रविवार, 30 मई 2010

गुजराती ग़ज़ल संग्रह का लोकार्पण


समकालीन गुजराती भाषा के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर गौरांग ठाकर के दूसरे ग़ज़ल संग्रह "वहाल वावी जोईए" का लोकार्पण 9 मई, 2010 को सूरत में हुआ । लोकार्पण गुजराती साहित्य परिषद् के अध्यक्ष भगवतीकुमार शर्मा ने किया । इस अवसर पर ‘साहित्य संगम’ के प्रणेता नानूभाई नायक, सूरत के साहित्यकारगण यथा रईश मणियार, रवींद्र पारेख, किरणकुमार चौहान और सुरेंद्रनगर से पंकज त्रिवेदी और बी. के. राठोड उपस्थित थे। सूरत के युवा गज़लकार श्री गौरांग ठाकर अब तो गुजराती ग़ज़ल की ताज़गीसभर और सबको आकर्षित करने वाली आवाज़ बन चुका है । 2006 में "मारा हिस्सानो सूरज" देकर ग़ज़ल के आँगन में साहित्यकारों, आलोचकों और भावकों के ह्रदय में अनूठा स्थान प्राप्त कर चुके है । इस संग्रह को गुजरात साहित्य अकादमी और वरिष्ठ ग़ज़लकार "स्व. मनहरलाल चोकसी" पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है । मुम्बई की प्रचलित कला संस्था इंडियन नॅशनल थीएटर (I.N.T.) की ओर से "शयदा एवार्ड" (2009) में प्राप्त हुआ । विश्वप्रसिद्ध कथाकार पू. श्री मोरारीबापू ने भी आशीर्वचन दिए हैं। लोकार्पण समारोह के पश्चात उपस्थित श्रोताओं के मध्य गौरांग ठाकर की ग़ज़लों का सुगम संगीत कार्यक्रम भी हुआ ।

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