रविवार, 4 जुलाई 2010

बनास का लोकार्पण समारोह


उदयपुर। साहित्य संस्कृति के संचयन 'बनास' के विशेषांक ''गल्पेतर गल्प का ठाठ'' का लोकार्पण फतहसागर झील के किनारे स्थित बोगेनवेलिया आर्ट गेलेरी परिसर में एक गरिमामय आयोजन में हुआ। काशीनाथ सिंह के उपन्यास 'काशी का अस्सी' पर केन्द्रित इस अंक का लोकार्पण सुविख्यात चित्रकार पी एन चोयल, चर्चित चित्रकार अब्बास बाटलीवाला, वरिष्ठ कवि नन्द चतुर्वेदी और वरिष्ठ समालोचक नवल किशोर ने किया। पी एन चोयल ने इस अवसर पर कहा कि जब बाहर के दृश्य भीतर बदल जाते हों और सीधी भाषा हमारे अन्दर हलचल पैदा करने में असफल हो रही हो तब व्यंग्य और प्रतीकों से बनी कोई कृति आवश्यक हो जाती है। चोयल ने कहा कि बनास द्वारा पूरा अंक एक उपन्यास पर केन्द्रित करना बताता है कि काशी का अस्सी हमारे समय और समाज को देखने वाली बड़ी कृति है।

नन्द चतुर्वेदी ने हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता के समक्ष आ रही चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा की इसे साहित्य की भूमिका को पहचानने और ठीक से चिन्हित करने का काम करना होगा। उन्होंने कहा कि साहित्यिक पत्रकारिता को अब अंतरानुशासनिक भी होना पड़ेगा क्योंकि इसके बिना अपने समय और समाज को समझना मुश्किल है। नन्द बाबू ने इस अवसर अपने द्वारा संपादित पत्रिका 'बिंदु' के अनेक संस्मरण सुनाकर ६० और ७० के दशक की यादें ताज़ा कर दीं। इससे पहले सुखाड़िया विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय के अध्यक्ष प्रो। शरद श्रीवास्तव ने काशी का अस्सी से एक महत्वपूर्ण अंश 'नरभक्षी राजा की कथा' का पाठ किया, इस अंश के अंत में उपन्यासकार की टिप्पणी है 'मनुष्यभक्षी राजा चाहे जितना भयानक और बलशाली हो ,दुर्वध्य नहीं है। उसका वध संभव है।' आयोजन में हुई चर्चा में इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय,दिल्ली के प्रो। आशुतोष मोहन ने कहा कि हमारे जीवन से हंसी के हिज्जे बदल दिए गए हैं,काशी का अस्सी इसी हंसी के गायब होने की दास्तान की महागाथा है। सिरोही महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ। माधव हाड़ा ने रेणु के बाद हिंदी में पहली बार बहुत निकट रहकर निस्संग भाव से भारतीय समाज को देखने के लिए काशी का अस्सी को असाधारण रचना बताया। वरिष्ठ समालोचक प्रो। नवलकिशोर ने लघु पत्रिका की अवधारणा का उल्लेख कर लघु पत्रिकाओं के लिए नएपन की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मीडिया की नयी तकनीकों के सामने लघु पत्रिकाओं को नया पाठक वर्ग बनाने की चुनौती है।

आयोजन में प्रसिद्द स्वतंत्रता सेनानी रामचंद्र नंदवाना, चित्रकार शैल चोयल, हेमंत द्विवेदी ,शाहिद परवेज़, साहित्यकार मूलचंद्र पाठक, एस।एन।जोशी, लक्ष्मण व्यास, हिमांशु पंड्या, सुखाड़िया विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के अध्यक्ष डॉ। रईस अहमद, मीरा गर्ल्स कालेज की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ।मंजू चतुर्वेदी, आकाशवाणी के सहायक केंद्र निदेशक डॉ।इन्द्रप्रकाश श्रीमाली, महिला अध्ययन केंद्र की प्रभारी डॉ।प्रज्ञा जोशी, डॉ।चंद्रदेव ओला, डॉ।लालाराम जाट, डॉ।नीलेश भट्ट सहित युवा पाठक विद्यार्थी उपस्थित थे। स्वागत कर रही बोगेनवेलिया आर्ट गेलेरी की निदेशक तनुजा कावड़िया ने कहा की सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए साझा काम करने होंगे।अंत में बनास के संपादक पल्लव ने आभार माना।

(गजेन्द्र मीणा)
सहयोगी संपादक

कोई टिप्पणी नहीं: