भोपालः २६ नवंबर २००९, मैं शायर तो नहीं..., झूठ बोले कौआ काटे... और वक्त से पहले किस्मत से ज़्यादा, न किसी को मिला है न किसी को मिलेगा... जैसे गीतों के रचनाकार, गांधीवादी विचारक और राजनेता विट्ठलभाई पटेल के गृह नगर सागर (मध्य प्रदेश) में इस सप्ताह एक विशेष आयोजन हुआ। बुंदेली लोकसंस्कृति और उच्च शिक्षा के प्रमुख केंद्र सागर के राधेश्याम भवन में एक अनूठा गांधीवादी-विट्ठलभाई पटेल पुस्तक का विमोचन किसी एक अतिथि अथवा शख़्सियत ने नहीं किया अपितु संयुक्त रुप से अनेक साहित्यकारों ने किया।
सागर, जिसका नामकरण नगर में स्थित विशाल लक्खी बंजारा तालाब के नाम पर हुआ, बीते वर्षों में एक गड्ढे में तब्दील हो रहा था, तब ये विट्ठलभाई पटेल की पहल ही थी जिसके कारण जनसैलाब इस ऐतिहासिक सरोवर के संरक्षण के लिए जुट गया था। यही नहीं जाने-माने पार्श्व गायक किशोर कुमार को खंडवा में यथोचित सम्मान देने के लिए विट्ठलभाई पटेल ने स्थानीय लोगों को झकझोरा था। चाहे किसी सार्वजनिक उद्देश्य के लिए पदयात्रा करने का प्रश्न हो या व्यापक जनहित में दलीय राजनीति छोड़कर धरना देने जैसे गांधीगिरी के काम हों, विट्ठलभाई पटेल की एक अपनी अलग पहचान है। पुस्तक विमोचन के अलावा खेल परिसर के निर्माण का कार्य पूर्ण करने पर श्री सुनील भाई पटेल का सम्मान किया गया। इस अवसर पर आयोजित काव्य संध्या में श्री सरोज कुमार, श्री रमेश दत्त दुबे, श्री निर्मल चंद्र निर्मल, श्री हरगोविंद विश्व, श्री एस.पी.तिवारी आदि ने काव्य पाठ किया।
विवरण- अशोक मनवानी
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