गुरुवार, 17 मई 2012

मॉरीशस में हिंदी आई. सी. टी, ई-पत्रकारिता तथा ब्लॉगिंग पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी-कार्यशाला

मॉरीशस में विश्व हिंदी सचिवालय द्वारा हिंदी आई. सी. टी, ई-पत्रकारिता तथा ब्लॉगिंग पर २३ से २७ अप्रैल २०१२ तक, एक दिवसीय संगोष्ठी तथा चार दिवसीय कार्यशाला का आयोजन राजीव गांधी साईंस सेंटर के भव्य सभागार में किया गया। इस संगोष्ठी-कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य हिंदी लेखकों, छात्रों, अध्यापकों, शिक्षाविदों और हिंदी भाषा के अन्य प्रयोगकर्ताओं को हिंदी और आई.सी. टी. के क्षेत्र के नवीनतम उपलब्धियों और प्रौद्योगिकी के बारे में परिचित कराना था ताकि उन्हें अपने खुद के ब्लॉग, ई-पत्रिका और वेबसाइट बनाने की दिशा में सही प्रशिक्षण के साथ प्रेरित किया जा सके और अंततः इंटरनेट पर हिंदी भाषा को बढ़ावा मिल पाए। संगोष्ठी-कार्यशाला का संचालन करने के लिए तीन हिंदी विशेषज्ञ, श्री बालेन्दु शर्मा दाधीच, श्री ललित कुमार तथा श्रीमती पूर्णिमा वर्मन को आमंत्रित किया गया था।

उद्घाटन

सोमवार २३ अप्रैल को आयोजित उद्घाटन समारोह से संगोष्ठी-कार्यशाला का श्रीगणेश हुआ। इस अवसर पर, माननीय डॉ. वसंत कुमार बनवारी, शिक्षा एवं मानव संसाधन मंत्री मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। सचिवालय की महासचिव, श्रीमती पूनम जुनेजा ने स्वागत भाषण दिया, मॉरीशस में महामहिम भारतीय उच्चायुक्त का प्रतिनिधित्व करते हुए भारतीय उच्चायोग के द्वितीय सचिव (शिक्षा व भाषा), श्री मीमांसक ने मॉरीशस सरकार और भारत सरकार के सौजन्य में कार्यरत विश्व हिंदी सचिवालय के कार्यों की सराहना की और माननीय डॉ. वसंत कुमार बनवारी, शिक्षा एवं मानव संसाधन मंत्री समारोह के मुख्य अतिथि का दायित्व निभाया। शिक्षा मंत्री ने विश्व हिंदी सचिवालय के प्रयास की सराहना की।

संगोष्ठी

उद्घाटन समारोह के पश्चात हिंदी संगठन के प्रधान श्री राजनारायण गति जी की अध्यक्षता में संगोष्ठी का प्रथम सत्र लगा। हिंदी के सभी क्षेत्रों में आधुनिक प्रौद्योगिकी की आवश्यकता विषय पर महात्मा गाँधी संस्थान में हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक श्री कुमारदत्त गुदारी ने अपने विचार व्यक्त किए। इसी पर बात करते हुए विश्व प्रसिद्ध हिंदी-आई.सी.टी विशेषज्ञ श्री बालेन्दु शर्मा दाधीच ने हिंदी और आई.सी.टी विषय पर अपने अनमोल विचार प्रस्तुत किये। इसके पश्चात डी.ए.वी डिग्री कॉलेज के निदेशक डॉ. उदय नारायण गंगू की अध्यक्षता में दूसरा सत्र चला। इस सत्र की प्रथम वक्ता, अनुभूति-अभिव्यक्ति जाल स्थल की संपादक, शारजाह से आई श्रीमती पूर्णिमा वर्मन ने हिंदी मीडिया, पत्रकारिता और आई.सी.टी विषय पर बोलते हुए कहा- सूचना तकनीक एवं वैश्वीकरण का आपसे में घनिष्ट संबंध है। दोनो का विकास एक दूसरे पर आधारित है। लेकिन तकनीक का विकास मानवीय पक्ष को ध्यान में रखकर हो यह भी बहुत आवश्यक है। हिंदी साहित्य और आई.सी.टी विषय को चर्चित ब्लॉगर और कविता कोश के संस्थापक श्री ललित कुमार ने सभी से परिचय करवाया। हिंदी साहित्य अब इंटरनेट में जिस व्यापकता से मौजूद है और जिस प्रकार से इंटरनेट पर नवीन रचनाएँ प्रकाशित हो रही हैं, उसपर श्री ललित कुमार ने प्रस्तावना दी।

