बुधवार, 7 मार्च 2012

कवि नचिकेता प्रमोद वर्मा काव्य सम्मान से विभूषित

नव गठित संस्थान ‘साहित्य की चौपाल’ एवं जनवादी लेखक संघ, छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में सिंघई विला, भिलाई में महाशिवरात्रि २० फरवरी, २०१२ को आयोजित एक भव्य समारोह में बिहार के सुविख्यात जनवादी गीतकार नचिकेता को प्रमोद वर्मा काव्य सम्मान-२०१० से सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि प्रथम प्रमोद वर्मा काव्य सम्मान से चौथे सप्तक के कवि एवं राष्ट्रीय हिंदी अकादमी के अध्यक्ष डॉ. स्वदेश भारती को मई, २००९ में सम्मानित किया गया था। प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान के अध्यक्ष व पुलिस महानिदेशक, होमगार्डस् सुकवि श्री विश्वरंजन की अध्यक्षता में सम्पन्न इस आयोजन में छत्तीसगढ़ी राजभाशा आयोग के अध्यक्ष पं. दानेश्वर प्रसाद शर्मा, सुप्रसिद्ध समालोचक श्री ओमराज, देहरादून एवं वरिष्ठ कवि अशोक शर्मा विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर ‘साहित्य की चौपाल, भिलाई-दुर्ग’ द्वारा श्री ओमराज को समस्त साहित्यिक अवदान के लिये मानपत्र व स्मृतिचिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया।  

अपने स्वागत वक्तव्य में ‘साहित्य की चौपाल’ के संयोजक श्री अशोक सिंघई ने कहा कि स्मृतिशेष प्रमोद वर्मा प्रदेश की एकमात्र पीठ, बख्शी सृजन पीठ के संस्थापक अध्यक्ष थे और उन्होंने चार वर्षों तक इस आसंदी को सुशोभित करते हुए भिलाई-दुर्ग के साहित्यकारों को प्रेरित व संस्कारित किया। प्रमोद वर्मा काव्य सम्मान की स्थापना पुरोधा साहित्यकार के प्रति अंचल की एक विनम्र साहित्यिक श्रद्धांजलि है।

अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री विश्वरंजन ने प्रमोद वर्मा सम्मान के लिये आयोजक संस्थानों एवं सम्मानित कवि श्री नचिकेता व प्रो. ओमराज बधाई व शुभकामनाएँ देते हुये कहा कि प्रमोदजी मेरे अनौपचारिक रूप से साहित्यिक गुरु थे। वे कहते थे कि पहले कवियों को खूब पढ़ो और जब लगे कि कुछ नया कहा जा सकता है तब लिखना शुरू करो। नवगीत समकालीन गीत कहे जाना चाहिये। कविता कितनी महान है यह समय तय करता है। जो कवि ५०० वर्षों तक टिक जाये वही महान कवि हैं जैसे कबीर, तुलसी और सूरदास कालजयी सिद्ध हो गये हैं। जो रचना मनुष्य के आंतरिक एवं बाह्य संघर्षों से जुड़ी नहीं है वह कविता नहीं है। नचिकेताजी की कविताएँ मुझे संघर्षों से प्राण व रस लेती नजर आती हैं।

श्री नचिकेता ने कहा कि केदारनाथ अग्रवाल की कविताई से मैं प्रभावित हुआ और जनगीतों की ओर मेरी यात्रा प्रारम्भ हुई। रामधारी सिंह दिनकर जैसा पुरस्कार मैं ठुकरा चुका हूँ किन्तु साहित्य की चौपाल से प्रमोद वर्मा सम्मान के प्रस्ताव को मैं न नहीं कह सका। मैं उनका हृदय और मस्तिष्क से सम्मान करता रहा हूँ इसलिये यह सम्मान मेरे लिये हर्ष और गौरव का प्रसंग है। उन्होंने अपनी रचनाओं का पाठ भी किया। ‘इस्पातों में जिसने पाया जीवन का आधार, नमन सौ बार उसे, नमन उसे सौ बार’ पँक्तियों से उन्होंने इस्पात की धरती भिलाई को नमन किया। चौपाल में उपस्थित लोक के प्रश्नों के उन्होंने उत्तर भी दिये। प्रो. ओमराज ने कहा कि ‘साहित्य की चौपाल’ नाम में जनवाद छिपा हुआ है। देश के शहर-शहर में साहित्य की चौपाल होनी चाहिये ताकि साहित्य से समाज का सीधा सम्वाद पुनः प्रारम्भ हो सके। पं. दानेश्वर प्रसाद शर्मा ने अपना शुभाशीष देते हुए भावी आयोजनों की सफलता की कामना की। श्री अशोक शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

समालोचक-कवि श्री नासिर अहमद सिकंदर ने श्री नचिकेता का परिचय देते हुये उनकी अनेकों कृतियों का उल्लेख किया। उन्होंने नचिकेताजी के लेखन पर जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शिवकुमार मिश्र के क्लब-आलेख का पाठ भी किया। प्रगतिशील लेखक संघ का प्रतिनिधित्व करते हुये इस दौर के महत्वपूर्ण कवि श्री शरद कोकास ने बनारस के नामचीन शायर जनाब अलकबीर के संदेश का पाठ किया जिसमें वाराणसी की साहित्यिक संस्था ‘अग्नि संगम’, प्रगतिशील लेखक संघ, उत्तरप्रदेश की ओर से बधाई व शुभकामनाएँ थीं। उन्होंने छत्तीसगढ़ प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष श्री ललित सुरजन, श्री अरुण सीतांश की ओर से प्रगतिशील लेखक संघ, बिहार, आलोचक श्री मलय, जबलपुर, प्रगतिशील लेखक संघ, छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष डॉ. रमाकान्त श्रीवास्तव, छत्तीसगढ़ ग्रन्थ अकादमी के संचालक व प्रखर पत्रकार श्री रमेश नैयर सहित देश के महत्त्वपूर्ण संस्थानों व साहित्यकारों की बधाइयों का भी उल्लेख किया।
 
जनवादी लेखक संघ, छत्तीसगढ़ की ओर से जनाब मुमताज़ ने अंत में आभार व्यक्त किया जबकि श्री अशोक सिंघई ने आयोजन का संयोजन व संचालन किया। इस अवसर पर ‘बहुमत’ के सम्पादक व कथाकार श्री विनोद मिश्र, तेलुगु साहित्य के जाने-माने समीक्षक सर्वश्री जी. श्रीरामुलु, रायपुर से जयप्रकाश मानस, ‘भिलाई वाणी’ के सम्पादक रुद्रमूर्ति, ग्रैंड चैनल के राघवेन्द्र, चित्रकार सुश्री सुनीता वर्मा, सांगीतिक संस्था ‘गुँजन’ के अध्यक्ष शैलेन्द्र श्रीवास्तव, नरेश विश्वकर्मा, राजा राम रसिक, ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के सम्पादक प्रदीप भट्टाचार्य, कवयित्री संतोश झांजी, प्रो. नलिनी बख्शी, प्रो. शीला शर्मा, प्रशान्त कानस्कर, जनाब शेख निजामी, रामबरन कोरी ‘कशिश’, शायरा प्रीतलता ‘सरु’ एवं नीता काम्बोज, पत्रकार एस. अहलुवालिया सहित भारी सँख्या में साहित्यकार व साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

- अशोक सिंघई, भिलाई
संयोजक- साहित्य की चौपाल
भिलार्इ (छत्तीसगढ़)

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