मास्को। मानवीय सरोकारों की पैरोकार हिन्दी की जानी-मानी लेखिका चित्रा मुदगल को रूस का अंतरराष्ट्रीय पूश्किन सम्मान-२००९ दिए जाने की घोषणा की गई है। रूस के 'भारत मित्र समाज' की ओर से प्रतिवर्ष हिन्दी के एक प्रसिद्ध लेखक-कवि को मास्को में हिन्दी-साहित्य का यह महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मान दिया जाता है। इस क्रम में समकालीन भारतीय लेखकों में अपना विशिष्ट स्थान रखने वाली और कथा-लेखन के प्रति विशेष रूप से समर्पित चित्रा मुदगल को जल्द ही यह सम्मान मास्को में आयोजित होने वाले गरिमापूर्ण कार्यक्रम में दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पहली बार यह सम्मान किसी महिला लेखिका को मिला है।
मूल रूप से मानवीय संवेदना के पक्ष में खड़ी नज़र आने वाली लेखिका चित्रा मुदगल का जन्म १० दिसम्बर १९४३ को चेन्नई में हुआ था और अब तक उनके नौ कहानी संग्रह, तीन उपन्यास और संपादन की छह पुस्तकों सहित विविध विधाओं की कुल ४१ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इस भरी-पूरी साहित्यिक सम्पदा वाली लेखिका चित्रा मुदगल की अंतरराष्ट्रीय ख्याति का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी अनेक पुस्तकों का चेक, इतालवी, स्पेनिश, चीनी और नेपाली सहित कई अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। मराठी, बंगाली, मलयालम, पंजाबी, कन्नड़, उर्दू, गुजराती, तमिल, असमिया आदि भारतीय भाषाओं में भी उनकी पुस्तकों का अनुवाद बहुत पहले ही हो चुका है।
चित्रकला में गहरी रुचि रखने वाली चित्रा मुद्गल ने जे० जे० स्कूल ऑफ़ आर्टस से फ़ाइन आर्टस का अध्ययन किया और पढ़ाई के दौरान श्रमिक नेता दत्ता सामंत के संपर्क में आकर श्रमिक आंदोलन से भी जुड़ीं, जहाँ उन्होंने उत्पीड़न और बदहाली में जीवन-यापन करने वाली महिलाओं के उत्थान और बुनियादी अधिकारों के साथ-साथ दलित, उत्पीड़न और निम्नवर्ग के उत्थान के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य किया। हिन्दी साहित्य के अनेक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित चित्रा मुदगल, के० के० बिड़ला फाउंडेशन का तेरहवाँ व्यास सम्मान पाने वाली प्रथम लेखिका हैं। सहस्त्राब्दि का पहला इंदु शर्मा कथा सम्मान (यूके) भी उन्हीं खाते में दर्ज़ है। २०१० में चित्रा मुदगल को उदय राज सिंह सम्मान और तमिलनाडु का चिन्नप्पा भारती सम्मान से भी सम्मानित किया गया है।
'भारत मित्र' समाज के महासचिव अनिल जनविजय ने मास्को से जारी विज्ञप्ति में यह सूचना दी है कि प्रसिद्ध रूसी कवि अलेक्सान्दर सेंकेविच की अध्यक्षता में हिन्दी साहित्य के रूसी अध्येताओं व विद्वानों की पाँच सदस्यीय निर्णायक-समिति ने चित्रा मुद्गल को वर्ष 2009 के अंतरराष्ट्रीय पूश्किन सम्मान के लिए चुना है। इस निर्णायक-समिति में हिन्दी साहित्य की प्रसिद्ध रूसी विद्वान ल्युदमीला ख़ख़लोवा, रूसी कवि अनातोली पारपरा, कवयित्री और हिन्दी साहित्य की विद्वान अनस्तसीया गूरिया, कवि सेर्गेय स्त्रोकन और लेखक व पत्रकार स्वेतलाना कुज़्मिना शामिल थे। सम्मान के अन्तर्गत चित्रा मुदगल को पन्द्रह दिन की रूस-यात्रा पर बुलाया जाएगा। उन्हें रूस के कुछ नगरों की साहित्यिक-यात्रा कराई जाएगी तथा रूसी लेखकों से उनकी मुलाक़ातें आयोजित की जाएँगी।
चित्रा मुद्गल से पहले यह सम्मान हिन्दी के कवि विश्वनाथप्रसाद तिवारी, उदयप्रकाश, लीलाधर मंडलोई, आलोक श्रीवास्तव, बुद्धिनाथ मिश्र, पवन करण, कहानीकार हरि भटनागर और महेश दर्पण आदि को दिया जा चुका है।
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