कार्यशाला

संगोष्ठी के समापन के पश्चात दूसरे ही दिन मंगलवार २४ अप्रैल की सुबह श्री ललित कुमार की प्रस्तुति में आई.सी.टी. एक परिचय विषय द्वारा कार्यशाला का आरंभ हुआ। इस सत्र में उपस्थित प्रतिभागियों को आई.सी.टी के अर्थ, उसके विभिन्न रूप, उसकी उपयोगिता और खासकर उसके प्रभाव से परिचित कराया गया। उसके पश्चात हिंदी और आई.सी.टी : संभावनाएँ विषय पर श्रीमती पूर्णिमा वर्मन ने अपने विचार व्यक्त किए। प्रतिभागियों को हिंदी के माध्यम से आई.सी.टी क्षेत्र से जुड़ने की विभिन्न संभावनाओं और तरीकों का पता चल पाया। इसके पश्चात यूनिकोड : इतिहास और प्रयोग विषय पर श्री बालेन्दु शर्मा दाधीच ने प्रस्तुतीकरण किया। प्रतिभागियों को यह ज्ञात हुआ कि हिंदी अक्षर कैसे कंप्यूटर स्क्रीन पर दिख सकते हैं और इनके निर्माण के पीछे किस तरह के कार्य होते हैं। इस दिन के अंतिम सत्र (अभ्यास सत्र) तक आते-आते प्रतिभागियों ने हिंदी में टंकन विधियाँ, सोफ्ट्वेयर और उनके अधिष्ठापन विधियों को समझने के पश्चात उनको अमल में लाना सीखा।

बुधवार २५ अप्रैल को श्री बालेन्दु शर्मा दाधीच ने आपके पी.सी. पर हिंदी (प्रोग्राम, सॉफ्टवेयर, फ्रीवेयर, फॉन्ट) विषय को प्रस्तुत करते हुए हिंदी-आई.सी.टी को प्रतिभागियों के और करीब ला दिया। फिर प्रतिभागियों को जिस विषय की प्रतीक्षा थी, वह विषय (हिंदी ई-पत्रिका का निर्माण और प्रबंधन) श्रीमती पूर्णिमा वर्मन ने प्रस्तुत किया। इसमें प्रतिभागियों ने उन सभी पहलुओं और कदमों को सीखा जिनको ध्यान में रखते हुए हम अच्छी ई-पत्रिका या ब्लॉग बना सकते हैं। जलपान के पश्चात सभी प्रतिभागियों ने अपनी-अपनी टोली के साथ मिलकर अपना ब्लॉग बनाना शुरू किया। इस कार्य में विशेषज्ञों ने भी उनका हौसला बढ़ाया और पग-पग पर उनका साथ दिया। देखते-देखते हिंदी के ब्लॉग बनकर तैयार होने लगे।

२६ अप्रैल को श्री ललित कुमार ने वेब और सोशल नेटवर्किंग साइट पर हिंदी (उपलब्ध साइट, हिंदी में सहभागिता) विषय पर बात की। फ़ेसबुक, ब्लॉगर, ट्वीटर आदि सोशल नेटवर्किंग साईटों पर हिंदी की मौजूदगी को दर्शाते हुए ललित जी ने बताया कि किस प्रकार हिंदी में इनका प्रयोग हो सकता हैं। इसके आर्थिक पक्ष को भी परखा गया। श्री बालेन्दु ने हिंदी वेबसाइट का निर्माण और प्रबंध पर बात की जिससे प्रतिभागियों को प्रेरणा मिली और साथ ही साथ हिंदी वेब साइट बनाने के तरीकों का पता चल पाया। उन्होंने प्रतिभागियों के इस भ्रम को मिटाया कि वेब डिज़ाइनिंग एक कठिन कार्य है।

२७ अप्रैल को श्री ललित कुमार ने और विस्तार के साथ हिंदी वेबसाइट के निर्माण पर प्रकाश डाला। कई प्रतिभागियों को अपने प्रशनों के उत्तर भी मिले। फिर श्रीमती पूर्णिमा वर्मन ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर हिंदी पृष्ठ का निर्माण और प्रबंधन (दिशानिर्देश, नीतियाँ, नियम, संभावनाएँ) विषय ƒपर अपने विचार व्यक्त किए। वे सभी मुख्य बातें बताई गईं जो योजना से पहले और योजना पूरी हो जाने के पश्चात ध्यान देने योग्य होती हैं। कार्यशाला की सफल समाप्ति पर विश्व हिंदी सचिवालय ने अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगिंग तथा ई-पत्रकारिता प्रतियोगिता की घोषणा की। जिसे आने वाले दिनों में आयोजित किया जाएगा इसमें अच्छे ब्लॉग का निर्माण व प्रबंधन तथा ई-पत्रिका का निर्माण करने वाले को पुरस्कृत भी किया जाएगा।


