बेंगलोर की कलायन नाट्य संस्था के बहुचर्चित नाटक 'स्वयंवर 2010 का मंचन 14 मई को दुबई (संयुक्त अरब अमीरात) में सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। इससे पहले 'सुबह का भूला' का एक सफल मंचन जनवरी 2011 में हो चुका है। इस नाटक को दुबई लाने का श्रेय मधुमिता प्रवीन को जाता है। दुबई के किलाचंद हॉल में 14 मई को नाटक के दो शो मंचित किए गये। दोनों हाउसफुल रहे। दर्शकगण नाटक की कथावस्तु से बहुत प्रभावित रहे और नाटक ने अधिकांश दर्शकों को कहीं न कहीं छुआ। दोनों प्रदर्शनों में, नाटक की समाप्ति के बाद भी दर्शक बहुत देर तक प्रांगण में नाटक के बारे में बातें करते देखे गये।
नाटक का विषय समसामयिक था। बिना मध्यांतर वाले इस नाटक अवधि 100 मिनट थी। स्वयंवर 2010 संबंधों में उलझे पाँच व्यक्तियों की कहानी है। आज वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति अत्यंत तीव्र गति से अग्रसर है* ऐसे युग में जहाँ परंपराओं और संबंधों की व्याख्याएँ बदल रही है, यह नाटक स्त्री् - पुरुष संबंधों को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में रेखांकित करता है।
चित्रा का पति शेखर चित्रा की अपेक्षाओं में खरा नहीं उतरता है। उसे अपने भाग्ये से शिकायत है। उसे अपने ऑफिस का सहकर्मी जगदीश बहुत आकर्षक लगता है और वह उसके साथ अपने संबंध बढ़ाती है। शेखर का मित्र संदीप सोनम से प्याभर करता है तथा शादी करना चाहता है पर जब वह शेखर और चित्रा को देखता है तो अपना इरादा बदल देता है। शादी के चक्रव्यूह में नहीं फँसना चाहता। वह पाता है कि संबंधों का समीकरण उलझ के रह जाता है।
नाटक की नायिका चित्रा की भूमिका में संगीता पंडा, पति शेखर की भूमिका में सुदर्शन राजगोपाल, ऑफिस के सहकर्मी जगदीश की भूमिका में दीपक अजमानी, सोनम की भूमिका में मुक्ता दरेरा और संदीप की भूमिका में अंकुर सरदाना का अभिनय बहुत ही सराहनीय रहा। प्रकाश व्यवस्था में गिरीश महाजन तथा संगीत और ध्वनि संयोजन में मालविका कलौनी का प्रयास प्रशंसनीय रहा। नाटक के लेखक व निर्देशक थे मथुरा कलौनी।
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