रविवार, 28 नवंबर 2010

कोटा महिला साहित्य क्लब द्वारा हिन्दी दिवस समारोह आयोजित


कोटा महिला साहित्य क्लब के तत्वाधान में प्रेस क्लब सभागार में हिन्दी भाषा-विमर्श समारोह मनाया गया। समारोह की अध्यक्षता कथाकार एवं साहित्यकार डा.क्षमा चतुर्वेदी ने की। समारोह के मुख्य वक्ता एवं मुख्य अतिथि जयपुर से आए अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष डा. मथुरेश नन्दन कुलश्रेष्ठ थे। क्लब की सदस्या श्रीमती सावित्री व्यास द्वारा सरस्वती वन्दना के पश्चात अध्यक्षा डा. प्रेम जैन ने स्वागत वक्तव्य के साथ विषय का प्रवर्तन किया। उन्होंन कहा कि राष्ट्रभाषा हिन्दी इतनी व्यापक है कि उस पर विविध दृष्टिकोणों से विचार होना चाहिए। उन्होंने हिन्दी के आत्मसंघर्ष और वैभव के सन्दर्भों की भी चर्चा की।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि , मुख्य वक्ता और हिन्दी के विद्वान डा. मथुरेश नन्दन कुलश्रेष्ठ ने हिन्दी के अद्यतन रुप और नागरी लिपी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज के युग में कम्प्यूटर सम्बंधी हिन्दी की रुकावटों को दूर करने के प्रयास होने चाहिएँ। जिसमें पारिभाषिक शब्दावली के मूलभूत आधार को सही करने हेतु तकनीकी शब्दावली आयोग की सहायता प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने विश्व के हिन्दी परिदृश्य पर गर्व करते हुए कहा कि आज विश्व के १५० विश्वविद्यालयों में हिन्दी-शिक्षण चल रहा है, मारीशस, फिजी, अफ्रीका, सूरीनाम, उज्बेकिस्तान,आदि देशों में हिन्दी का प्रचलन है। उन्होंने कहा कि जन-जागरण व राजनीतिक इच्छा शक्ति द्वारा शीध्र ही हिन्दी को अन्तर्राष्ट्रीय भाषा का वैधानिक दर्जा प्राप्त होगा।

समारोह अध्यक्षा प्रख्यात कथाकार डा. क्षमा चतुर्वेदी ने कहा कि राष्ट्रभाषा की अंगुली पकड़ कर यदि छोटे छोटे देश शिखर पर हैं तो क्यों नहीं हम शिखरस्थ हो सकते। हमे हिन्दी प्रेम दर्शाते हुए उसके प्रति दायित्व निभाने होंगे । डा. गीता सक्सेना ने हिन्दी को संस्कार युक्त भाषा बताया जो शिक्षा ही नही संस्कार भी देती है। पत्रकार एवं साहित्यकार पुरुषोŸाम पंचोली ने बताया कि न केवल भारत के दक्षिणी प्रदेशों में अपितु विदेशों में भी हिन्दी के सुखद अनुभवों को उन्होंने महसूस किया है। श्री भगवती प्रसाद गौतम ने कहा कि हिन्दी से जुड़कर ही कोई भी हिन्दी भाषी श्रेष्ठ सृजन कर सकता है। उन्होंने कहा कि हम सपना अंग्रेजी में क्यों नहीं देखते,क्योंकि हिन्दी हमारी मात्र भाषा है और सपनों में संवाद मात्र भाषा में ही होता है। अ्रग्रेजी में सपना हम चाहकर भी नहीं देख सकते। डा. मनीषा शर्मा ने हिन्दी की चुनौतियां पर दृष्टिपात किया और हिन्दी को गरिमापूर्ण पद की अधिकारिणी बताया। उन्हांेनेे कहा कि आज के कम्प्यूटर युग में हिन्दी फोन्ट व की-बोर्ड पर हिन्दी शब्दावली की विविधता को एकात्म रुप देने का प्रयास करने से ही हम हिन्दी का समूचे विश्व में संचार कर सकते हैं। ऐसा नहीं हो पाने के बावजूद भी इंटरनेट पर आज भी हिन्दी भाषा अ्रग्रेजी को चुनौती दे रही है। साहित्यकार महेन्द्र नेह ने कहा कि हमें हिन्दी के श्रेष्ठ रुप को ग्रहण करना होगा। अंग्रेजी भाषा के साथ फूहड़ता,भद्देपन और नग्नता आती है, जबकि हिन्दी शिष्टता की पर्याय है।

