सोमवार, 4 जुलाई 2011

वातायन : कविता सम्मान – २०११

नेहरु सेंटर और यू के हिंदी समिति के तत्वाधान एवं बैरोनैस फ्लैदर के संरक्षण में ३० जून के दिन लन्दन के हाउस ऑफ़ लोर्डस के एक एतिहासिक कमरे में वातायन : पोएट्री ऑन साउथ बैंक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में प्रसिद्ध कवि और लेखक श्री प्रसून जोशी एवं श्री जावेद अख्तर को वातायन अवार्ड से सम्मानित किया गया। मुख्य अथिति के रूप में प्रसिद्ध अभिनेत्री शबाना आज़मी, लोर्ड देसी एवं डा मधुप मोहता ने इस समारोह की शोभा बढाई।

लेखक , संगीत कार, और फिल्मकार डॉ संगीता दत्ता ने संचालन की बागडोर सुविज्ञतापूर्वक संभाली। रीना भारद्वाज (गायिका ‘यह रिश्ता’) द्वारा सरस्वती वंदना से समारोह का आगाज़ हुआ। लेखक, फिल्मकार नसरीन मुन्नी कबीर ने प्रसून जोशी के साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला। प्रसून जोशी के गीत ‘तारे जमीं पर’ का अंग्रेज़ी अनुवाद और प्रस्तुति की कवयित्री, लेखक और फिल्मकार रुथ पडेल ने तो प्रसून जोशी के एक दूसरे गीत ‘मेरी मां’ की प्रशंसनीय प्रस्तुति की कवयित्री और लेखक इंडिया रस्सल ने समारोह की अध्यक्षता कैम्ब्रिज विश्विद्यालय के प्राध्यापक एवं लेखक डॉ सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने की तथा प्रस्तावना यू के हिंदी समिति के अध्यक्ष और पुरवाई के संपादक डॉ पद्मेश गुप्त की रही। वातायन की संस्थापक अध्यक्ष दिव्या माथुर ने सभी मेहमानों का धन्यवाद किया।

सम्मान समारोह के दौरान प्रसून जोशी ने ‘धूप के सिक्कों’ के साथ अपनी कई अन्य कविताएँ अपनी दिलकश आवाज में सुनाईं शब्दों की जादूगरी के साथ साथ प्रसून के मधुर कंठ के भी मालिक हैं, अपने कुछ गीतों को स्वर में गाकर उन्होंने यह सिद्ध कर दिया। जावेद साहब एक पूर्ण शख्सियत के मालिक हैं; गहरी आवाज़ और मोहक अंदाज में उन्होंने अपनी ‘वक़्त’ और ‘शतरंज’ जैसी कई कविताओं से सबका मन मोह लिया। समारोह के पश्चात एक भव्य भोज के साथ इस सितारों भरी खूबसूरत शाम का समापन हुआ।

शिखा वार्ष्णेय

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