सोमवार, 28 मार्च 2011

बाबा नागार्जुन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श सम्पन्न

बिलासपुर। प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान द्वारा बाबा नागार्जुन की जन्मशताब्दी वर्ष के अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी विमर्श ‘फिर फिर नागार्जुन’ का दो दिवसीय का आयोजन अपने समय के महत्वपूर्ण कवि श्रीकांत वर्मा और आलोचक प्रमोद वर्मा की नगरी बिलासपुर के राघवेन्द्र सभागार में 27-28 फरवरी को ऐतिहासिक सफलता के साथ संपन्न हुआ। स्वागत भाषण संस्थान के अध्यक्ष श्री विश्वरंजन ने दिया। उद्धाटन के पश्चात वयोवृद्ध शिक्षाविद्, लेखक और निबंधकार श्री जगमोहन मिश्र को उनके विशिष्ट योगदान के लिए प्रमोद वर्मा स्मृति सम्मान से साल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर बाबा नागार्जुन पर केंद्रित एकाग्र ‘फिर फिर नागार्जुन’ (संपादक-विश्वरंजन) जारी किया गया साथ ही संस्थान द्वारा प्रकाशित समकालीन हिंदी कविता के महत्वपूर्ण कवियों के कविता संग्रह का पहला सेट जारी किया गया। ये कविता संग्रह है- ‘बेतरतीब’ कवि (प्रभात त्रिपाठी, रायगढ़), ‘सीढ़ी उतरती है अँधेरे गर्भ गृह में’ (विश्वजीत सेन, पटना), ‘भूलवश और जानबूझकर’ (नासिर अहमद सिकंदर, भिलाई), ‘अबोले के विरूद्ध’ (जयप्रकाश मानस, रायपुर), ‘राजा की दुनिया’ (बी.एल.पाल, दुर्ग), ‘किताब से निकलकर प्रेम कहानी’ (कमलेश्वर साहू, दुर्ग), ‘चाँदनी थी द्वार पर’ (सुरेश पंडा,रायपुर)। इसके अलावा संस्थान द्वारा ही प्रकाशित आलोचनात्मक कृतियों ‘युग की नब्ज़’ (श्रीप्रकाश मिश्र, इलाहाबाद), ‘हिंदी के श्रेष्ठ आख्यानक प्रगीत’ (डॉ. बलदेव, रायगढ़), ‘साहित्य और सहभागिता’ (वारीन्द्र वर्मा, बिलासपुर), ‘समय का सूरज’ (चेतन भारती, रायपुर), इस मौक़े पर संस्थान की त्रैमासिक पत्रिका ‘पाण्डुलिपि’ के तीसरे अंक के साथ-साथ लघुपत्रिका ‘देशज’ (संपादक-अरुण शीतांश) के आलोचना अंक (अतिथि संपादक-जयप्रकाश मानस) व ‘साहित्य वैभव’ (संपादक डॉ. सुधीर शर्मा) का भी विमोचन किया गया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रसिद्ध आलोचक अजय तिवारी ने की।

प्रथम दिवस के तृतीय सत्र (‘बाबा को याद करते हुए’) में आमंत्रित साहित्यकार सर्वश्री श्रीभगवान सिंह, श्रीप्रकाश मिश्र, डॉ. रघुवंशमणि, परितोष चक्रवर्ती, भारत भारद्वाज, रमेश खत्री, अमित झा, जयशंकर बाबू, शिवदत्त बाघवेल, श्री आनंद मदोही, डॉ. शैलेन्द्र कुमार त्रिपाठी आदि ने बाबा से जुड़े रोचक और मार्मिक संस्मरण सुनाए । श्री रमेश दवे, डॉ. अजय तिवारी और डॉ. विजय बहादुर सिंह ने नागार्जुन से संबंधित अपने विचार रखे। सत्र के समापन पर स्व. प्रमोद वर्मा की पत्नी डॉ. कल्याणी वर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया। प्रथम दिवस के अंतिम सत्र ‘वाणी’ में आमंत्रित कवयित्रियों में जया जादवानी, किरण अग्रवाल, मीता दास, प्रभा सरस, विद्या गुप्ता, जया द्विवेदी, रानू नाग, आभा श्रीवास्तव, गीता विश्वकर्मा, सुषमा श्रीवास्तव आदि द्वारा काव्य-पाठ किया गया। संचालन युवा कवि नासिर अहमद सिकंदर ने किया।

दूसरे दिन प्रथम सत्र ‘बाबा का गद्य’ सत्र में द्वारा बाबा की कहानी, उपन्यास, निबंधपत्र आदि गद्यात्मक विधाओं को केंद्र में रखकर आमंत्रित रचनाकारों, आलोचकों द्वारा बातचीत की गई। आलोचक डॉ. प्रफुल्ल कोलख्यान (कोलकाता), गीतकार डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र (देहरादून), आलोचक डॉ. देवराज, आलोचक-कवि श्रीप्रकाश मिश्र, युवा आलोचक डॉ. रघुवंश मणि, युवा आलोचक पंकज पराशर (अलीगढ़), समीक्षक राजेन्द्र उपाध्याय(दिल्ली), आलोचक डॉ. बल्देव(रायगढ़), युवा कवि अरूण शीतांश(आरा), अजय तिवारी और विजय बहादुर सिंह इस सत्र के प्रमुख वक्ता थे। इस सत्र का संचालन आलोचक और कवि डॉ. प्रेम दुबे ने किया आभार प्रदर्शन नवभारत बिलासपुर के वरिष्ठ पत्रकार श्री सईद खान द्वारा किया गया। द्वितीय सत्र प्रारंभ करने के पूर्व दिवंगत हुए देश और राज्य भर के उपस्थित प्रमुख साहित्यकारों द्वारा भवदेव पांडेय, सत्येंद्र सिंह नूर, विनोद तिवारी को मौन श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

स्मरण सत्र (बाबा को याद करते हुए) में उनके सानिध्य में बिताए क्षणों को उपस्थित साहित्यकारों ने याद किया। डॉ. पालेश्वर शर्मा, प्रभात त्रिपाठी, विजय बहादुर सिंह, रमेश दबे, मुमताज, रवि श्रीवास्तव, नंद किशोर तिवारी, महावीर अग्रवाल, रघुवंश मणि, श्रीप्रकाश मिश्र, उदभ्रांत, डॉ.देवराज के संस्मरणों में बाबा पुन: जीवित हो उठे। रात्रि ‘वाणी’ के अंतर्गत आमंत्रित कवियों- डॉ. बुद्विनाथ मिश्र, उदभ्रांत, रमेश खत्री, डॉ. देवराज, विश्वरंजन, परितोष चक्रवर्ती, श्रीप्रकाश मिश्र, डॉ.शैलेंद्र कुमार त्रिपाठी, रघुवंश मणि, प्रफुल्ल कोलख्यान, विमलेश त्रिपाठी, प्रभात त्रिपाठी, भारत भरद्वाज, सुधीर सक्सेना, अरूण शीतांश, शिवदत्त बावलकर, डॉ.चितरंजन कर, डॉ.बलदेव, डॉ.अजय पाठक, मुमताज, सतीश जायसवाल, डॉ. राजेन्द्र सोनी, अब्दुल सलाम कौसर, बी.एल.पाल, जयप्रकाश मानस, कमलेश्वर साहू, चेतन भारती, रामकुमार तिवारी, वंदना केंगरानी आदि ने विभिन्न रंगों और शिल्पों वाली कविताओं का पाठ किया । देश भर से पधारे लगभग ३०० साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों की निंरतर और सफलता उपस्थिति वाले इस दो दिवसीय आयोजन में संस्थान के कार्यकारी निदेशक जयप्रकाश मानस, सचिव सुरेंद्र वर्मा, कोषाध्यक्ष राजेश सोंथलिया, राम पटवा, बेणुधर देवांगन, हरि नायक, विनय सिंह ठाकुर, लीलाधर पटेल, आदि का उल्लेखनीय सहयोग रहा।

-- जयप्रकाश मानस संपादक,
www.srijangatha.com
कार्यकारी संपादक, पांडुलिपि (त्रैमासिक)

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