अ.भा. साहित्य परिषद कोटा इकाई के अध्यक्ष श्री अरविन्द सोरल ने कहा कि हिन्दी भाषा बौनी नहीं है, अपितु इसका कद बहुत लम्बा है। उन्होंने कहा कि हिन्दी का विरोध दुराग्रहपूर्ण है। दोहाकार एवं आकाशवाणी के उद्धोषक श्री रामनारायण ‘हलधर’ ने कहा कि हिन्दी को जीवित रखने में आकाशवाणी के कार्यक्रमों का प्रारंम्भ से ही योगदान रहा है। उन्होंने हिन्दी के उच्चारण सम्बंधी मानकों की सूक्ष्मताएं बताईं। राजभाषा विभाग से जुड़े शिवनन्दन चतुर्वेदी ने कहा कि हिन्दी विरोधी मानसिकता हिन्दी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है। हमारी मानसिकता हिन्दीमयी होनी चाहिए। इस हेतु प्रयास आवश्यक है। अन्त में महिला साहित्य क्लब सचिव रचना गौड़ ‘भारती’ ने काव्यात्मक पंक्तियों द्वारा हिन्दी के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने विषय का समाहार करते हुए समस्त अतिथियों एवं हिन्दी-प्रेमियों का आभार जताया । उन्होंने कार्यक्रम का अन्त इन पंक्तियों से किया-

वो आदमी है, हुआ कीजे ,वो आदमी है, हुआ कीजे।
सिर्फ होने से कुछ नहीं होता,अपने होने का हक अदा कीजे।।
और
जब तक हौसला नहीं होगा,एक भी फैसला नहीं होगा।
सभी अपने भले की सोचेंगे, तो किसी का भला नहीं होगा।। कार्यक्रम का संचालन डा. श्रीमती वीणा छंगाणी ने किया।

रचना गौड़ ‘भारती’ के काव्य संग्रह ‘‘नई सुबह’’ कई समीक्षा

अखिल भारतीय साहित्य परिषद,राजस्थान एवं अमरनाथ कश्यप फाउंडेशन,बीकानेर के तत्वाधान में आयोजित अखिल भारतीय नारी साहित्यकार सम्मेलन होटल मरुधर हेरिटेज बीकानेर में सम्पन्न हुआ। इसमें केन्द्रीय विषय संस्कृति और जीवन मूल्य की केन्द्रीय धुरी, नारी पर चर्चा हुई । कार्यक्रम में अखिल भारतीय साहित्य परिषद,राजस्थान के नारी प्रकोष्ठ की प्रदेशाध्यक्ष कोटा की श्रीमती रचना गौड़ ‘भारती’के काव्य संग्रह नई सुबह पर समीक्षा कार्यक्रम में इ.के. के. शर्मा एवं प्रो. चक्र्रवर्ती श्रीमाली नें भारती की कविताओं को प्रकाश से पूर्ण, बहती नदी सा प्रवाह लिए,उत्प्रेरक,ऊर्जावान एवं प्रेरणादायक बताया । कार्यक्रम में नारी प्रकोष्ठ प्रदेशाध्यक्ष रचना गौड़ भारती ने पुस्तक पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए धन्यवाद प्रेषित किया ।

(रचना गौड़ ‘‘भारती’’), सचिव, कोटा महिला साहित्य क्लब

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