ओर प्रेरित करते हुये उन्हें मार्गदर्शन देना है।  कार्यक्रम में सबसे पहले कपिल कुमार शर्मा ने “ पेट्रोल की कीमतें” शीर्षक कविता में आज आम आदमी जिन समस्याओं से जूझ रहा है जैसे बढ़ती कीमतें, भ्रष्टाचार, राजनीति से पीड़ित आम आदमी की व्यथा गाथा, उसका खुलासा अपनी व्यंग्य शैली में किया।  “सेवक और मालिक” कविता में बी एस मूर्ति ने स्तरों के अंतर, सोच और काम के मूल्यांकन के अंतर को वक्रोक्ति शैली में किया। व्यंग्य साहित्य शीर्षक से व्यंग्य की स्थिति पर एन डी नरसिंहा राव ने अपना लेख पढ़ा! समकालीन समस्याओं का वैज्ञानिक समाधान व्यंग्य कविता “ व्यंग्य गीत” में श्रीमती सीमा शेखर ने प्रस्तुत किया। जी एस एन मूर्ति ने राजनीति और भ्रष्टाचार से लिप्त गुंडे राजनीतिज्ञों पर करारे व्यंग्य से भरी  लघुकथा “ धरती अब भी घूम रही है” पढ़ी।

लक्ष्मी नारायण दोदका ने वर्तमान परिस्थितियों का लेखा जोखा अपनी व्यंग्य रचना “ वेश्या और समाज” में चित्रित की। एक कंजूस व्यक्ति की व्यथा गाथा पर व्यंग्य “ मुनाफा” शीर्षक लघु कथा में तोलेटी चंद्रशेखर ने सुनाई। श्रीमती बी शोभावती ने हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध रचनाकार रेणु (पंचलाईट), प्रेमचंद (पूस की रात), विष्णु प्रभाकर (धरती अब भी घूम रही है) की कहानियों में निहित व्यंग्य का समग्र विश्लेषण अपने लेख “व्यंग्य और साहित्य” में प्रस्तुत किया। पति पत्नी के बीच के सम्बन्धों में उपस्थित व्यंग्य का खाका अपनी शैली में डॉ एम सूर्य कुमारी ने अपनी कविता “जोरू का गुलाम” में खींचा।  अपने व्यंग्य लेख “ राष्ट्रीय पशु” में डॉ टी महादेव राव ने पशु प्रवृत्तियों की बिम्ब बनाकार वर्तमान मानव की मानसिकता, परिस्थितिजन्य राजनीति और अवसरवादी मनुष्य पर करारा कटाक्ष किया।  डॉ संतोष एलेक्स ने “परसाई – व्यक्तित्व और कृतित्व” लेख में व्यंग्य साहित्य के प्रख्यात रचनाकार हरीशंकर परसाई और उनकी रचनाओं पर विवरण विश्लेषणात्मक शैली में प्रस्तुत किया। 
           
कार्यक्रम में डॉ पद्मा रानी, श्रीधर, ताता राव ने भी सक्रिय भागीदारी की। सभी रचनाओं पर उपस्थि ‍त कवि‍यों और लेखकों ने अपनी अपनी प्रति‍क्रि‍या दी। सभी को लगा कि‍ इस तरह के सार्थक  चर्चा कार्यक्रम लगातार करते हुए सृजन संस्थार साहित्य के पुष्पन और पल्लवन में अच्छार  काम कर रही है। डॉ संतोष अलेक्स‍ के  धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
              
- डॉ॰ टी महादेव राव

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