चित्र में-पुरस्कृत हिंदी साहित्यकार मटमरि, तेलुगु कथाकार डी. कामेश्वरी एवं रंगमंच कलाकार रेकेंदर नागेश्वर राव ‘बाब्जी’. साथ में डॉ. पी.वी. रंगाराव, सी. वी. चारी तथा स्मारक ट्रस्ट के पदाधिकरीगण।
हैदराबाद, ५ अक्तूबर, २०११, श्री वेमूरि आंजनेय शर्मा स्मारक ट्रस्ट द्वारा प्रतिष्ठित हिंदी सेवी स्वर्गीय वेमूरि आंजनेय शर्मा के ९५ वें जयंती समारोह के संदर्भ में वर्ष २०११ के स्मारक पुरस्कार प्रदान किए गए। यह समारोह स्थानीय रवींद्र भारती सभागार में संपन्न हुआ।
समारोह की अध्यक्षता आंध्र प्रदेश भूदान यज्ञ बोर्ड के अध्यक्ष श्री सी.वी.चारी ने की तथा आंध्र प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. पी.वी. रंगाराव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। वर्ष २०११ का वेमूरि आंजनेय शर्मा स्मारक पुरस्कार हिंदी साहित्य के लिए वरिष्ठ व्यंग्यकार मटमरि उपेंद्र को प्रदान किया गया जबकि तेलुगु साहित्य के लिए यह पुरस्कार विख्यात तेलुगु कथाकार डी. कामेश्वरी ने एवं तेलुगु रंगमंच के लिए सुप्रसिद्ध कलाकार रेकेंदर नागेश्वर राव ‘बाब्जी’ ने प्राप्त किया। तीनों सम्मानित विभूतियों को शाल, स्मृतिचिह्न तथा १० हज़ार की नक़द राशि भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर ट्रस्ट की ओर से छात्र-छात्राओं को ‘प्रतिभा पुरस्कार’ तथा ‘सरस्वती पुरस्कार’ भी प्रदान किए गए। मुख्य अतिथि डॉ. पी.वी. रंगाराव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि स्व. वेमूरि आंजनेय शर्मा बहुमुखी प्रज्ञाशाली थे जो हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की उन्नति के लिए अपना सारा जीवन उत्कृष्ट सेवाएँ प्रदान करते रहे। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि भारतीय भाषाओं को सर्वप्रथम कंप्यूटर पर लाने का श्रेय वे. आंजनेय शर्मा को ही जाता है। अपने अध्यक्षीय भाषण में श्री सी.वी. चारी ने आंजनेय शर्मा के साथ अपने 60 साल के निकट संबंधों को स्मृतिपटल पर लाते हुए बताया कि आंजनेय शर्मा का जीवन भावी पीढ़ी के लिए अनुकरणीय तथा आदर्श है। उन्होंने आगे यह भी कहा कि श्री पी.वी. नरसिंहा राव तथा आंजनेय शर्मा के अथक प्रयास से ही दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के उच्च षिक्षा विभाग में विभिन्न चुनौतीपूर्ण पाठ्यक्रम आरंभ किए गए जो आज़ भी अबाध चल रहे हैं।
समारोह का संचालन सी.सी.एम.बी. के हिंदी अधिकारी चंद्रशेखर ने किया तथा श्रीमती शारदा और बालाजी ने कार्यक्रम के आरंभ में सुगम संगीत प्रस्तुत किया। समारोह में ट्रस्ट के प्रबंधक न्यासी प्रो. वेमूरि हरिनारायण शर्मा तथा अन्य न्यासियों ने भी भाग लिया। इस कार्यक्रम में नगरद्वय के अनेक विशिष्ट हिंदी सेवी और गणमान्य विद्वान उपस्थित थे।
– वेमूरि ज्योत्स्ना कुमारी.
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