सांस्कृतिक संध्या

२५ अप्रैल की शाम को सायंकाल अल्पाहार के अवसर पर अतिथियों का मनोरंजन करने के लिए मारिशस. ब्राडकास्टिंग कारपोरेशन की ओर से बेस्ट एफ़. एम की टीम उपस्थित थी। अल्पाहार के पश्चात कवि सम्मेलन भी चला जिसमें तीनों विशेषज्ञों ने अपनी कविताओं से सभागार को रंगों से भर दिया। प्रतिभागी के रूप में आए श्री राजेश कुमार श्रीवास्तव तथा डॉ. हेमराज सुन्दर के अतिरिक्त विनय गुदारी और गुलशन सुखलाल ने भी अपनी कविताएँ सुनाईं। इन्दिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित इस अनौपचारिक शाम में महामहिम श्री टी. पी. सीताराम, भारतीय उच्चायुक्त, सुश्री अनुपमा चमन, कला एवं संस्कृति मंत्रालय की वरिष्ठ संस्कृति अधिकारी, एम. बी. सी की ओर से श्री भूमित्रा शर्मा तथा श्री केसन बधु, तीनों विशेषज्ञ श्रीमती पूर्णिमा वर्मन, श्री बालेन्दु दाधीच, श्री ललित कुमार तथा संगोष्ठी-कार्यशाला के प्रतिभागी भी उपस्थित थे।

समापन समारोह

२७ अप्रैल को ही अपराह्न ३ बजे समापन समारोह का आयोजन किया गया। अपने स्वागत भाषण में श्रीमती पूनम जुनेजा ने सभी का स्वागत करते हुए विशेषज्ञों की विद्वता तथा प्रतिभागियों के श्रम की प्रशंसा की और श्री मीमांसक ने कार्यशाला की सफलता का हर्ष अभिव्यक्त किया। तत्पश्चात कार्यशाला में प्राप्त अनुभवों के अनुरूप प्रतिभागियों की प्रतिक्रियाओं पर एक वीडियो प्रस्तुति की गई। इस क्लिप में प्रतिभागियों ने अपना अनुभव बाँटते हुए इस कार्यशाला से प्राप्त ज्ञान को अपनी भावी योजनाओं में प्रयोग करने का हर्ष भी अभिव्यक्त किया। वीडियो प्रस्तुति के बाद तीनों विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी टोली के कार्यों की सराहना करते हुए उसपर एक पावर पोंइट प्रतुति की। तीनो विशेषज्ञों के निर्देशन में प्रतिभागियों की अलग-अलग १२ टोलियाँ बनी थीं और हरेक टोली ने एक हिंदी ब्लॉग का निर्माण किया। श्री बालेन्दु दाधीच, श्रीमती पूर्णिमा वर्मन तथा श्री ललित कुमार उनकी इसी महनत पर आधारित पावर पोंइट प्रतुति की। उच्च शिक्षा, विज्ञान, अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, माननीय श्री राजेश्वर जीता ने कहा ``विश्व हिंदी सचिवालय ने इस सप्ताह जो काम किया, उससे हमारे हिंदी स्नातकों को वो अतिरिक्त तकनीक मिलते हैं जिनके ज़रिए वो सिर्फ अच्छे हिंदी भाषी ही नहीं बल्कि भविष्य में अच्छे प्रफ़ेशनल बन पाएँगे।'' प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए माननीय मंत्री ने कहा ``आपके कामों को देखकर मैं यह कह सकता हूँ कि आज आपने जो कर दिखाया है वो इतिहास रचने के बराबर है।'' माननीय मंत्री जी के उद्गार के बाद सभी प्रतिभागियों को उनके साथ फोटो लेने का अवसर भी प्राप्त हुआ। धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही संगोष्ठी-कार्यशाला का औपचारिक समापन हुआ।


संगोष्ठी-कार्यशाला में हिंदी विद्वानों, हिंदी साहित्यकारों, प्राथमिक व माध्यमिक हिंदी शिक्षकों, हिंदी प्राध्यापकों, हिंदी विद्यार्थियों, हिंदी से जुड़ी संस्थाओं, धार्मिक संस्थाओं आदि साठ लोगों की प्रतिभागिता रही। इनमें मॉरीशस के प्रतिभागियों के अतिरिक्त भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय से आए दो अधिकारी तथा मुम्बई भारत के एकोल मोंज्याल की हिंदी अध्यापिका भी शामिल थीं। संगोष्ठी-कार्यशाला की सफ़लता में शिक्षा एवं मानव संसाधन मंत्रालय, भारतीय उच्चायोग, कला एवं संस्कृति मंत्रालय, उच्च शिक्षा, विज्ञान, अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, राजीव गांधी साईंस सेंटर तथा इंदिरा गांधी भारतीय सांस्कृतिक केंद्र का भी सहयोग रहा। संगोष्ठी-कार्यशाला का पूरा संचालन सचिवालय के उपमहासचिव तथा कार्यशाला संयोजक, श्री गंगाधरसिंह सुखलाल ने किया।

विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस की रिपोर्ट

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