सोमवार, 28 मार्च 2011

शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर, महाराष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी संगोष्ठी संपन्न


चित्र में कविता रेगे शरद आलोक का सम्मान करते हुए शिवाजी विश्व विद्यालय कोल्हापुर और दक्षिण भारत हिंदी परिषद् और केन्द्रीय हिंदी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में डॉ. पद्मा पाटिल के संयोजन में २२ और २३ फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय हिंदी संगोष्ठी 'साहित्य और इतिहास' विषय पर संपन्न हुई। कार्यक्रम के उद्घाटक थे राजेंद्र मोहन भटनागर और अध्यक्षता की शिवाजी विश्विद्यालय के उपकुलपति प्रो. ना. ज. पवार प्रमुख उपस्थिति थी सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद' आलोक' की। विश्वप्रसिद्ध नाटककार हेनरिक इबसेन पर अंतर्राष्ट्रीय सत्र की अध्यक्षता करते हुए सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने प्रकाश डालते हुए कहा की इबसेन के नाटकों का दुनिया में सबसे अधिक प्रदर्शन हुआ है और वह आधुनिक नाटक के पितामह थे। शरद आलोक ने इबसेन के नाटकों, क्नुत हामसुन के उपन्यासों, नार्वेजीय लोककथाओं के अलावा डेनमार्क के एच सी अन्दर्सन की कथाओं का अनुवाद हिंदी में किया है। इस संगोष्ठी में हिंदी को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित करने और भारत के गौरवपूर्ण इतिहास के नायकों जैसे गुरुगोविंद सिंह, क्षत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, साहू महाराज, रानी लक्ष्मीबाई आदि की सही तस्वीर साहित्य में प्रस्तुत करने पर विचार विमर्श हुआ। विदेशी इतिहासकारों द्वारा भारतीय नायकों की तस्वीर अधिकतर धूमिल और विदेशी शासन से प्रभावित दिखाई गयी है। साहित्यकारों का उत्तरदायित्व है कि वे इतिहास के उपेक्षित नायकों और गलत तस्वीर को ठीक करके उन्हें गौरव प्रदान कर अमर बनाएँ। अंतर्राष्ट्रीय हिंदी संगोष्ठी में जिन भारतीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया वे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्णाटक, महाराष्ट्र, प। बंगाल, राजस्थान, उडीसा, और अन्य राज्यों से थे। विदेशों से आये प्रतिनिधियों में नार्वे से सुरेशचन्द्र शुक्ल, इटली से अलाक्संद्रा, श्वेता दीप्ति और संजीत वर्मा नेपाल और मारीशस से रेशमी रामधूनि थीं। विदेशी प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया। डॉ. वसंत केशव मोरे ने सभी को धन्यवाद दिया और शिवाजी पर वृहद् प्रकाश डाला। कार्यक्रम के अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया जिसे सभी ने सराहा।


साठे कालेज दिल्ली में शरद आलोक सम्मानित

साठे कालेज दिल्ली में शरद आलोक का व्याख्यान और सम्मान २३ फरवरी को साठे कालेज मुंबई में हिंदी विभाग की तरफ से सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' का व्याख्यान नार्वे के साहित्यकारों ब्योर्नस्त्यारने ब्योर्नसन और नाटककार हेनरिक इबसेन पर संपन्न हुआ जिसमे कार्यक्रम के अंत में शरद आलोक का सम्मान शाल, पुष्पगुच्छ और शाल से प्रधानाचार्य कविता रेगे द्वारा किया गया। कार्यक्रम के संयोजक अध्यक्ष हिंदी विभाग डॉ. प्रदीप कुमार सिंह थे जो एक पत्रिका के संपादक भी हैं। कार्यक्रम में विद्यालय के अध्यापकों, विद्यार्थियों के अलावा प्रसिद्ध लेखक श्रीमती कमलेश बक्शी, कपिल कुमार, दिनेश सिंह, डॉ. मनप्रीत कौर और अन्य थे।

- माया भारती (नार्वे)

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