सोमवार, 30 मई 2011

दिनकर की याद में एक विशेष शाम


पारामारिबो स्थित भारत के राजदूतावास ने 27 अप्रैल 2011 को एक विशेष शाम "दिनकर की याद में " का आयोजन किया जिसमें स्वतंत्रता पूर्व के विद्रोही कवि और स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से पहचाने जाने वाले श्री रामधारी सिंह दिनकर के जीवन व साहित्य में उनके स्थान का उल्लेख किया गया। रामधारी सिंह दिनकर की ही कविताओं और काव्यांशों में पिरोते हुए संचालिका श्रीमती भावना सक्सेना ने श्रोताओं को दिनकर के काव्य के विभिन्न पक्षों से परिचित कराया. भारत के राजदूत श्री कंवलजीत सिंह सोढ़ी ने कहा कि दिनकर की कविताओं का प्रमुख उद्देश्य सामान्य जन में नवीन चेतना उत्पन्न करना रहा है, उनकी कविताएँ ऐसी हैं जो सोते हुए व्यक्ति में भी ऊर्जा संचारित कर देती हैं।

स्थानीय छात्रों ने अत्यंत उत्साह के साथ दिनकर के जीवन पर चर्चा की और उनकी कुछ कविताओं का वाचन किया। कुछ छात्रों ने स्थानीय प्रतिष्ठित कवियों श्री अमर सिंह रमण व बाबू चन्द्रमोहन रणजीत सिंह की कविताओं का भी वाचन किया।

इसके अतिरिक्त इस शाम चार छात्रों श्री गणेश अमित आजोध्या, श्री त्रिबेनी प्रसाद रामयाद, श्री धीरज कंधई, डॉ॰कार्मेन जगलाल को उनके राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा, भारत की राष्ट्रभाषा रत्न परीक्षा के प्रमाणपत्र दिये गए। ये प्रमाणपत्र वर्ष २००७ में उत्तीर्ण परीक्षा के लिए थे,वर्ष २००७ में सूरीनाम के पांच छात्रों ने राष्ट्रभाषा रत्न परीक्षा दी थी, उल्लेखनीय है कि यह पाँचों लोग अलग अलग कार्यक्षेत्र से हैं, सुश्री जगलाल एक चिकित्सक हैं तो श्री अजोध्या रसायनशास्त्र का अध्ययन कर रहे हैं और श्री रामयाद भूगोल के अध्यापक हैं, श्री धीरज कंधई भी अध्यापक हैं और हिंदी शिक्षण भी करते हैं। पांचवे छात्र श्री अंगद भवन कुछ समय से हौलैंड में कार्य कर रहे हैं। सभी सीमाओं का सामना करते हुए यह उपलब्धि प्राप्त करना निस्संदेह रूप से सराहनीय है।

इस अवसर पर स्थानीय गण्यमान्य व्यक्तियों के साथ साथ, शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि श्री योहन रूजर और सूरीनाम हिंदी परिषद के अध्यक्ष श्री भोलानाथ नाराइन भी उपस्थित थे। श्री भोलानाथ नाराइन ने राजदूतावास द्वारा आयोजित ऐसे कार्यक्रमों की सराहना की और दूतावास से प्राप्त सहयोग के लिए भूरी भूरी धन्यवाद प्रकट किया ।

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