रविवार, 29 जनवरी 2012

डॉ अ कीर्तिवर्धन को डी.लिट. की मानद उपाधि

मुज़फ्फरनगर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अ कीर्तिवर्धन को उनके साहित्यक योगदान एवं हिंदी की सेवा के लिए 'विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार' के १६वे राष्ट्रीय अधिवेशन मे 'विद्यासागर '(डी. लिट.) की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया।

श्री राम नाम सेवा आश्रम, मौन तीर्थ, गंगा घाट, उज्जैन (मध्य प्रदेश) में आयोजित विद्यापीठ के १६वें महाधिवेशन मे स्थानीय नागरिकों, पत्रकारों, समाजसेवियों, गुरुकुल के विद्यार्थियों के अलावा देश के कोने कोने से आये १५० से अधिक साहित्यकारों ने भाग लिया। दो दिन तक चले इस महाधिवेशन मे मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के खनन मंत्री श्री मालू जी रहे, अध्यक्षता जाने माने साहित्यकार डॉ रामनिवास मानव ने की, मंचासीन रहे डॉ तेज नारायण कुशवाहा, कुलपति, डॉ अमर सिंह वधान, सरदार जोबन सिंह, डॉ. देवेंदर नाथ साह तथा सञ्चालन किया डॉ प्रेम चंद पाण्डेय ने। विदित हो कि डॉ अ कीर्तिवर्धन को (मध्य प्रदेश) की साहित्यिक -सांस्कृतिक संस्था 'कादंबरी द्वारा उनकी श्रेष्ठ निबंध कृति 'चिंतन बिंदु' के लिए स्वर्गीय ब्रहम कुमार प्रफुल्ल सम्मान से अलंकृत किया गया जिसके अंतर्गत अंगवस्त्रम,प्रशस्ति पत्र के साथ सम्मान राशि भी प्रदान कि गयी थी।

डॉ अ कीर्तिवर्धन कि अब तक ७ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जतन से ओढ़ी चदरिया' बहुचर्चित रही जो कि बुजुर्गों कि समस्याओं पर केन्द्रित है। डॉ अ कीर्तिवर्धन पर 'कल्पान्त' पत्रिका ने अपना विशेषांक 'साहित्य का कीर्तिवर्धन' प्रकाशित कर उनके कृतित्व व व्यक्तित्व पर व्यापक प्रकाश डाला है। कीर्ति वर्धन जी कि अनेक रचनाओं का उर्दू, तमिल, नेपाली, अंगिका, अंग्रेजी मैथिली मे अनुवाद व प्रकाशन भी हो चुका है। डॉ. कीर्तिवर्धन को अब तक देश कि अनेक संस्थाओं से ५० से अधिक सम्मान मिल चुके हैं। आप बहुप्रकाशित एवं बहु पठनीय लेखक के रूप मे देश विदेश मे जाने जाते हैं तथा इन्टरनेट पर भी चर्चित हैं। हम आपके सुखद भविष्य कि मंगलकामना करते हैं।

रमेश चंद गह्तोरी,
नैनीताल बैंक
जाग्रति एन्क्लेव,विकास मार्ग
दिल्ली-९२

कोई टिप्पणी नहीं: