विशाखपट्टणम की प्रसिद्ध साहित्यक संस्था सृजन के तत्वातवधान में डाबा गार्डेन्स स्थित पवन एनक्ले व में ३१ अक्टूबर २०१० को पुस्तक विमोचन और साहित्य चर्चा का आयोजन किया गया। सृजन के अध्यक्ष नीरव कुमार वर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और कार्यक्रम का संचालन सृजन के संयुक्त सचिव डॉ. अलेक्स ने किया। स्वागत भाषण करते हुए सृजन के सचिव डॉ. टी. महादेव राव ने संस्था की गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया और कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नये कवियों और रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन सृजन कर रही है। इससे न केवल नई रचनाओं का जन्म होता है बल्किद हमारा हिन्दी साहित्य भी नए सौंदर्य से अलंकृत होता है। सृजन के अध्यक्ष नीरव कुमार वर्मा ने कहा कि विगत ८ वर्षों से साहित्य सृजन करने वाले कवियों और लेखकों को संबल प्रदान करने वाली संस्था सृजन सही मार्गदर्शन दे रही है। उन्होंने विश्वास व्याक्त किया कि सभी रचनाकार ऐसी संस्था में आकर कार्यक्रमों को और अधिक स्तरीय बनाने में सहयोग करेंगे। इस अवसर पर श्रीमती पारनंदी निर्मला रचित दो अनूदित पुस्तिकों तेलुगु की प्रतिनिधि कहानियाँ भाग-१ और २ का विमोचन किया गया। विमोचन कार्यक्रम में पुस्तकों और लेखिका का परिचय डॉ. टी. महादेव राव ने दिया जबकि पुस्तकों का विमोचन नीरव कुमार वर्मा ने किया। अपने समीक्षा आलेख में श्री वर्मा ने पारनंदी निर्मला की रचनाधर्मिता और अनुवाद के प्रति समर्पण की बात कहीं। उन्हों ने कहा कि समसामयिक पुरानी तेलुगु कहानियों का अनुवाद पढते समय नहीं लगता कि ये आज के समय की नहीं हैं। उन्होंने राचकोंडा बहनों द्वारा अनूदित कहानियों में कई विशेषताओं के होने की बात बतायी। पहली पुस्तहक केवल श्रीमती पारनंदी निर्मला की अनूदित कहानियों की है जबकि दूसरे भाग की सभी कहानियाँ राचकोंडा बहनों डॉ. राचकोंडा स्वतराज्य लक्ष्मीक, पारनंदी निर्मला, मुनुकुटला पद्मा राव और गुंटूर रत्नलप्रभा द्वारा अनूदित हैं। ये अनूदित पुस्तकें मौलिक रचनाओं का आभास देती हैं। गौरतलब है कि श्रीमती पारनंदी निर्मला अब तक १२ लेखकों की २६ कहानियों और ६५ पुस्त्कों का अनुवाद कर चुकी हैं। इसी तरह श्रीमती मुनुकुटला पद्मा राव १३ पुस्तकों, गुंटूर रजनी प्रभा ११ पुस्तकों और डॉ. राचकोंडा स्वलराज्यरलक्ष्मीप ने १० पुस्तुकों का अनुवाद किया है।
साहित्यर चर्चा में सबसे पहले श्रीमती सीमा वर्मा ने प्रदूषण के विरोध में आवाज उठाते पीपल के वृक्ष को बिंब बनाकर अपनी कविता पीपल का पेड़ सुनाई। श्रीमती सीमा शेखर ने पुरानी पीढी की स्मृततियों और उनकी प्रगाढ संबंधों की कविता दादी माँ प्रस्तुजत किया। साथ चलने की ओर विश्व शांति के विचार लिये डॉ. एम. विजय गोपाल ने अपनी कविता आते हो क्या पढी। जी. अप्पाराव राज ने व्यंग्य कविता सुनाई। ईश्वर वर्मा ने वेमना के तेलुगु पद्यों का और हाडकु कविताओं का अनुवाद पेश किया। टी. चंद्रशेखर राव ने प्रदूषण पर क्षणिका आज के परिवेश में कविता सदाबहार बारिश और एक प्रयोगवादी गजल प्रस्तुत की। एसवीआर नायडु ने व्यंग्यक सुनाये। डॉ. टी. महादेव राव ने पौराणिक प्रतीकों के माध्यम से दो लघुकथाएँ रहस्य और लेकतंत्र पढ़ीं, जिनमें आज की राजनीति की सड़ी गली हालत बतायी गई। डॉ. सन्तोष अलेक्स ने प्रवासी कविता "आज के कांक्रीट जंगल में" पढ़ी और मानवता पर अपनी रचना पर चर्चा की। इस कार्यक्रम में ल. अशोक, प्रो. पारनंदी वेंकट रमणमूर्ति, किरण जीवी सत्यनारायण, बी अनुराधा सिह, कु. वी. विजयकुमार राजगोपाल और ईश्चर राव ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया। संस्था के सचिव डॉ. टी. महादेव राव के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।
साहित्यर चर्चा में सबसे पहले श्रीमती सीमा वर्मा ने प्रदूषण के विरोध में आवाज उठाते पीपल के वृक्ष को बिंब बनाकर अपनी कविता पीपल का पेड़ सुनाई। श्रीमती सीमा शेखर ने पुरानी पीढी की स्मृततियों और उनकी प्रगाढ संबंधों की कविता दादी माँ प्रस्तुजत किया। साथ चलने की ओर विश्व शांति के विचार लिये डॉ. एम. विजय गोपाल ने अपनी कविता आते हो क्या पढी। जी. अप्पाराव राज ने व्यंग्य कविता सुनाई। ईश्वर वर्मा ने वेमना के तेलुगु पद्यों का और हाडकु कविताओं का अनुवाद पेश किया। टी. चंद्रशेखर राव ने प्रदूषण पर क्षणिका आज के परिवेश में कविता सदाबहार बारिश और एक प्रयोगवादी गजल प्रस्तुत की। एसवीआर नायडु ने व्यंग्यक सुनाये। डॉ. टी. महादेव राव ने पौराणिक प्रतीकों के माध्यम से दो लघुकथाएँ रहस्य और लेकतंत्र पढ़ीं, जिनमें आज की राजनीति की सड़ी गली हालत बतायी गई। डॉ. सन्तोष अलेक्स ने प्रवासी कविता "आज के कांक्रीट जंगल में" पढ़ी और मानवता पर अपनी रचना पर चर्चा की। इस कार्यक्रम में ल. अशोक, प्रो. पारनंदी वेंकट रमणमूर्ति, किरण जीवी सत्यनारायण, बी अनुराधा सिह, कु. वी. विजयकुमार राजगोपाल और ईश्चर राव ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया। संस्था के सचिव डॉ. टी. महादेव राव के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।
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