४ मई, २०१२ को आकाशवाणी दिल्ली केन्द्र द्वारा कविवर भवानी प्रसाद मिश्र जन्मशती समारोह का आयोजन शुक्रवार सायं ७ बजे गुलमोहर सभागार, इंडिया हेबीटेट सेंटर, लोधी रोड, नई दिल्ली में किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि एवं आलोचक श्री अशोक वाजपेयी थे एवं अध्यक्षता वरिष्ठ कवि श्री केदारनाथ सिंह ने की। मुख्य वक्ता के रूप में विजय बहादुर सिंह भोपाल से आमंत्रित थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ श्री भवानी प्रसाद मिश्र की कुछ प्रतिनिधि और लोकप्रिय कविताओं के वाचन से हुआ। कार्यक्रम में उपस्थित श्री भवानी प्रसाद मिश्र के सुपुत्र सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद श्री अनुपम मिश्र ने अपने पिता के जीवन के कुछ यादगार पलों को उपस्थित दर्शकों के साथ बांटते हुए उनकी सादगी और सहजता को रेखांकित किया। मुख्य वक्ता श्री विजय बहादुर सिंह ने कविवर भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य लेखन की बारीकियों को विस्तार से समझाया और कई कविताओं को अंतरंग संस्मरणों के साथ उद्धृत भी किया। प्रख्यात कवि श्री अशोक वाजपेयी ने अपने वक्तव्य मे कहा कि वे कहन शैली के अनूठे कवि थे और उन्होंने लिखित एवं वाचिक की दूरी को मिटाया। श्री मिश्र से जुडे अपने युवा काल के संस्मरणेां को भी उन्हेांने दर्शकों से बांटा। वरिष्ठ कवि श्री केदारनाथ सिंह ने अपने गुरू आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी दृवारा श्री भवानी प्रसाद मिश्र पर लिखी गई एक कविता का वाचन किया और कहा कि ऐसा सम्मान शायद ही किसी को मिला हो। उन्होंने यह भी कहा कि श्री मिश्र की कविताएं जनमानस से जितनी जुडती हैं,तुलसीदास जी के बाद शायद ही किसी कवि की कविताएं जुडी हों। यही कारण रहा होगा कि वे भवानी भाई के नाम से प्रसिद्ध हो गये। सभागार में भवानी प्रसाद मिश्र के निकटतम परिजन एवं जाने-माने पत्रकार एवं मीडियाकर्मी उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ श्री भवानी प्रसाद मिश्र की कुछ प्रतिनिधि और लोकप्रिय कविताओं के वाचन से हुआ। कार्यक्रम में उपस्थित श्री भवानी प्रसाद मिश्र के सुपुत्र सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद श्री अनुपम मिश्र ने अपने पिता के जीवन के कुछ यादगार पलों को उपस्थित दर्शकों के साथ बांटते हुए उनकी सादगी और सहजता को रेखांकित किया। मुख्य वक्ता श्री विजय बहादुर सिंह ने कविवर भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य लेखन की बारीकियों को विस्तार से समझाया और कई कविताओं को अंतरंग संस्मरणों के साथ उद्धृत भी किया। प्रख्यात कवि श्री अशोक वाजपेयी ने अपने वक्तव्य मे कहा कि वे कहन शैली के अनूठे कवि थे और उन्होंने लिखित एवं वाचिक की दूरी को मिटाया। श्री मिश्र से जुडे अपने युवा काल के संस्मरणेां को भी उन्हेांने दर्शकों से बांटा। वरिष्ठ कवि श्री केदारनाथ सिंह ने अपने गुरू आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी दृवारा श्री भवानी प्रसाद मिश्र पर लिखी गई एक कविता का वाचन किया और कहा कि ऐसा सम्मान शायद ही किसी को मिला हो। उन्होंने यह भी कहा कि श्री मिश्र की कविताएं जनमानस से जितनी जुडती हैं,तुलसीदास जी के बाद शायद ही किसी कवि की कविताएं जुडी हों। यही कारण रहा होगा कि वे भवानी भाई के नाम से प्रसिद्ध हो गये। सभागार में भवानी प्रसाद मिश्र के निकटतम परिजन एवं जाने-माने पत्रकार एवं मीडियाकर्मी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि श्री भवानी प्रसाद मिश्र जन्मशती समारोहों के क्रम में यह आयोजन सबसे पहले आयोजित होने वाले कार्यक्रम में से था और इसका श्रेय आकाशवाणी को जाता है।
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