रविवार, 4 जुलाई 2010

ख़लिश (तेरी आवाज़ मेरे अलफ़ाज़ ) का लोकार्पण


शनिवार, ५ जून २०१० को युवा कवि दीपक शर्मा की सहयोग प्रकाशन ( शारदा प्रकाशन समूह ) द्वारा प्रकाशित तृतीय काव्यकृति लोकार्पण त्रिवेणी कला संगम, तानसेन मार्ग, मंडी हाउस, नई दिल्ली के सभागार में भव्यता के साथ संपन्न हुआ। खलिश ( तेरी आवाज़ मेरे अल्फाज़) कवि दीपक शर्मा का विभिन्न सामाजिक विषयों पर लिखी गई नज्मों का मौलिक संग्रह है जो कवि दीपक शर्मा की अपनी ही शैली को दर्शाता है। अपनी अपनी विधा में सितारे कहे जाने वाले देश के चुनिन्दा दस साहित्यकारों को एक साथ, एक ही मंच पर पहली बार देखना किसी सुखद और आश्चर्य जनक अनुभूति और रोमांच के सिवाय कुछ भी ना था और अवसर था लोकप्रिय कवि दीपक शर्मा के काव्य संग्रह का लोकार्पण।

पुस्तक का लोकार्पण मुख्य अतिथि महामहिम श्री त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी ( पूर्व राज्यपाल कर्नाटक एवं प्रधान संपादक - साहित्य अमृत ) , कार्यक्रम अध्यक्ष श्री रवीन्द्र कालिया ( निदेशक - भारतीय ज्ञानपीठ), विश्व विख्यात साहित्यकार श्रीमती चित्रा मुदगल ,सुप्रसिद्ध कवि एवं दूरदर्शन निदेशक डॉ। अमरनाथ " अमर " आकाशवाणी नई दिल्ली के निदेशक श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, प्रख्यात साहित्यकार एवं साहित्य अकादमी के उप सचिव श्री बिजेंद्र त्रिपाठी, नई धारा साहित्यिक पत्रिका के संपादक और प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ। शिवनारायण सिंह, प्रसिद्ध राजनेता तथा चर्चित समाज सेवी श्री हिमांशु कवि, श्रीमती श्वेता शर्मा तथा प्रसिद्ध व्यंग्य कवि एवं साहित्यकार डॉ। विवेक गौतम के कर कमलों द्वारा हुआ। मुख्य अतिथि श्री त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी जी ने कवि दीपक शर्मा की भूरि - भूरि प्रशंसा की और कवि दीपक को आशावादी नज़रिए वाला शायर बताया और उनकी अनेक नज्मो को सराहा जिनमे "फकीर की चादर", "बेटी की हत्या" आदि प्रमुख हैं और " ज़िन्दगी चलते रहने का नाम है" नज़्म का पाठ भी किया। विश्व विख्यात साहित्यकार श्रीमती चित्रा मुदगल जी के शब्दानुसार कवि दीपक शर्मा कालजयी शायर साहिर लुधियानवी के बहुत आगे की कड़ी हैं और दीपक शर्मा की नज्मो में एक अलग तासीर है, सोच है शैली है। चित्रा जी ने “फकीर की चादर ,मजबूरी से ज्यादा मजबूरी , रिक्शेवाला ,जिंदगी की हंसी आदि नज्मो की प्रमुख रूप से प्रशंसा की और अपने मानस पुत्र कवि दीपक शर्मा को स्नेहिल आशीष दिया।

डॉ. अमरनाथ ’अमर ’ ने कवि दीपक शर्मा के बहुआयामी नज़रिए को अंतर्मन से सराहा और नज़्म संग्रह के बिषयों पर बहुत ही भावुक होकर बोले तथा कई नज्मो के अंश भी सुनकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।”मैं पूजा की थाली में जलता हुआ दीपक हूँ “ और ज़िन्दगी इतनी हंसी इतनी हंसी बताऊँ क्या … आदि नाम का अपने स्वर में पाठ भी किया। अन्य मंचसीन विशिष्ठ अतिथिओं ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कवि दीपक को इस अद्भुत संग्रह के लिये शुभकामनाएँ और साधुवाद दिया। मंच संचालन डॉ। विवेक गौतम ने किया और कवि दीपक शर्मा की नज़्म “यार कुछ लम्हा मुझे छोड़ दे तन्हा ” का पाठ किया। कवि दीपक शर्मा ने अपने संग्रह से कुछ रचनाओं को अपनी शैली में सुनाकर सभागार में उपस्तिथ श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और अपने विचारों से सोचने पर मजबूर कर दिया। अध्यक्ष श्री रविन्द्र कालिया जी ने कवि दीपक शर्मा को इस संग्रह पर शुभकामनाये दी और समाज के विभिन्न पहलुओं पर उनकी लिखी सशक्त रचनाओ को समाज का आइना बताया। कवि दीपक शर्मा को साहित्य का परोकर बताया और करतल ध्वनि के मध्य इस भव्य कार्यक्रम का समापन किया। श्रोताओं से खचाखच भरे समागार में देश ने नामी साहित्यकार, उद्यमी, समाज सेवी, प्रशंसक, पत्रकार उपस्थित थे। इस भव्य, सफल ,उत्कर्ष आयोजन पर और खलिश (तेरी आवाज़ मेरे अलफ़ाज़ ) के सफल लोकार्पण पर कवि दीपक शर्मा को बधाई।

काव्यधारा टीम

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