बैंकाक एवं पटाया, १६ से २१ दिसम्बर, बैकाक स्थित फुरामा सिलोम तथा पटाया स्थित मंत्रपुरा रिज़ोर्ट के सभागार में साहित्य, संस्कृति और भाषा की अंतरराष्ट्रीय वेब-पत्रिका सृजनगाथा डॉट कॉम तथा छत्तीसगढ़ राज्य की बहुआयामी साहित्यिक संस्था सृजन-सम्मान द्वारा आयोजित चार दिवसीय चतुर्थ अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें बड़ी संख्या में हिंदीप्रेमियों ने प्रतिभागिता रेखांकित की। सम्मेलन में हिंदी के आधिकारिक विद्वान, अध्यापक, लेखक, भाषाविद्, पत्रकार, तकनीकी जानकार एवं अनेक हिंदी प्रचारक के रूप में डॉ. डी.के.जोशी, डॉ. कल्पना टेंभुलकर, डॉ. सुखदेव, अखिल सिंह, डॉ. सत्यविश्वास, क्रियेटिव ट्रेवेल्स के डायरेक्टर विक्की मल्होत्रा, सन्नी मलहोत्रा सहित 5० से अधिक भारतीय तथा थाईलैंड के संस्कृतिकर्मियों ने भाग लिया तथा पर्यटन स्थलों के सांस्कृतिक अध्ययन का लाभ उठाया।
समारोह के प्रारंभ में आयोजन के संयोजक और सृजनगाथा डॉट कॉम के संपादक जयप्रकाश मानस ने स्वागत भाषण देते हुए विस्तार से अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलनों के बारे में बताया। इस आयोजन को थाईलैंड में आयोजित करने के मूल उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए वेब पत्रिका सृजनगाथा के संपादक जय प्रकाश मानस ने बताया कि सांस्कृतिक दृष्टि से भारत और थाईलैंड में कई समानताएँ हैं। यहाँ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन आयोजित करने के पीछे पवित्र उद्देश्य यही था कि हिंदी संस्कृति थाई संस्कृति के करीब लाना और हिंदी भाषा को यहाँ के वैश्विक वातावरण में प्रतिष्ठापित करना। कार्यक्रम का संचालन साहित्य वैभव के संपादक डॉ. सुधीर शर्मा ने किया। इस अवसर पर स्वर्णभूमि एअरपोर्ट के स्टेशन मास्टर व हिन्दी सेवी श्री संजय सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे।
दूसरे सत्र में वरिष्ठ कवि व 'दुनिया इन दिनों' के प्रधान संपादक डॉ. सुधीर सक्सेना, भोपाल को उनकी कविता संग्रह 'रात जब चंद्रमा बजाता है' तथा स्त्री विमर्श के लिए प्रतिबद्ध लेखिका व आउटलुक, हिन्दी की सहायक संपादिका, गीताश्री को उनकी संपादित कृति 'नागपाश में स्त्री' तथा युवा पत्रकार, दैनिक भारत भास्कर (रायपुर) के संपादक श्री संदीप तिवारी 'राज' की पहली कृति 'ये आईना मुझे बूढ़ा नहीं होने देता' के लिए वर्ष २०११ के सृजनगाथा सम्मान (www.srijangatha.com) से अलंकृत किया गया। यह निर्णय देश के चुने हुए १००० युवा साहित्यकार-पाठकों की राय पर निर्धारित किया गया था। सम्मान स्वरूप उन्हें ११-११ हजार का चेक, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिह्न और साहित्यिक कृतियां भेंट की गईं। इसके हिन्दी के चार चिट्ठाकार यहाँ एकसाथ सम्मानित हुए, जिसमें रवीन्द्र प्रभात , नुक्कड़ ब्लॉग की कथा लेखिका अलका सैनी (चंडीगढ़) और उडिया भाषा के अनुवादक ब्लॉगर दिनेश कुमार माली प्रमुख थे। लघु पत्रकारिता के लिए आधारशिला के संपादक दिवाकर भट्ट (देहरादून), ग़ज़लगो सुमीता केशवा (मुंबई) तथा पत्रकारिता के लिए बीपीएन टाईम्स के संपादक ताहिर हैदरी (रायपुर), पीपुल्स समाचार दैनिक के युवा पत्रकार ब्रजेश शुक्ला (जबलुपुर) को भी सृजनश्री सम्मान से अलंकृत किया गया।
इस अवसर पर हिन्दी साहित्य को चिट्ठाकारिता से जोड़ने वाली पत्रिका वटवृक्ष के तृतीय अंक, दिनेश कुमार माली की पुस्तक बंद दरवाजा, (साहित्य अकादमी से सम्मानित ओडिया लेखिका सरोजिनी साहू के कथा संग्रह का हिन्दी अनुवाद) तथा चित्रकार व कवि डॉ. जे.एस.बी.नायडू की दो किताबों का भी विमोचन हुआ, जिसमें ‘जाने कितने रंग’ प्रमुख है। अंतिम सत्र कविता पाठ की अध्यक्षता की वरिष्ठ कवि डॉ. सुधीर सक्सेना ने की, विशिष्ट अतिथि थे आधार शिला के संपादक डॉ. दिवाकर भट्ट और पांडुलिपि के संपादक जयप्रकाश मानस। इस सत्र में डॉ. जे.एस.बी.नायडू, दिनेश माली, सुमीता केशवा, सीमा श्रीवास्तव, लतिका भावे, युक्ता राजश्री झा, रवीन्द्र प्रभात, डॉ. सुधीर शर्मा, डॉ. दीपक बी. जोशी, संदीप शर्मा आदि ने कविता पाठ किया। चौंथे अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन की खास विशेषता रही दो चित्रकारों की कलाकृतियों की खुली प्रदर्शनी। ये दो कलाकार थे डॉ. जे.एस.बी.नायडू (रायपुर) तथा नागपुर विश्वविद्यालय के ललित कला संकाय के विभागाध्यक्ष तथा वरिष्ठ चित्रकार डॉ. दीपक बी. जोशी। श्री नायडू के चित्रों की प्रदर्शनी बैंकाक आर्ट गैलरी में भी प्रदर्शित की गई जिसे उल्लेखनीय प्रतिसाद मिला। आयोजन में वैभव प्रकाशन का उल्लेखनीय सहयोग रहा। सृजन-सम्मान की ओर से महासचिव जयप्रकाश मानस और डॉ. सुधीर सक्सेना ने घोषणा की कि अगला आयोजन २4जून से १ जुलाई तक रुस के मास्को, ताशकंद, समरकंद और उज्बेकिस्तान में होगा जिसमें बड़ी संख्या में देश और विदेश के साहित्यकार, रंगकर्मी, हिन्दी-अध्यापक, ब्लॉगर्स तथा पत्रकार भाग लेंगे।
उल्लेखनीय है कि साहित्य, संस्कृति और भाषा के लिए प्रतिबद्ध साहित्यिक संस्था (वेब पोर्टल) सृजन गाथा डॉट कॉम पिछले पाँच वर्षों से ऐसी युवा विभूतियों को सम्मानित कर रही है जो कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं।
बैंकाक से रवीन्द्र प्रभात की रपट
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