सोमवार, 30 मई 2011

लन्दन में हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता

रविवार १५ मई लन्दन के नेहरु केंद्र में यू के हिंदी समिति द्वारा वर्ष २०११ की हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता के पुरस्कार समारोह एवं बच्चों की भाषण प्रितियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें लन्दन और उसके आसपास के बहुत से बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।भाषण प्रितियोगिता के ३ मुख्य वर्ग थे एक ९ वर्ष से कम आयु के बच्चे, ९ से १३ वर्ष तक के बच्चे एवं १४ वर्षऔर उससे अधिक तक के बच्चे।सभी बच्चों ने " मित्रता, सिगरेट के दुर्प्रभाव, हिंदी सिनेमा और काश मेरे माता पिता अमीरहोते ।जैसे विषयों पर भाषण पूरे आत्मविश्वास और निपुणता से दिया।

समारोह का सञ्चालन श्री पद्मेश गुप्त, सुरेखा चोफ्ला और लन्दन में हिंदी के छात्र कार्तिक सुब्बुराज और कमलेश वालिया ने किया। सभी विजेताओं को पुरस्कारों का वितरण लन्दन में उच्चायुक्त में हिंदी विभाग के अताशे श्री आनंद कुमार,श्री सतेन्द्र श्रीवास्तव और नेहरु केद्र की दिव्या माथुर ने किया बच्चों का उत्साह वर्धन करते हुए आनंद कुमार ने कहा कि हिंदी पढने और सीखने के लिए जिस भी तरह की सामग्री किसी को भी चाहिए वह उच्चायुक्त से उपलब्ध कराई जाती है और जो भी इसके इच्छुक हो वह इन्हें ले सकता है। भाषण प्रतियोगिता में निर्णायक की भूमिका वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती उषा राजे सक्सेना और पत्रकार, लेखक शिखा वार्ष्णेय ने निभाई । निर्णय के सन्दर्भ में उषा राजे ने कहा कि उन्हें बच्चों का उच्चारण देख कर आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता हुई है क्योंकि अब तो भारत में भी बच्चों में हिंदी का इतना अच्छा ज्ञान नहीं देखा जाता और इस प्रतियोगिता के निर्णय में निर्णायकों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा।

यू के हिंदी समिति द्वारा आयोजित यू के हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता का यह दसवा वर्ष है। इस प्रतियोगिता के चयनित विजेताओं को भारतीय उच्चायुक्त और भारत के विदेश मंत्रालय के सहयोग से प्रतिवर्ष एक शैक्षिक भ्रमण के लिए भारत भेजा जाता है जहाँ उनकी देख रेख अक्षरम और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्वारा की जाती है। हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता का यह कार्यक्रम यूरोप के और सात देशों में चलाया जाता है। और यू के में इसके संयोजक श्री वेद मित्र मोहला ( एम बी ई ) हैं। लन्दन में हुई इस भाषण प्रतियोगिता के पुरस्कारों को श्री सत्येन्द्र श्रीवास्तव अपनी माताजी के नाम पर प्रायोजित करते हैं। और हिंदी ज्ञान की लिखित प्रतियोगिता के पुरस्कारों को डॉ पियूष गोयल द्वारा प्रायोजित किया गया था।

बच्चों को बधाई देते हुए सत्येन्द्र जी ने कहा कि - जब भी घर मे बात करें हिंदी में करे और भारत जब भी जाएँ तो २ हिंदी की किताबें जरुर खरीद कर लायें। अगर इन दो बातों का ध्यान रख लिया जाये तो हिंदी सीखने में बहुत आसानी होगी। इस तरह चाय नाश्ते के साथ इस सफल आयोजन का समापन हुआ। हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए किये गए इस बेहतरीन आयोजन के लिए यू के हिंदी समिति के संस्थापक अध्यक्ष श्री पद्मेश गुप्तसहित सभी टीम के सदस्य बहुत बहुत बधाई के पात्र हैं। समारोह में श्री सतेंदर श्रीवास्तव, श्री पद्मेश गुप्त, श्री वेदमोहला, श्री आनंद कुमार ,श्रीमती उषाराजे सक्सेना, श्री के बी एल सक्सेना, श्रीमती शशि वालिया, देविना ऋषि, डॉ पियूष गोयल और श्री ब्रिज गोयल के अलावा लन्दन के बहुत से गणमान्य व्यक्ति और हिंदी प्रेमी उपस्थित थे।

शिखा वार्ष्णेय
लन्दन।

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