रविवार, 28 नवंबर 2010

वरिष्ठ कथाकार तथा कलासमीक्षक मनमोहन सरल को प्रेमचन्द पुरस्कार तथा अमृत सम्मान


महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ने एक भव्य समारोह में वर्ष २००८-०९ के साहित्य पुरस्कार प्रदान किए जिसके अंतर्गत कथा साहित्य में मुंशी प्रेमचंद पुरस्कार वरिष्ठ कथाकार एवं कला-समीक्षक मनमोहन सरल को प्रदान किया गया और उन्हें श्रीफल, स्मुतिचिह्न, पुष्पगुच्छ तथा २५००० रुपए की नगद राशि प्रदान करके शाल उढा कर सम्मानित किया गया। यह विशेष अलंकरण समारोह महाराष्ट्र राज्य की स्वर्ण जयंती के अवसर पर महाराष्ट्र के विशिष्ट शासकीय अतिथिगृह सह्याद्रि में संपन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता राज्य के माननीय मुख्यमंत्री के व्यस्त होने के कारण सांस्कृतिक विभाग के सचिव ने की और मंच पर अकादमी के कार्यकारी अध्यक्ष श्री नंदकिशोर नौटियाल तथा गुजराती साहित्य अकादमी के अध्यक्ष उपस्थित थे। इस अवसर पर अखिल भारतीय हिंदी सेवा पुरस्कार एवं राज्य स्तर के हिंदी सेवा पुरस्कार भी प्रदान किए गए। विधा पुरस्कारों में कथा साहित्य के अतिरिक्त काव्य, नाटक रिपोर्ताज तथा अनुवाद पर भी पुरस्कार दिए गए। अकादमी गत १५ वर्षों से हिंदी साहित्यकारों को प्रतिवर्ष पुरस्कार देकर सम्मानित करती है। कविता के लिए ह्रदयेश मयंक, नाटक के लिए आशकरण अटल, लोक साहित्य के लिए डॉ. मालती शर्मा, रिपोर्ताज के लिए विमल मिश्र, बाल साहित्य के लिए बानो सरताज और अनुवाद के लिए मुरलीधर बंसीलाल शाह आदि को भी पुरस्कृत किया गया।

कला को समर्पित मुंबई की नॉन प्रोफिट ऑर्गनाइजेशन ग्लोबल आर्ट फाउंडशन ने पिछले चार दशक से कला के विकास और उसे जनमानस तक पहुँचाने के महत कार्य में रत प्रसिद्ध कला समीक्षक, पत्रकार और कथाकार श्री मनमोहन सरल के सम्मान में उनके ७५ वर्ष परिपूर्ण होने पर रवींद्र नाट्य मंदिर की पु.ल. देशपांडे आर्ट गैलरी में एक भव्य समारोह का आयोजन किया जिसके साथ ही ३५ कलाकारों के काम की प्रदर्शनी का उद्घाटन भी संपन्न हुआ। आयोजन में पूर्व शेरिफ एवं फिल्मकार श्री किरण शांताराम ने श्री सरल को शाल उढा कर सम्मानित किया। सामाजिक कार्यकर्ती एवं उद्योगपति श्रीमती निशा सुमन जैन समारोह की विशिष्ट अतिथि थीं। फाउंडेशन के सक्रिय सदस्य गीतकार-चित्रकार किरण मिश्र ने श्री सरल की कला-विषयक सेवाओं का परिचय दिया जबकि फाउंडेशन के प्रेसिडेंट चित्रकार नरेंद्र बोरलेपवार ने ग्लोबल आर्ट फाउंडेशन के बारे में बताया। चित्रकार रामजी शर्मा, पृथ्वी सोनी, घनश्याम गुप्ता और किशन अग्रवाल ने भी श्री सरल के योगदान की चर्चा की कि किस प्रकार उन्होंने सदैव नए और प्रतिभावान युवा चित्रकारों को प्रोत्साहित किया।

श्री सरल ने ग्लोबल फाउंडशन के इस आयोजन का आभार मानते हुए कला-प्रदर्शनी के थीम पर चर्चा की कि ‘लव एंड पीस’ की परिकल्पना आज के इस माहौल की ज़रूरत है। किंतु दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। बिना प्रेम के शांति नहीं हो सकती और शांति होने पर ही परस्पर प्रेम पलता है। उन्होंने कला क्षेत्र के कुछ निजी संस्मरण भी सुनाए। अंत में किशन अग्रवाल ने आभार प्रदर्शन किया।

मुंबई और महाराष्ट्र के ही नहीं, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत के भी कई चित्रकार और मूर्तिकारों के काम से समृद्ध इस प्रदर्शनी में पश कई चित्रों और मूर्तियों को श्री किरण शांताराम और श्रीमती निशा जैन ने बहुत पसंद किया। इसमें पैरिस से आई चित्रकार जोसेफिन द सेंट सीन के कई चित्र भी शामिल हुए। मुंबई के पृथ्वी सोनी, अनन्या बनर्जी, पं. किरण मिश्र, सत्यजित शेरगिल, रामजी शर्मा आदि के अलावा बाहर से भी कई कलाकार इस आयोजन के लिए विशेषतः आए।

पं. किरण मिश्र

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